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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

प्रीलिम्स फैक्ट्स : 27 दिसंबर, 2017

  • 27 Dec 2017
  • 14 min read

पीएसयू द्वारा पोर्टफोलियो का विविधीकरण
Diversification of portfolios by PSUs

केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (Central Public Sector Enterprises – CPSE) के बोर्डों द्वारा अपने कारोबारी प्रदर्शन को बनाए रखने के लिये पोर्टफोलियो के विविधीकरण के प्रस्तावों पर सक्षम प्राधिकारी से मंजू़री मिलने के बाद काम शुरू किया जाता है।

  • सी.पी.एस.ई. द्वारा तकनीकी – आर्थिक संभाव्यता एवं लाभप्रदता के संबंध में विचार करने के बाद ही इन प्रस्तावों पर आगे काम किया जाता है। 
  • इसके अलावा, महारत्न, महारत्न एवं नवरत्न सी.पी.एस.ई. को अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित अधिकार भी प्रदत्त होते हैं -
       1.  नई वस्तुएँ खरीदने, प्रतिस्थापन, नई परियोजनाओं पर काम शुरू करने, आधुनिकीकरण, इत्यादि के लिये सरकारी मंजू़री के बगैर ही पूंजीगत खर्च करना। 
       2.  वित्तीय संयुक्त उद्यमों और पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक इकाइयों की स्थापना के लिये इक्विटी निवेश करना। 
       3.  निर्धारित शर्तों के अनुरूप विलय एवं अधिग्रहण करना। 
       4.  महारत्न एवं नवरत्न सी.पी.एस.ई. के बोर्डों को घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों से ऋण जुटाने संबंधी अधिकार भी दिये जाते हैं।

अन्य पिछड़ा वर्गों का उप-वर्गीकरण
sub-categorization of Other Backward Classes

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने अन्य पिछड़ा वर्गों के उप-वर्गीकरण संबंधी मुद्दे की जाँच के लिये गठित आयोग की समयावधि को बढ़ाए जाने को मंजू़री दी है। आयोग की समयावधि 12 सप्ताह, यानी 02 अप्रैल, 2018 तक बढ़ा दी गई है। समयावधि बढ़ाए जाने से आयोग विभिन्न हितधारकों से बातचीत करने के बाद अन्य पिछड़ा वर्गों के उप-वर्गीकरण के मुद्दे पर एक सम्पूर्ण रिपोर्ट सौंपने में सक्षम होगा।

  • 2 अक्तूबर 2017 को संविधान के अनुच्छेद 340 के तहत राष्ट्रपति के अनुमोदन से इस आयोग का गठन किया गया था। आयोग के गठन के समय यह तय किया गया था कि आयोग अध्यक्ष द्वारा कार्यभार संभालने के 12 सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश कर देगा।

पृष्ठभूमि

  • न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्रीमती जी. रोहिणी की अध्यक्षता में आयोग द्वारा 11 अक्टूबर, 2017 को अपना काम शुरू कर दिया गया था। उस समय से अब तक आयोग द्वारा आरक्षण वाले सभी राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेशों तथा राज्य पिछड़ा वर्ग आयोगों के साथ बातचीत की गई। 
  • इस कार्य हेतु आयोग द्वारा पिछले तीन वर्षों के दौरान उच्च शिक्षा पाठ्यक्रमों में अन्य पिछड़ा वर्गों के प्रवेश के संदर्भ में 197 उच्च शिक्षा संस्थानों से आँकड़े तलब किये गए हैं। 
  • आयोग द्वारा सरकारी विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, वित्तीय संस्थानों और केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की सरकारी नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग सदस्यों के रोज़गार संबंधी आँकड़े भी एकत्रित किये गए हैं, ताकि इनके आरक्षण की असमानता का आकलन किया जा सके। 
  • इस आकलन के तहत अन्य पिछड़ा वर्ग की केंद्रीय सूची में शामिल जातियों/समुदायों को भी शामिल किया गया है।
  • व्यापक स्तर की रिपोर्ट तैयार करने के लिये इस कार्य में शामिल आँकड़ों की बहुतायत और उनके विश्लेषण में लगने वाले समय को मद्देनज़र रखते हुए आयोग द्वारा समयावधि को 12 सप्ताह के लिये बढ़ाने का अनुरोध किया गया था।

 ई-मानव संसाधन प्रबंधन प्रणाली
electronic-Human Resource Management System (e-HRMS)

का‍र्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय द्वारा गुड गवर्नेंस दिवस (इस दिवस को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के जन्म-दिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है) के अवसर पर इलेक्‍ट्रोनी मानव संसाधन प्रबंधन प्रणाली (ई-एचआरएमएस) का शुभारंभ किया गया। इस प्रणाली के पाँच मॉड्यूलों के अंतर्गत 25 एप्‍स आरंभ किये गए। डीओपीटी द्वारा इस वर्ष मार्च में आरंभ की गई ई-सर्विस बुक को भी ई-एचआरएमएस के साथ संबद्ध किया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • 30 मार्च, 2017 से पहले जारी ई-सेवा पुस्तिका को भी इसके साथ जोड़ा जाएगा।
  • कार्मिकों को प्रशिक्षण देने के बाद ये मॉड्यूल अगले महीने तक पूरी तरह कार्य करने लगेंगे और शेष मॉड्यूल इस वित्‍त वर्ष की समाप्ति तक विकसित कर लिये जाएंगे। 
  • इस प्रणाली में कार्मिकों और विभागों के लिये अनेक लाभदायक सुविधाएँ प्रदान की गई हैं, जिससे अनेक प्रकार के प्रशासनिक कार्य सहज रूप से संपन्‍न किये जा सकेंगे।

ई-एचआरएमएस का लाभ

  • ई-एचआरएमएस आरंभ होने से कार्मिक न केवल अपने सभी विवरण जैसे सेवा पुस्तिका, अवकाश, वेतन आदि को ऑनलाइन देख सकेंगे, अपितु विभिन्‍न प्रकार के दावों/प्रतिपूर्ति, ऋण/अग्रिम, छुट्टी, छुट्टी नकदीकरण, एलटीसी अग्रिम आदि के विषय में भी एक ही स्‍थान पर जानकारी प्राप्त करने में सक्षम भी होंगे। 

उद्देश्य

  • यह संपूर्ण स्‍वचालित मानव संसाधन प्रबंध प्रणाली की दिशा में एक अहम् कदम है, जिसका उद्देश्‍य भारत सरकार के सभी कर्मचारियों को कार्मिक पोर्टल पर लाना है, ताकि तैनाती से लेकर सेवानिवृत्‍त होने तक कार्मिक प्रबंधन की सभी प्रक्रियाएँ डिजिटल प्‍लेटफार्म पर उपलब्‍ध हो सकें तथा कार्मिक प्रबंधन की हस्‍तचालित प्रणाली को इसके साथ संबद्ध किया जा सके।

इस प्रणाली के अंतर्गत 25 एप्‍स को शामिल करने वाले पाँच मॉड्यूल इस प्रकार हैं –

  • कार्मिक सूचना प्रणाली – इसमें कार्मिकों द्वारा स्‍वयं अद्यतन करने की सुविधा प्रदान की गई है।
  • अवकाश – सभी प्रकार के अवकाश-आवेदन और स्‍वीकृतियाँ वेबसाइट के माध्‍यम से होंगी, जो सेवा-पुस्तिका का एक हिस्‍सा बन जाएंगी।
  •  एलटीसी- इसमें एलटीसी से संबंधित आवेदन, पात्रता की जाँच, स्‍वीकृति, अग्रिम दावे, अंतिम प्रतिपूर्ति और छुट्टी नकदीकरण सभी कार्य हैं।
  • ऋण/ अग्रिम – इसके माध्‍यम से सभी प्रकार के ऋण और अग्रिमों का दावा/स्‍वीकृति और अदायगी की जा सकती है।
  • यात्रा- सभी यात्रा संबंधी आवेदन भत्ते इस प्रणाली के माध्‍यम से प्रस्‍तुत किये जाएंगे और टीए अग्रिम भी मांगा जा सकता है।

गुड गवर्नेंस हेतु आरंभ की गई अन्य पहलें 

  • सरकार द्वारा इस संबंध में और भी कई अन्‍य पहलें आरंभ की गई हैं, जैसे प्रगति, दस्‍तावेज़ों का स्‍वयं सत्‍यापन, नीचले स्‍तर के पदों के लिये साक्षात्‍कार समाप्‍त करना, अनुभव एप, डिजिटल जीवन प्रमाण-पत्र, अप्रचलित नियमों को समाप्‍त करना, ऑनलाइन आरटीआई पोर्टल बनाना आदि।
  • प्रगति जैसी पहल करने के कारण सरकार विभिन्‍न प्रचलित परियोजनाओं में तेज़ी से कार्य करने में सक्षम हुई है।
  • प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग द्वारा (डीएआरपीजी) देश के विभिन्‍न भागों में क्षेत्रीय सम्‍मेलनों का आयोजन किया जा रहा है, जिन्‍हें दिल्‍ली से बाहर अन्‍य क्षेत्रों में अच्‍छी गवर्नेंस प्रथा के रूप में देखा जा रहा है।

सोलर पीवी विनिर्माण योजना पर अवधारणा-पत्र
Solar PV Manufacturing Scheme

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने सोलर पीवी विनिर्माण योजना पर एक अवधारणा-पत्र तैयार किया है, ताकि देश में सोलर पीवी मॉड्यूल, सेल, वेफर/इनगॉट और पॉलीसिलिकॉन (wafers/ ingots and polysilicon) की विनिर्माण क्षमता बढ़ाई जा सके। 

प्रमुख बिंदु

  • सोलर पीवी सेल और मॉड्यूल के निर्माताओं की सहायता करने का प्रस्ताव किया गया है, जिससे कि देश में उत्पादित सौर उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय सौर उत्पादों के मुकाबले प्रतिस्पर्धी बनाने के लिये मौजूदा सुविधाओं का विस्तार एवं उन्नयन हो सके अथवा नई विनिर्माण सुविधाओं की स्थापना हो सके। 
  • इसके पीछे मुख्य उद्देश्य इस क्षेत्र में विनिर्माण का पूरा स्पेक्ट्रम अर्थात् पॉलीसिलिकॉन से लेकर मॉड्यूल तक का व्यापक विनिर्माण सुनिश्चित करना है। 
  • वर्ष 2022 तक 100 गीगावाट की सौर ऊर्जा क्षमता हासिल करने के लिये भारत द्वारा तय किये गए महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य के अनुरूप सरकार की इच्छा यह है कि इसके साथ ही देश में व्यापक सौर निर्माण क्षमता भी अवश्य होनी चाहिये। 
  • सरकार का उद्देश्य घरेलू निर्माताओं को अंतर्राष्ट्रीय निर्माताओं के मुकाबले प्रतिस्पर्धी बनाकर विदेशी उत्पादों पर निर्भरता कम करना है। 
  • देश में गुणवत्तापूर्ण सोलर पीवी उपकरणों के उत्पादन के ज़रिये इन उद्देश्यों की पूर्ति करने का इरादा है। 
  • इसके परिणामस्वरूप भारत आगे चलकर सोलर पीवी उपकरणों के एक शुद्ध आयातक देश के बजाय एक शुद्ध निर्यातक देश में तब्दील हो जाएगा और इसके साथ ही भारत सौर निर्माण के क्षेत्र में विश्व स्तर पर अपनी धाक जमा लेगा। इतना ही नहीं, व्यापक सौर निर्माण क्षमता से देश में उत्कृष्ट कौशल वाले रोज़गार भी सृजित होंगे।

राष्ट्रीय राजमार्ग निवेश संवर्द्धन प्रकोष्ठ
National Highways Investment Promotion Cell (NHIPC) 

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने राजमार्ग परियोजनाओं के लिये घरेलू एवं विदेशी निवेश आकर्षित करने हेतु एक राष्ट्रीय राजमार्ग निवेश संवर्द्धन प्रकोष्ठ (एन.एच.आई.पी.सी.) गठित किया है। 

प्रमुख बिंदु

  • यह प्रकोष्ठ सड़क अवसंरचना परियोजनाओं में निवेशकों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिये वैश्विक संस्थागत निवेशकों, निर्माण कंपनियों, डेवलपरों और कोष प्रबंधकों के साथ सहभागिता पर अपना ध्यान केन्द्रित करेगा। 
  • सरकार ने ‘भारतमाला परियोजना’ के तहत 5,35,000 करोड़ रुपए के निवेश से अगले पाँच वर्षों में 35,000 किलोमीटर लम्बे राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है।
  • एनएचआईपीसी मुख्य रूप से सड़क से जुड़े बुनियादी ढाँचे या अवसंरचना में विदेशी एवं घरेलू निवेश को बढ़ावा देने पर अपना ध्यान केन्द्रित करेगा। 
  • एनएचआईपीसी इसके लिये भारत सरकार के विभिन्न संबद्ध मंत्रालयों एवं विभागों, राज्य सरकारों, शीर्ष वाणिज्यिक चैम्बरों जैसे कि फिक्की, एसोचैम और इन्वेस्टइंडिया, इत्यादि के साथ मिलकर काम करेगा। 
  • इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये एनएचआईपीसी भारत स्थित विदेशी दूतावासों एवं मिशनों और विदेश में अवस्थित भारतीय दूतावासों एवं मिशनों के साथ भी मिलकर काम करेगा।
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