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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

प्रीलिम्स फैक्ट्स : 22 दिसंबर, 2017

  • 22 Dec 2017
  • 13 min read

यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम(Universal Immunisation Programme (U.I.P.))

भारत का सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम दुनिया के सबसे बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक है। यह दुनिया में सबसे अधिक लागत प्रभावी सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रम है।

उद्देश्य 

  • तेज़ी से टीकाकरण कवरेज को बढ़ाना।
  • सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करना।
  • स्वास्थ्य सुविधा के स्तर पर विश्वसनीय कोल्ड चेन सिस्टम स्थापित करना।
  • प्रबंधन की देखरेख करना।
  • वैक्सीन के निर्माण में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना।

प्रमुख बिंदु

  • इस कार्यक्रम के तहत गुणवत्तापूर्ण वैक्सीन का उपयोग करना, अधिक से अधिक लाभार्थियों तक पहुँच सुनिश्चित करना, टीकाकरण स्तरों का आयोजन करना, भौगोलिक प्रसार एवं क्षेत्रीय विविधता को कवर करने जैसे पक्षों को शामिल किया गया है।
  • इसके तहत निःशुल्क टीकाकरण किया जाता है। सभी लाभार्थियों को नज़दीक के सरकारी/निजी स्वास्थ्य केन्द्रों या आंगनवाड़ी केन्द्रों पर टीके लगाए जाते हैं।
  • इस कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 1985 में की गई थी।
  • इस कार्यक्रम के तहत 3 करोड़ गर्भवती महिलाओं और 2.7 करोड़ नवजात बच्चों के टीकाकरण का वार्षिक लक्ष्य निर्धारित है। 90 लाख से अधिक टीकाकरण सत्र हर साल आयोजित किये जाते हैं। 

मिशन इंद्रधनुष(Mission Indradhanush)

भारत सरकार द्वारा दिसंबर 2014 में मिशन इंद्रधनुष की शरुआत की गई। इस मिशन के तहत उन बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है जो टीकाकरण से वंचित हैं या जिन्हें आंशिक रूप से टीका लगाया गया है।

  • इस अभियान में उन ज़िलों पर अधिक ध्यान दिया गया है, जहाँ बच्चों को किसी न किसी वज़ह से टीकाकरण का फायदा नहीं मिल सका। 
  • मिशन इंद्रधनुष के चार चरणों को पूरा कर लिया गया है। इसमें 2.94 करोड़ बच्चों का टीकाकरण किया गया है, जिनमें से 76.36 लाख बच्चों को पूरी तरह से प्रतिरक्षित किया गया है।
  • इसके अलावा 76.84 लाख गर्भवती महिलाओं का टेटनस से बचाव के लिये टीकाकरण किया गया। 

सघन मिशन इंद्रधनुष(Intensified Mission Indradhanush (IMI))

वर्ष 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सघन मिशन इंद्रधनुष की शुरुआत की गई। इस कार्यक्रम के तहत भारत सरकार का लक्ष्य दो वर्ष से कम आयु के प्रत्येक बच्चे और उन सभी गर्भवती महिलाओं तक पहुँचना है, जो किसी कारण से नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत शामिल नहीं हो पाई हैं। 

  • इस विशेष अभियान के तहत टीकाकरण पहुँच में सुधार के लिये चुने हुए ज़िलों और राज्यों में दिसंबर 2018 तक पूर्ण टीकाकरण से 90 प्रतिशत से अधिक का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
  • सघन मिशन इंद्रधनुष 16 राज्यों के 121 ज़िलों, पूर्वोत्तर राज्यों के 52 ज़िलों और 17 शहरी इलाकों में आयोजित किया जाएगा जहाँ मिशन इंद्रधनुष और यू.आई.पी. के दोहराए चरणों के बावजूद टीकाकरण की कवरेज बहुत कम है। 
  • दिसंबर 2018 तक 90% से अधिक का प्रतिरक्षण टीकाकरण लक्षित है। 
  • अक्टूबर और नवंबर में आई.एम.आई. के दो आयोजनों के दौरान 190 ज़िलों और शहरी क्षेत्रों में कुल 39.19 लाख बच्चों और 8.09 लाख गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया गया।

नये टीके का परिचय

निष्क्रिय पोलियो वैक्सीन (आईपीवी)(Inactivated polio vaccine (IPV))

  • भारत पोलियो मुक्त देश है, लेकिन इस स्थिति को बनाए रखने के लिये निष्क्रिय पोलियो वैक्सीन (आईपीवी) पेश किया गया, जिसके तहत अक्टूबर, 2017 तक  देश में आईपीवी की 2.95 करोड़ दवा खुराकों की व्यवस्था की गई।

वयस्क (एडल्ट) जापानी एन्सेफलाइटिस (जेई) वैक्सीन(Japanese Encephalitis (JE vaccine))

जापानी एन्सेफलाइटिस 15 साल से कम उम्र के बच्चों में मस्तिष्क को प्रभावित करने वाला प्राणघातक वायरल रोग है। यह विषाणुजन्य रोग ‘Japanese Encephalitis Virus’ (जो कि एक flavivirus है) के कारण होता है। सामान्यतया यह रोग  ‘Japanese Encephalitis Virus’ से संक्रमित मच्छरों (मुख्य रूप से क्यूलेक्स प्रजाति के मच्छरों) के काटने से फैलता है। 

  • इसके संक्रमण से बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में तनाव, दौरा पड़ना व कोमा जैसी स्थिति बन सकती है। यह मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करता है, जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली वयस्कों की तुलना में काफी कमज़ोर होती है।
  • ‘मिशन इन्द्रधनुष’ के अंतर्गत मुख्य रूप से 7 बीमारियों को समाप्त करने हेतु टीके की व्यवस्था की गई है। किंतु, देश के कुछ चयनित राज्यों में जे.ई. तथा एच.आई.वी. के लिये भी टीके की व्यवस्था कराई गई है।
  • इस संदर्भ में राष्ट्रीय वेक्टर बॉर्न डिज़ीज कंट्रोल प्रोग्राम (एनवीबीडीसीपी) के तहत वयस्क जेई टीकाकरण के लिये असम, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के 31 प्रभावित ज़िलों की भी पहचान (15- 65 साल के आयु समूह में) की गई। 
  • वयस्क जेई टीकाकरण अभियान असम, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल के सभी 31 ज़िलों में पूरा किया गया है, जिसमें 15-65 वर्ष की आयु के 3.3 करोड़ लाभार्थियों को टीके लगाए गए हैं।

रोटावायरस वैक्सीन(rotavirus vaccine)

रोटावायरस एक प्रकार का संक्रमण है जो अतिसार का बिगड़ा हुआ रूप होता है और ठंड में अधिकतर बच्चों में फैलता है। यदि एक बच्चे को इसका संक्रमण हो जाए तो उसके संपर्क में रहने से दूसरे बच्चे को भी हो सकता है। यह विशेषकर गंदगी के कारण होता है। 

  • इसका संक्रमण होने पर बच्चे को अतिसार तथा उल्टियाँ होने लगती हैं और यह सामान्य डायरिया से अधिक खतरनाक होता है। 
  • अतिसार और उल्टियों के कारण बच्चों में निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) तक हो जाता है। 
  • रोटावायरस से होने वाला यह संक्रमण नवजात शिशु से लेकर पाँच साल तक के बच्चों में अधिक होता है।रोटावायरस युवा बच्चों के बीच गंभीर दस्त के कारण मौत के प्रमुख कारणों में से एक है।
  • फिलहाल 9 राज्यों – आंध्रप्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, मध्यप्रदेश, असम, राजस्थान, तमिलनाडु और त्रिपुरा में रोटावायरस टीका में पेश किया गया है।

खसरा-रुबेला (एम.आर) वैक्सीन(measles-rubella (MR) vaccine)

रुबेला को “जर्मन खसरा” के नाम से भी जाना जाता है। यह बीमारी रुबेला वायरस के कारण होती है। यह संक्रमित व्यक्ति की नाक और ग्रसनी से स्राव की बूँदों से या फिर सीधे रोगी व्यक्ति के संपर्क में आने पर फैलता है। 

  • रुबेला विकसित हो रहे भ्रूण में विसंगतियाँ भी पैदा कर सकता है। वस्तुतः जन्मजात रुबेला सिंड्रोम (Congenital Rubella Syndrome-CRS) उन महिलाओं के बच्चों में होने की संभावना ज़्यादा होती है जो गर्भावस्था के पहले 3 महीनों के दौरान इससे संक्रमित हुई हों। 
  • सीआरएस के लक्षणों में बहरापन, अंधापन, दिल की विकृतियाँ और मानसिक विकास में कमी शामिल हैं। हालाँकि, टीकाकरण द्वारा सीआरएस जैसी संक्रामक बीमारियों को प्रभावशाली ढंग से को रोका जा सकता है। 
  • रुबेला संक्रमण के कारण जन्मजात दोषों के प्रति सुरक्षा प्रदान करने के लिये रुबेला वैक्सीन को खसरा-रुबेला वैक्सीन के रूप में यूआईपी में पेश किया गया है। चरणबद्ध तरीके से एमआर अभियान को शुरू किया जा रहा है। हालाँकि यह 5 राज्यों/संघ-शासित प्रदेशों (कर्नाटक, तमिलनाडु, गोवा, लक्षद्वीप और पुडुचेरी) में फरवरी, 2017 से शुरू किया गया था। 
  • इन राज्यों और संघ-शासित प्रदेशों में 9-12 महीने और 16-24 महीनों में दो खुराक के रूप में नियमित टीकाकरण में एमआर टीका पेश किया गया है। 
  • अगला चरण अगस्त, 2017 से शुरू हुआ, जो 6 राज्यों/संघ-शासित प्रदेशों (आंध्र प्रदेश, चंडीगढ़, दादर और नागर हवेली, दमन और दीव, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना) में पूरा हो गया है।

निमोकोकल वैक्सीन (पीसीवी)(pneumococcal conjugate vaccine (PCV))

न्यूमोकोकल संक्रमण बीमारियों की एक व्यापक श्रृंखला का प्रतिनिधित्व करता है, जो स्ट्रैपटोकोकस निमोनिया (एस. निमोनिया) की वज़ह से होता है। यह श्वसन स्राव की छोटी-छोटी बूँदों के फैलने और उनके संपर्क में आने से या संचरण के अन्य तरीकों से एक मरीज़ से दूसरे मरीज़ तक फैल सकता है। 

  • निमोनिया: यह आमतौर पर बुखार, साँस फूलने, ठंड लगने और बलगम युक्त खाँसी के साथ होता है, गंभीर मामलों में इससे भी मौत हो सकती है। 
  • वर्ष 2008 में विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार न्यूमोकोकल संक्रमण से होने वाली बीमारियों के शिकार आधे बच्चे विश्व के पाँच देशों (भारत, चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, इंडोनेशिया और नाइजीरिया) में रहते हैं। 
  • न्‍यूमोकोकल कॉन्जगेट टीका (PCV) में शामिल एस. निमोनिया के सेरोटाइप व्यक्ति में तेज़ी से फैलने वाले गंभीर न्यूमोकोकल संक्रमण (अर्थात् मैनिंजाइटिस, बेक्टिरेमिक निमोनिया और सेप्टीसीमिया) से बचाव कर सकती है और इसलिये यह टीका लेने की सलाह दी जाती है। 
  • यूआईपी के तहत पीयूवी को मई 2017 में चरणबद्ध तरीके से शुरू किया गया था, ताकि न्यूमोकोकलल न्यूमोनिया की वज़ह से शिशुओं के मृत्यु दर को कम किया जा सके। 
  • वर्तमान में हिमाचल प्रदेश के सभी 12 ज़िलों में, उत्तर प्रदेश के 6 ज़िलों और बिहार के 17 ज़िलों में पीसीवी वैक्सीन पेश किया गया है।
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