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आंतरिक सुरक्षा

मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस में पदों की समाप्ति

  • 09 May 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये

मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस, शेकातकर समिति

मेन्स के लिये

शेकातकर समिति की सिफारिशें

चर्चा में क्यों?

हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस (Military Engineering Service-MES) में 9,304 पदों को समाप्त करने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है।

प्रमुख बिंदु

  • ध्यातव्य है कि सरकार ने यह निर्णय लेफ्टिनेंट जनरल डी. बी. शेकातकर (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता में गठित समिति की सिफारिशों के आधार पर लिया है। 
    • इस समिति ने युद्ध क्षमता को बढ़ाने और सशस्त्र बलों के खर्च को संतुलित करने के उपाय सुझाए थे।
  • रक्षा मंत्री ने शेकातकर समिति की सिफारिशों के आधार पर सेना में सामान्य एवं औद्योगिक क्षेत्र के रिक्त पड़े 13157 पदों में सैन्य इंजीनियरों के 9304 पदों को खत्म करने की अनुमति दी है।
  • समिति द्वारा की गई एक अनुशंसा सिविलियन श्रम बल को इस प्रकार पुनर्संरचित करने की थी जिससे कि MES का कार्य आंशिक रूप से विभागीय रूप से तैनात कर्मचारियों द्वारा किया जाए और अन्य कार्यों को आउटसोर्स करा दिया जाए।

महत्त्व 

  • रक्षा मंत्री के इस निर्णय का उद्देश्य मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस (MES) को एक प्रभावी कार्यबल के साथ-साथ एक प्रभावी संगठन बनाना था, जो कुशल और लागत प्रभावी तरीके से नवीन परिदृश्य में जटिल मुद्दों को संभालने में सक्षम हो सके।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, यदि शेकातकर समिति की सिफारिशों को आगामी पाँच वर्षों में सही ढंग से लागू किया जाता है तो इसके माध्यम से देश के रक्षा व्यय में तकरीबन 25000 करोड़ रुपए तक की बचत हो सकती है।

शेकातकर समिति और उनकी सिफारिशें

  • 11 सदस्यीय शेकातकर समिति का गठन पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर द्वारा वर्ष 2016 में किया गया था और इस समिति ने दिसंबर 2016 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। 
  • शेकातकर समिति की रिपोर्ट, जो कि मौजूदा समय में सेना में हो रहे सुधारों के सैद्धांतिक मार्गदर्शन का कार्य कर रही है, को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है क्योंकि इस रिपोर्ट में सशस्त्र बलों के परिचालन संबंधी पहलुओं को भी शामिल किया गया है और जिनका खुलासा राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में नहीं है।
  • इस समिति के गठन का मुख्य उद्देश्य युद्ध क्षमता को बढ़ाने और सशस्त्र बलों के खर्च को संतुलित करने के उपाय को सुझाना था।
  • समिति द्वारा अनुशंसित उपायों में शामिल हैं:
    • शेकातकर समिति ने सिफारिश की थी कि भविष्य के खतरों और चुनौतियों के मद्देनज़र भारत का रक्षा बजट GDP के 2.5 से 3 प्रतिशत के मध्य होना चाहिये।
    • समिति ने मध्य-स्तर के अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिये एक संयुक्त सेवा युद्ध महाविद्यालय (Joint Services War College) की स्थापना का भी सुझाव दिया था, हालाँकि मौजूदा महाविद्यालय (महू, सिकंदराबाद और गोवा) युवा अधिकारियों को प्रशिक्षण देना जारी रखेंगे।
    • पुणे स्थित मिलिट्री इंटेलिजेंस स्कूल (Military Intelligence School) को त्रि-सेवा इंटेलिजेंस प्रशिक्षण प्रतिष्ठान (Tri-service Intelligence Training Establishment) में बदल दिया जाए।
    • इस रिपोर्ट में शांत स्थानों में सैन्य फार्म (Military Farms) और सेना के डाकघरों को बंद करने का भी आह्वान किया, जो पहले से लागू की गई सिफारिशों में से है।
    • राष्ट्रीय कैडेट कोर (National Cadet Corps-NCC) की कार्यक्षमता में सुधार किया जाना चाहिये।
  • उल्लेखनीय है कि अगस्त 2017 में तत्कालीन रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने भारतीय सेना से संबंधित 65 सिफारिशों के कार्यान्वयन को मंज़ूरी दी थी।

मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस 

(Military Engineering Service-MES)

  • मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस (Military Engineering Service-MES) भारत की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी सरकारी रक्षा अवसंरचना विकास एजेंसियों में से एक है।
    • यह भारत में सबसे बड़ी निर्माण और रखरखाव एजेंसियों में से एक है, जिसका कुल वार्षिक बजट लगभग 13,000 करोड़ रुपये है।
  • MES मुख्य रूप से भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना, भारतीय नौसेना, भारतीय आयुध कारखानों, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन और भारतीय तटरक्षक बल समेत भारतीय सशस्त्र बलों के लिये इंजीनियरिंग और निर्माण कार्य में कार्यरत है।

स्रोत: द हिंदू

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