इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

जेनेरिक को बढ़ावा देने हेतु दवा लेबलिंग मानकों में बदलाव

  • 19 Mar 2018
  • 9 min read

चर्चा में क्यों?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union health ministry) द्वारा दवाओं के लेबलिंग मानकों (labelling norms) में बदलाव करने का निर्णय लिया गया है। दवा कंपनियों (pharmaceutical companies) के लिये अब यह ज़रुरी होगा कि दवाओं के जेनेरिक नाम (generic name) को ब्रांड नाम की तुलना में 2 फॉन्ट बड़ा लिखा जाए।

जेनेरिक दवाएँ क्या होती हैं?

  • किसी बीमारी के इलाज के लिये तमाम तरह के अनुसंधान और खोज के बाद एक रसायन (साल्ट) तैयार किया जाता है जिसे आसानी से उपलब्ध करवाने के लिये दवा की शक्ल दे दी जाती है। इस सॉल्ट को हर कंपनी अलग-अलग नामों से बेचती है, कोई इसे महँगे दामों में बेचती है तो कोई सस्ते दामों में। 
  • लेकिन इस सॉल्ट का जेनेरिक नाम सॉल्ट के रासायनिक गुणों और संबंधित बीमारी का ध्यान रखते हुए एक विशेष समिति द्वारा निर्धारित किया जाता है। 
  • उल्लेखनीय है कि किसी भी सॉल्ट का जेनेरिक नाम पूरी दुनिया में एक ही रहता है।

क्यों सस्ती होती हैं जेनेरिक दवाएँ?

  • ब्रांडेड दवाओं का मूल्य पेटेंट धारक कंपनी द्वारा ही तय किया जाता है, वहीं जेनेरिक दवाओं की कीमत निर्धारित करने में सरकार का हस्तक्षेप होता है। इसलिये जेनेरिक दवाओं की मनमुताबिक कीमतें निर्धारित नहीं की जा सकती हैं। अतः जेनेरिक दवाइयाँ हमेशा ब्रांडेड दवाइयों की अपेक्षा सस्ती ही होती हैं। 
  • वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेशन के अनुसार, यदि डॉक्टरों द्वारा मरीज़ों को जेनेरिक दवाओं को लेने का सुझाव (Prescription) दिया जाता है तो इससे विकसित देशों में स्वास्थ्य खर्च 70 फीसदी और विकासशील देशों में इससे भी कम हो सकता है।

नए नियमों की उपयोगिता क्या होगी?

  • लेबलिंग मानकों में परिवर्तन को सरकार के जेनेरिक दवाओं को बढ़ावा देने के कदम के रूप में देखा जा रहा है। ये निर्णय 13 सितंबर से प्रभावी हो जाएंगे।
  • फॉन्ट के आकार में बदलाव संबंधी नियम सभी फॉम्युलेशन पर लागू होगा, यहाँ गौर करने वाली बात यह है कि इसमें विटामिनों के कंबिनेशन और 3 अणुओं (three molecules) से अधिक फिक्स्ड डोज़ कंबिनेशन (fixed dose combinations) वाली दवाओं को शामिल नहीं किया गया है। 
  • अधिसूचना के मुताबिक, इस तरह के विटामिन और फिक्स्ड डोज़ कंबिनेशन में ब्रांड नाम को नीचे की ओर कोष्ठक (bracket) में या जेनेरिक नाम के बाद लिखा जाएगा। 

प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना

  • प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना भारत सरकार के ‘रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय’ के अंतर्गत कार्यरत ‘फार्मास्यूटिकल्स विभाग’ द्वारा प्रारंभ की गई है।
  • इसका उद्देश्य ‘प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र’ के माध्यम से देश की जनता को सस्ती एवं गुणवत्ता युक्त दवाइयाँ प्रदान करना है।
  • इन जन औषधि केन्द्रों को गुणवत्ता एवं प्रभावकारिता में महँगी ब्रांडेड दवाओं के समतुल्य जेनेरिक दवाइयों को कम कीमतों पर उपलब्ध कराने के लिये स्थापित किया गया है।  
  • इस परियोजना का मूल उद्देश्य है- “Quality Medicines at Affordable Prices for All”.

मसौदा औषधि नीति, 2017

  • वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने पिछले साल के बजट भाषण में घोषणा की थी कि जेनेरिक दवाओं के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने के लिये सरकार एक नियमावली लाएगी। सरकार ने दवा एवं सौंदर्य प्रसाधन नियमों में संशोधन करने का प्रस्ताव किया था जिससे कि डॉक्टरों के लिये जेनेरिक दवाएँ लिखना अनिवार्य बनाया जा सके।
  • मसौदा औषधि नीति, 2017 में भी एक तत्त्व वाली दवाओं को जेनेरिक नाम से दिये जाने का प्रस्ताव किया गया, लेकिन यह नीति कागज़ों में ही बनी हुई है।
  • यह कवायद सरकार दवाओं को सस्ती बनाने के लिये कर रही है, जिसमें कम दाम की दवाओं की बिक्री के लिये जन औषधि केंद्र खोला जाना भी शामिल है।
  • जेनेरिक दवाओं को लिखना अनिवार्य बनाने का प्रस्ताव भी अभी अंतिम रूप नहीं ले सका है, लेकिन दवा क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि जेनेरिक दवाओं के नाम लिखने के नियम में बदलाव किये जाने से जेनेरिक नाम देखने में सुविधा होगी।
  • इसके पहले भी एक नियम था कि जेनेरिक नाम अधिक विशिष्ट तरीके से लिखा जाना चाहिये और अब उस नियम की खामियों को दूर करने की कवायद की गई है, जिससे कि इसे बेहतर तरीके से लागू किया जा सके।
  • एक विशेषज्ञ के अनुसार, सरकार यह भी प्रस्ताव कर रही है कि हर केमिस्ट जेनेरिक दवाओं के लिये अलग शेल्फ रखे। दवा तकनीकी सलाहकार बोर्ड ने सिफारिश की है कि केमिस्ट जेनेरिक दवाओं के लिये अलग रैक रखें, जिससे दवाएँ ग्राहकों को नज़र आ सकें।

पूर्व में लिया गया निर्णय

  • हाल ही में सरकार ने घोषणा की थी कि वह ऐसे नियम बनाएगी, जिससे डॉक्टर पर्ची पर केवल जेनेरिक दवाएँ ही लिख सकेंगे।
  • गौरतलब है कि इस समय चिकित्सक, परामर्श पर्ची पर दवा के ब्रांड का नाम लिखते हैं, लेकिन भविष्य में वे केवल सॉल्ट का नाम लिखेंगे, जिससे यह होगा कि मरीज़ दवा की दुकान पर जाकर अपनी पसंद का ब्रांड चुन सकता है।
  • सरकार के इस प्रयास का उद्देश्य आम आदमी के लिये दवाओं की सस्ती उपलब्धता तथा दवा कंपनियों और डॉक्टरों के गठजोड़ को खत्म करना है।

चीनी औषधि उत्पाद पर तीन साल के लिये डंपिंग रोधी शुल्क

  • भारत ने लागत से कम मूल्य पर आयात से घरेलू उत्पादों के हितों की रक्षा के लिये चीनी औषधि उत्पाद के आयात पर डंपिंग रोधी शुल्क लगाया है। इस औषधि का उपयोग संक्रमण के इलाज में किया जाता है।
  • चीन से आयातित ओफ्लोक्सासिन के आयात पर शुल्क 2.58 डॉलर से 9.48 डॉलर प्रति किलोग्राम लगाया जाएगा। यह शुल्क तीन साल के लिये लगाया गया है।
  • यह शुल्क डंपिंग रोधी एवं संबद्ध शुल्क महानिदेशालय (डीजीएडी)की सिफारिशों के आधार पर लगाया गया है।आयात की जाँच के बाद प्राधिकरण ने यह निष्कर्ष निकाला कि चीन से भारत को किया जाने वाले निर्यात सामान्य मूल्य से कम भाव पर किया गया।
  • डीजीएडी ने शुल्क लगाने की सिफारिश करते हुए कहा, उत्पाद की डंपिंग के कारण घरेलू उद्योग को नुकसान हुआ है। ओफ्लोक्सासिन का उपयोग ब्रोंकाइटिस, न्यूमोनिया समेत विभिन्न प्रकार के संक्रमण के इलाज में किया जाता है।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2