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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

पीएसएलवी की 50वीं उड़ान: पीएसएलवी-C48

  • 12 Dec 2019
  • 3 min read

प्रीलिम्स के लिये

पीएसएलवी-C48, रीसैट-2BR1

मेन्स के लिये

अंतरिक्ष तकनीक में भारत की भूमिका

चर्चा में क्यों?

11 दिसंबर, 2019 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान-इसरो (Indian Space Research Organisation-ISRO) ने PSLV-C48 रॉकेट की मदद से रीसैट-2BR1 (RISAT-2BR1) नामक सैटेलाइट को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया।

मुख्य बिंदु:

  • यह PSLV (Polar Satellite Launch Vehicle-PSLV) रॉकेट द्वारा किया गया 50वाँ प्रक्षेपण था।
  • PSLV रॉकेट की 50वें लॉन्च के मौके पर इसरो द्वारा “PSLV@50” नामक पुस्तक का विमोचन किया गया।
  • RISAT-2BR1 के अलावा 9 अन्य वाणिज्यिक सैटेलाइटों को भी निर्धारित कक्षाओं में प्रक्षेपित किया गया जो कि इज़राइल, जापान, अमेरिका तथा इटली के थे।
  • इन सैटेलाइटों को इसरो के वाणिज्यिक निकाय (Commercial Body) न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NewSpace India Limited-NSIL) के अधीन प्रबंधित किया गया था।

रीसैट-2BR1

  • RISAT-2BR1 एक राडार इमेजिंग सैटेलाइट है तथा इसका वजन 628 किलोग्राम है। इसका प्रयोग कृषि, वानिकी, आपदा प्रबंधन तथा राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये किया जाएगा।
  • इस सैटेलाइट मिशन की अवधि पाँच वर्ष है।

PSLV

  • PSLV भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के तीसरी पीढ़ी का प्रक्षेपण यान है।
  • PSLV में ईंधन चार चरणों में होता है तथा यह भारत का पहला प्रक्षेपण यान है जिसमें तरल रॉकेट ईंधन का प्रयोग किया जाता है।
  • अभी तक के कुल प्रक्षेपणों में PSLV केवल 2 बार ही असफल रहा है। पहली बार सितंबर 1993 में अपनी पहली ही उड़ान PSLV D1 के दौरान और दूसरी बार अगस्त 2017 में PSLV C-39 की उड़ान के दौरान।
  • प्रारंभिक उड़ानों में PSLV की क्षमता मात्र 850 किलोग्राम थी, जबकि वर्तमान में इसकी क्षमता 1.9 टन तक बढ़ गई है।

स्रोत: पी.आई.बी. एवं द हिंदू

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