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प्रीलिम्स फैक्ट्स : 25 जनवरी, 2018

  • 25 Jan 2018
  • 9 min read

आंगनवाड़ी सेवा प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिये प्रबंधन सूचना प्रणाली पोर्टल
Management Information System (MIS) portal for Anganwadi Services Training Programme

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा आंगनवाड़ी सेवा प्रशिक्षण कार्यक्रम (Anganwadi Services Training Programme) के लिये प्रबंधन सूचना प्रणाली पोर्टल की शुरुआत की गई है। इस पोर्टल को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केंद्र (National Informatics Centre -NIC) के सहयोग से विकसित किया गया है। 

प्रमुख बिंदु

  • इसके तहत आंगनवाड़ी सेवी प्रशिक्षण केंद्र (Supervisors at the Anganwadi Workers Training Centres -AWTCs)/मध्य स्तरीय प्रशिक्षण केंद्र  (Middle Level Training Centres -MLTCs) के ज़रिये आंगनवाड़ी सेवाएँ देने वाले गैर-सरकारी संगठन आवेदन/अनुमान जमा कर सकते हैं।
  • पोर्टल के पहले चरण के ज़रिये गैर-सरकारी संगठन अपने-अपने राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को प्रस्ताव दे सकते हैं।
  • राज्य और केंद्रशासित प्रदेश इसके बाद प्रस्तावों पर गौर करेंगे और कार्यक्रम के संचालन के लिये आवश्यक निधियों की सिफारिश करेंगे। उसके बाद केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावों की जाँच करके धनराशि जारी की जाएगी। 

आंगनवाड़ी सेवा प्रशिक्षण कार्यक्रम

  • आंगनवाड़ी सेवा प्रशिक्षण कार्यक्रम, एकीकृत बाल विकास सेवा योजना (Integrated Child Development Services - ICDS) के तहत केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना है, जिसका प्रशासन, प्रबंधन, निगरानी संबंधित राज्य/ केंद्रशासित प्रदेश द्वारा किया जाता है। 
  • आंगनवाड़ी सेवियों (Anganwadi Workers-AWWs)/आंगनवाड़ी सहायकों (Anganwadi Helpers –AWHs) और निरीक्षकों को एडब्ल्यूटीसी और एमएलटीसी में प्रशिक्षित किया जाता है।
  • इन्हें संबंधित राज्य सरकारें/केंद्रशासित प्रशासन या संबंधित राज्य सरकारों/केंद्रशासित प्रशासनों की निगरानी के तहत गैर-सरकारी संगठनों द्वारा संचालित किया जाता है। 
  • योजना के कार्यान्वयन के लिये राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रशासनों को भारत सरकार द्वारा निधियाँ जारी की जाती है।
  • नीति आयोग के निर्देशानुसार, गैर-सरकारी संगठनों और स्वयंसेवी संगठनों के लिये यह आवश्यक है कि वे एनजीओ–पीएस पोर्टल पर पंजीकरण कराएँ तथा उनके सदस्यों और पदाधिकारियों को पैन और आधार के ज़रिये प्रमाणित किया जाए।

एक ज़िला-एक उत्पाद योजना

उत्तर प्रदेश दिवस पर राज्य सरकार द्वारा ‘एक ज़िला-एक उत्पाद’ योजना की शुरुआत की गई। इससे प्रदेश में दम तोड़ रहे कुटीर उद्योगों को नई पहचान हासिल होगी।

प्रमुख बिंदु

  • योजना के तहत सरकार द्वारा हर ज़िले के खास उत्पादों के निर्माण, विपणन और प्रसार के संबंध में विशेष सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएंगी।
  • देश की अर्थव्यवस्था में 8.4 प्रतिशत भागीदारी के साथ उत्तर प्रदेश तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
  • देश के कुल हस्तशिल्प निर्यात में प्रदेश का योगदान तकरीबन 44 प्रतिशत है। इसी तरह कालीन के क्षेत्र में 39 प्रतिशत तथा चर्म उत्पाद के क्षेत्र में 26 प्रतिशत योगदान है।
  • इस योजना के माध्यम से लघु उद्योगों और हस्तशिल्प के क्षेत्र में विकास को एक नया आयाम मिलने की संभावना है।
  • इसके अतिरिक्त प्रदेश की सरकार द्वारा कईं नई व कार्यरत इकाइयों के लिये वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता भी सुनिश्चित की जाएगी। 

चलने वाली मछली

तस्मानिया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा ‘चलने वाली मछलियों’ के एक और नए प्राकृतिक आवास की खोज की गई है।

प्रमुख बिंदु

  • ‘रेड हैंडफिश’ नामक यह मछली अपने शरीर पर मौजूद फिन की सहायता से समुद्र की तलछट में चलने में सक्षम होती है।
  • इस मछली की लंबाई 6 से 13 सेंटीमीटर तक होती है।
  • इनका भोजन सख्त त्वचा वाले छोटे जीव एवं कीड़े होते हैं।
  • ये मछलियाँ एक ही प्रकार के वातावरण में रहने की आदि नहीं होती हैं क्योंकि इनका नया आवास इनके पिछले ठिकाने से एकदम भिन्न स्थान पर पाया गया है।
  • इन मछलियों के संरक्षण के संबंध में अभी तक कोई योजना नहीं बन पाई है।

कैंसर के इलाज के लिये नई तकनीक

आइआइटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) रुड़की के रसायन विभाग के डॉ. कौशिक घोष और जैव तकनीक विभाग के डॉ. प्रभात मंडल द्वारा कैंसर के उपचार की एक नई तकनीक की खोज की गई है। इस तकनीक के माध्यम से शरीर में केवल कैंसर प्रभावित हिस्से का ही उपचार किया जा सकता है, इससे शरीर के बाकी हिस्सों पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा।

प्रमुख बिंदु

  • वर्तमान में पूरी दुनिया में यूवी या अन्य रेडिएशन रेंज से कैंसर का उपचार किया जाता है। यदि कैंसर की सेल्स की बात छोड़ दी जाए तो ये रेडिएशन पूरे शरीर की सेल्स के लिये बेहद हानिकारक होती हैं।
  • इतना ही नहीं कैंसर के उपचार हेतु जिन दवाइयों का सेवन मरीज़ द्वारा किया जाता है उनके गंभीर साइड इफेक्ट भी होते हैं।
  • इस बात को ध्यान में रखते हुए इन शोधकर्त्ताओं द्वारा गैर-विषैले माध्यम से दवा देने के कॉन्सेप्ट पर काम किया गया। 
  • हालिया कुछ वर्षों में शरीर के किसी हिस्से को लक्ष्य बना नाइट्रिक ऑक्साइड रिलीज़ करना रसायन और जैव रसायन, दोनों क्षेत्रों में शोध का महत्त्वपूर्ण विषय रहा है। 
  • इसके लिये ऐसे मॉलिक्यूल, जो रोशनी प्रदान करने पर नाइट्रिक ऑक्साइड रिलीज़ करेंगे, फोटो डायनामिक थैरेपी के लिये बेहद महत्त्वपूर्ण होते हैं।

फोटो डायनामिक थैरेपी

  • नाइट्रोसिल कंपाउड कैंसर प्रभावित हिस्से में विज़िबल लाइट में नाइट्रिक ऑक्साइड रिलीज़ करता है।
  • फोटो डायनामिक थैरेपी नामक यह प्रक्रिया प्रभावित भाग को लक्ष्य बनाकर दवा रिलीज करने के कॉन्सेप्ट पर काम करती है। इसके लिये रोशनी का प्रयोग किया जाता है।
  • इस संबंध में की गई शोधों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, नाइट्रिक ऑक्साइड में कैंसररोधी गुण विद्यमान होते हैं।
  • शोधकर्त्ताओं द्वारा इस उपचार के लिये विभिन्न प्रकार के फोटो एक्टिव रुथेनियम नाइट्रोसिल कॉम्प्लेक्स के विषय में पता लगाया गया है।
  • शोधकर्त्ताओं द्वारा इस शोध हेतु एक ऑर्गेनो मेटलिक रुथेनियम नाइट्रोसिल कॉम्प्लेक्स पर कार्य किया गया, जिसमें ऐजो ग्रुप होते हैं, जो दृश्य रोशनी में बहुत जल्दी नाइट्रिक ऑक्साइड रिलीज करने में सक्षम होते हैं। 
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