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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

अमेरिकी सुरक्षा मानकों पर आधारित होगी भारत की पहली पॉड टैक्सी

  • 27 Dec 2017
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

परिवहन विशेषज्ञ एस.के. धर्माधिकारी की अध्यक्षता वाली पाँच सदस्यीय समिति ने भारत की पहली पॉड टैक्सी सेवा प्रारम्भ करने के लिये तकनीकी एवं सुरक्षा मानकों पर आधारित नवीन दिशा-निर्देश जारी किये हैं।

ये दिशा-निर्देश यू.एस.ए. निकाय अमेरिकन सोसाइटी ऑफ सिविल इंजीनियर्स तथा नीति आयोग द्वारा निर्धारित सुरक्षा मानकों के अनुरूप हैं।

प्रमुख बिंदु :

  • पॉड टैक्सी योजना 4000 करोड़ रुपए के अनुमानित व्यय की केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की महत्त्वाकांक्षी परियोजना है। इसे भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा क्रियान्वित किया जाएगा।
  • पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इसे दिल्ली-गुडगाँव कॉरिडोर पर दिल्ली हरियाणा सीमा से राजीव चौक तक 12.3 किलोमीटर की दूरी में सार्वजनिक-निजी सहभागिता से चलाया जाएगा।

पॉड टैक्सी सेवा क्या है?

  • पॉड टैक्सी सेवा एक आधुनिक और उन्नत सार्वजनिक परिवहन प्रणाली है। इसे पर्सनल रैपिड ट्रांजिट (PRT) भी कहा जाता है।
  • इसमें सामान्य टैक्सी सेवाओं की तरह ही यात्रियों के छोटे समूहों को मांग आधारित फीडर एवं शटल सेवाएँ प्रदान कराई जाती हैं, किन्तु इसमें स्वचालित इलेक्ट्रिक पॉड का इस्तेमाल किया जाता है। यह परिवहन का एक स्वच्छ एवं हरित विकल्प है। 
  • यह सेवा ट्रैफिक जाम और प्रदूषकों के उत्सर्जन जैसी समस्याओं से मुक्त है तथा आवागमन के लिये एक किफायती माध्यम है।
  • भारत सरकार के थिंक-टैंक नीति आयोग द्वारा इसमें प्रयुक्त होने वाली तकनीकी पर आपत्ति जाहिर करने से इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना में देरी हुई है। आयोग ने राजमार्ग मंत्रालय से सिफारिश की है कि वह शुरुआती स्तर पर बोली लगाने वाली कंपनियों से एक किलोमीटर का पायलट प्रोजेक्ट तैयार करवाए, ताकि इसमें प्रयुक्त होने वाली तकनीकियों का परीक्षण किया जा सके।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका में अमेरिकन सोसाइटी ऑफ सिविल इंजीनियर्स द्वारा ऑटोमेटेड पीपुल मूवर (Automated People Mover-APM) मानक निर्धारित किये जाते हैं, जिनमें सुरक्षा और निष्पादन के न्यूनतम स्तर तय किये जाते हैं। भारत की पहली पॉड टैक्सी सेवा भी इन्हीं मानकों पर आधारित होगी।
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