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विद्युतीकरण गाँव की परिभाषा में बदलाव की ज़रूरत नहीं: विद्युत मंत्रालय

  • 01 May 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?
हाल ही में विद्युतीकृत गाँव की परिभाषा को लेकर हुई तमाम आलोचनाओं के बावजूद विद्युत मंत्रालय ने कहा है कि सरकार वर्तमान विद्युतीकृत गाँव की आलोचनात्मक परिभाषा को संशोधित नहीं कर रही है ध्यातव्य है कि एक गाँव  को विद्युतीकृत तब माना जाता है जब उस गाँव के कम-से-कम 10% घरों में बिजली कनेक्शन हो।

विद्युतिकृत गाँव की परिभाषा क्या है?
एक विद्युतीकृत गाँव को निम्न आधारों पर परिभाषित किया जा सकता है: 

  1. निवास योग्य स्थान पर बुनियादी ढाँचे के प्रावधान जैसे-वितरण ट्रांसफॉर्मर और आसपास के इलाकों में लाइनों की सुविधा।
  2. सार्वजनिक स्थानों जैसे- स्कूलों, पंचायत कार्यालय, स्वास्थ्य केंद्रों, औषधालयों और सामुदायिक केंद्रों में बिजली की उपलब्धता।
  3. गाँव के परिवारों की कुल संख्या में से कम से कम 10% के पास विद्युत कनेक्शन हो।
  4. ध्यातव्य है कि अक्तूबर,1997 में स्थापित इसी परिभाषा के अनुसार एक गाँव की पहचान विद्युतीकृत गाँव के रूप में की जाती है।  

ग्रामीण विद्युतीकरण  से जुड़े मुद्दे

  • बुनियादी ढाँचे और गाँव के कुछ सार्वजनिक केंद्रों के विद्युतीकरण के अलावा, गाँव के कुल परिवारों की संख्या में से केवल 10% परिवारों के पास विद्युत कनेक्शन होने के आधार पर एक गाँव को विद्युतीकृत माना जाता है, भले ही 90% परिवारों के पास बिजली कनेक्शन न हो। 
  • हालाँकि, भारत ने अब पूर्ण विद्युतीकरण का लक्ष्य हासिल कर लिया है लेकिन भारत के ग्रामीण परिवारों (अनुमानित 31 मिलियन) का लगभग पाँचवा हिस्सा अभी भी बिजली की सुविधा से वंचित है।
  • यहाँ तक की अकेले उत्तर प्रदेश राज्य में अंधेरे में रहने वालों की संख्या 13 मिलियन से अधिक है।
  • इसके अलावा, आधिकारिक आँकड़ों में कई गाँवों को विद्युतीकरण माना जाता है, किंतु वहाँ शिकायतें दर्ज की गई हैं कि गाँवों की अनदेखी के कारण ट्रांसमिशन तारों जैसे प्रमुख घटक के चोरी की घटनाएँ भी बढ़ गई हैं। 
  • हालाँकि, सरकार का कहना है कि पुराने ग्रामीण विद्युतीकरण की परिभाषा में परिवर्तन की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि सौभाग्य योजना के माध्यम से पूर्ण विद्युतीकरण और हर घर तक बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है।

सौभाग्य योजना क्या है?

  • सौभाग्य योजना का शुभारंभ ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में सार्वभौमिक घरेलू विद्युतीकरण सुनिश्चित करने के लिये किया गया।
  • इस योजना के तहत केंद्र सरकार से 60% अनुदान राज्यों को मिलेगा, जबकि राज्य अपने कोष से 10% धन खर्च करेंगे और शेष 30% राशि बैंकों से बतौर ऋण के रूप में प्राप्त करना होगा।
  • विशेष राज्यों के लिये केंद्र सरकार योजना का 85% अनुदान देगी, जबकि राज्यों को अपने पास से केवल 5% धन लगाना होगा और शेष 10% बैंकों से कर्ज़ लेना होगा।
  • ऐसे सभी चार करोड़ निर्धन परिवारों को बिजली कनेक्शन प्रदान किया जाएगा, जिनके पास अभी कनेक्शन नहीं है।
  • इस योजना का लाभ गाँव के साथ-साथ शहर के लोगों को भी मिलेगा।
  • ये मुफ्त बिजली कनेक्शन गरीब परिवारों को 2018 तक प्रदान किये जाएंगे।
  • केंद्र सरकार द्वारा बैटरी सहित 200 से 300 वाट क्षमता का सोलर पावर पैक दिया जाएगा, जिसमें हर घर के लिये 5 एलईडी बल्ब, एक पंखा भी शामिल है।
  • बिजली के इन उपकरणों की देख-रेख 5 सालों तक सरकार अपने खर्च पर करवाएगी।
  • बिजली कनेक्शन के लिये 2011 की सामाजिक, आर्थिक और जातीय जनगणना को आधार माना जाएगा। जो लोग इस जनगणना में शामिल नहीं हैं, उन्हें 500 रुपए में कनेक्शन दिया जाएगा और इसे 10 किश्तों में वसूला जाएगा।
  • सभी घरों को बिजली पहुँचाने के लिये प्री-पेड मॉडल अपनाया जाएगा।
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