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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

संयुक्त G-20 विज्ञप्ति की संभावनाएँ

  • 26 Jul 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

संयुक्त G-20 विज्ञप्ति, G-20 शिखर सम्मेलन, यूक्रेन में युद्ध, ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की संभावनाएँ

मेन्स के लिये:

संयुक्त G-20 विज्ञप्ति की संभावनाएँ

चर्चा में क्यों? 

सितंबर 2023 में नई दिल्ली में आयोजित होने वाले G-20 शिखर सम्मेलन में यूक्रेन में युद्ध से संबंधित अनुच्छेदों के संबंध में रूस और चीन के विरोधी रुख के कारण संयुक्त विज्ञप्ति जारी करने में बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है।

  • जैसे-जैसे शिखर सम्मेलन की तिथि नज़दीक आ रही है, भारतीय वार्ताकार गतिरोध का समाधान करने के लिये कड़ी मेहनत कर रहे हैं।

संयुक्त विज्ञप्ति का महत्त्व:

  • G-20 समूह जिसमें विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाएँ सम्मिलित हैं, परंपरागत रूप से आम सहमति तक पहुँचने के साथ प्रत्येक शिखर सम्मेलन के अंत में एक संयुक्त घोषणा जारी करने में सफल रहा है।
  • भारत की अध्यक्षता में ऐसा न होने की स्थिति में इसके मौजूदा स्वरूप में G-20 की स्थिरता पर सवाल उठ सकते हैं। 
  • पिछले शिखर सम्मेलनों, जैसे- वर्ष 2014 में ब्रिस्बेन तथा वर्ष 2022 में इंडोनेशिया में चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन अंततः एक दस्तावेज़ तैयार करने में सफलता मिली।
  • चुनौतियों के बावजूद शेरपा अगस्त 2023 से "दिल्ली घोषणा" के लिये मसौदा वार्ता प्रारंभ करने के लिये तैयार हैं।
    • शेरपा मतभेद के क्षेत्रों को संबोधित करने का प्रयास करेंगे जिसमें ऋण स्थिरता पर अमेरिका-चीन तनाव तथा डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी अवसंरचना को लेकर  गोपनीयता के मुद्दे शामिल हैं।
    • यूक्रेन मुद्दे के संबंध में अधिकारी "भू-राजनीतिक मुद्दों" के लिये "रिक्त स्थान" अपना  सकते हैं जब तक कि अधिकतम बिंदुओं पर सहमति न बन जाए।

G20 दस्तावेज़ों पर विभिन्न परिप्रेक्ष्य: 

  • भारत का रुख: 
    • बाली पैराग्राफ को बनाए रखना:
      • अब तक भारत ने उनके निर्माण में कठिन परिश्रम का हवाला देते हुए अपने दस्तावेजों में "बाली पैराग्राफ" (बाली 2022 शिखर सम्मेलन में G-20 नेताओं की घोषणा) को शामिल करना जारी रखा है।
      • इस पैराग्राफ में यूक्रेन पर रूस के युद्ध की "निंदा" करने वाले संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव का संदर्भ तथा बयान शामिल हैं कि "अधिकांश सदस्य" संघर्ष की कड़ी निंदा करते हैं।
      • भारतीय प्रधानमंत्री के वाक्यांश "यह युग युद्ध का नहीं है" का उपयोग भी सार्वभौमिक माना जाता है तथा किसी विशिष्ट देश या संघर्ष से संबंधित नहीं है।
    • आर्थिक मुद्दों हेतु न कि सुरक्षा मुद्दों के लिये: 
      • G-20 सुरक्षा मुद्दों के लिये मंच नहीं है बल्कि यह सुरक्षा चिंताओं से उत्पन्न आर्थिक मुद्दों के लिये मंच है जैसे- ईंधन, खाद्य और उर्वरक की कीमतों पर यूक्रेन युद्ध का प्रभाव।
    • यूक्रेन संघर्ष के लिये विकासशील देश ज़िम्मेदार नहीं:
      • भारत का कहना है कि G-20 में यूक्रेन संघर्ष उसकी प्राथमिकता नहीं है तथा इस मुद्दे के लिये विकासशील देशों को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिये।
      • इसके बजाय भारत अफ्रीकी संघ को G-20 में शामिल करने, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI), लिंग आधारित सशक्तीकरण और बहुपक्षीय विकास बैंकों में सुधार जैसी प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहता है।
  • रूस और चीन का विरोध:
    • रूस एवं चीन, यूक्रेन को लेकर विज्ञप्ति के आधार पर विरोध करते हैं, रूस का तर्क है कि बाली घोषणापत्र अब वर्तमान स्थिति को प्रतिबिंबित नहीं करता है क्योंकि इसमें यूक्रेन के लिये अमेरिका तथा यूरोपीय सैन्य समर्थन में वृद्धि या रूस के खिलाफ बढ़े हुए प्रतिबंध शामिल नहीं हैं और प्रासंगिक विकास को छोड़ दिया गया है। 
    • चीन का तर्क है कि G-20 को "भूराजनीतिक मुद्दों" पर चर्चा नहीं करनी चाहिये क्योंकि इसने पिछले दो दशकों में मुख्य रूप से आर्थिक मामलों पर ध्यान केंद्रित किया है।

G-20:  

  • ग्रुप ऑफ ट्वेंटी (G-20) की स्थापना वर्ष 1999 में एशियाई वित्तीय संकट के बाद वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों के लिये वैश्विक आर्थिक एवं वित्तीय मुद्दों पर चर्चा करने हेतु एक मंच के रूप में की गई थी।  
  • वर्ष 2007 के वैश्विक आर्थिक और वित्तीय संकट के मद्देनज़र G-20 को राज्य/सरकार के स्तर तक उन्नत किया गया था तथा वर्ष 2009 में इसे "अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिये  प्रमुख मंच" नामित किया गया था। 
  • G-20 में 19 देश (अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, फ्राँस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका) और यूरोपीय संघ शामिल है 
  • G-20 सदस्य विश्व की लगभग दो-तिहाई आबादी, 85% वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद, 80% वैश्विक निवेश और 75% से अधिक वैश्विक व्यापार का प्रतिनिधित्व करते हैं।

आगे की राह 

  • भारत, यूक्रेन संघर्ष पर साझा आधार तलाशने के लिये इंडोनेशिया और ब्राज़ील समेत अन्य G-20 देशों से सुझाव मांग रहा है।
  • गतिरोध को सुलझाने में नेताओं, विशेषकर भारतीय प्रधानमंत्री की भूमिका महत्त्वपूर्ण होगी।
  • वर्ष 2023 में दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान कूटनीतिक प्रयास भी स्थिति को प्रभावित कर सकते हैं।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न . निम्नलिखित में से किस समूह के सभी चारों देश G-20 के सदस्य हैं?(2020)

(a) अर्जेंटीना, मैक्सिको, दक्षिण अफ्रीका एवं तुर्की
(b) ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, मलेशिया एवं न्यूज़ीलैंड
(c) ब्राज़ील, ईरान, सऊदी अरब एवं वियतनाम
(d) इंडोनेशिया, जापान, सिंगापुर एवं दक्षिण कोरिया

उत्तर: (a) 


प्रश्न . G-20 के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः

  1. G-20 समूह की मूल रूप से स्थापना वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक एवं वित्तीय मुद्दों पर चर्चा के मंच के रूप में की गई थी।
  2. डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचा भारत की G-20 प्राथमिकताओं में से एक है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों 
(d)  न तो 1 और न ही 2

उत्तर : (c) 

स्रोत: द हिंदू

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