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आंतरिक सुरक्षा

मासिक भत्तों के वितरण हेतु ‘पे रोल ऑटोमेशन’ (PADMA)

  • 30 Jun 2022
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

PADMA, भारतीय तटरक्षक बल, केंद्रीकृत वेतन प्रणाली, डिजिटल भारत, आत्मनिर्भर भारत, विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ), RTGS, NEFT

मेन्स के लिये:

विभिन्न सुरक्षा बल और एजेंसियाँ तथा उनके अधिदेश, केंद्रीकृत और विकेंद्रीकृत भुगतान प्रणाली, भारतीय तटरक्षक बल

चर्चा में क्यों?

हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने ‘मासिक भत्तों के वितरण के लिये पे रोल ऑटोमेशन’ (PADMA) का उद्घाटन किया, जो भारतीय तटरक्षक बल के लिये एक स्वचालित वेतन और भत्ता मॉड्यूल है।

PADMA के संबंध में मुख्य बिंदु:

  • परिचय:
    • PADMA नवीनतम तकनीक का लाभ उठाने वाला एक स्वचालित मंच है जो लगभग 15,000 भारतीय तटरक्षक कर्मियों को वेतन और भत्तों का निर्बाध एवं समय पर वितरण सुनिश्चित करेगा।
    • यह मॉड्यूल रक्षा लेखा विभाग के तत्त्वावधान में विकसित किया गया है और वेतन लेखा कार्यालय तटरक्षक, नोएडा द्वारा संचालित किया जाएगा।
  • महत्त्व:
    • इस पहल ने उस केंद्रीकृत वेतन प्रणाली की शुरुआत को चिह्नित किया है, जिसकी नींव रक्षा लेखा विभाग मुख्यालय द्वारा मंत्रालय के तहत सभी संगठनों के लिये ‘वन स्टॉप पे अकाउंटिंग’ समाधान प्रदान करने के लिये रखी जा रही है।
    • PADMA के लॉन्च से डिजिटल इंडिया विज़न की अवधारणा को मज़बूती मिलेगी। साथ ही यह एक 'आत्मनिर्भर भारत' पहल है क्योंकि पूरे मॉड्यूल को डोमेन विशेषज्ञों द्वारा सहायता प्राप्त भारतीय उद्यमियों ने डिज़ाइन और विकसित किया है।

केंद्रीकृत और विकेंद्रीकृत भुगतान प्रणाली

  • भारत में केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली में रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS) प्रणाली और राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण (NEFT) प्रणाली किसी भी अन्य प्रणाली के रूप में शामिल होंगे जिस पर समय-समय पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्णय लिया जा सकता है।
  • RTGS: यह लाभार्थियों के खाते में वास्तविक समय पर धनराशि के हस्तांतरण की सुविधा को सक्षम बनाता है और इसका प्रयोग मुख्य तौर पर बड़े लेन-देनों के लिये किया जाता है।
    • यहाँ ‘रियल टाइम’ अथवा वास्तविक समय का अभिप्राय निर्देश प्राप्त करने के साथ ही उनके प्रसंस्करण (Processing) से है, जबकि ‘ग्रॉस सेटलमेंट’ या सकल निपटान का तात्पर्य है कि धन हस्तांतरण निर्देशों का निपटान व्यक्तिगत रूप से किया जाता है।
  • NEFT: यह एक देशव्यापी भुगतान प्रणाली है, जो इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से धन के हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करती है।
    • इसका उपयोग आमतौर पर 2 लाख रुपए तक के फंड ट्रांसफर के लिये किया जाता है।
  • विकेंद्रीकरण भुगतान प्रणाली में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समाशोधन व्यवस्था [चेक ट्रंकेशन सिस्टम (CTS)] के साथ-साथ अन्य बैंक [एक्सप्रेस चेक क्लियरिंग सिस्टम (ECCS) केंद्रों की जाँच] और किसी अन्य प्रणाली के रूप शामिल होंगे जिसमें समय-समय पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्णय लिया जाएगा।
    • चेक ट्रंकेशन: यह भुगतानकर्त्ता बैंक द्वारा भुगतानकर्त्ता बैंक शाखा के रास्ते में किसी बिंदु पर ड्रॉअर द्वारा जारी किये गए भौतिक चेक के प्रवाह को रोकने की प्रक्रिया है।

भारतीय तटरक्षक बल:

  • परिचय:
    • यह भारत की एक समुद्री कानून प्रवर्तन और खोज एवं बचाव एजेंसी है, जिसका क्षेत्राधिकार इसके निकटवर्ती क्षेत्र एवं अनन्य आर्थिक क्षेत्र सहित अपने क्षेत्रीय जल पर है।
      • सन्निहित क्षेत्र: यह जल का एक बैंड है जो क्षेत्रीय समुद्र के बाहरी किनारे बेसलाइन से 24 समुद्री मील तक फैला होता है।
      • विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ): यह किसी देश में एक ऐसा क्षेत्र होता है जो एक ही देश के भीतर अन्य क्षेत्रों की तुलना में विभिन्न आर्थिक नियमों के अधीन होता है।
    • यह रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
    • ICG के गठन की अवधारणा 1971 के युद्ध के बाद अस्तित्व में आई।
    • दूरदर्शी रुस्तमजी समिति द्वारा बहुआयामी तटरक्षक बल के लिये खाका तैयार किया गया था।
  • कार्य:
    • तस्करी को रोकना: ICG के प्राथमिक कर्तव्यों में से एक समुद्री मार्गों से तस्करी को रोकना है।
    • नागरिकों को सहायता: इसने अपने विभिन्न कार्यों के दौरान अब तक लगभग 13,000 नागरिकों को बचाया है। बाढ़, चक्रवात एवं अन्य प्राकृतिक आपदाओं के दौरान भी नागरिकों को सहायता प्रदान की।
    • समुद्री सुरक्षा: यह अंतर्राष्ट्रीय समुद्री अपराधों का मुकाबला करने और अपने अधिकार वाले क्षेत्र के साथ ही हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा बढ़ाने हेतु तटवर्ती देशों के साथ भी सहयोग करता है।
    • सागर पहल (Security and Growth for All in the Region-SAGAR) तथा नेबरहुड फर्स्ट’ (Neighbourhood First) की नीति के तहत ICG ने महासागरों में व्यावसायिक संबंधों का विकास किया है और महासागर शांति स्थापना के लिये हिंद महासागर क्षेत्र के देशों के साथ संबंध स्थापित किये हैं।
    • आपदा प्रबंधन में भूमिका: ICG ने बड़ी पारिस्थितिक आपदाओं के दौरान सफलतापूर्वक सुरक्षा प्रदान की है और इस क्षेत्र में 'प्रथम प्रतिक्रियाकर्त्ता' (First Responder) के रूप में उभरा है।
      • उदाहरण के लिये आईसीजी ने हाल ही में श्रीलंका तट पर सागर आरक्षा-II के रासायनिक वाहक एमवी एक्सप्रेस पर्ल जहाज़ पर आग बुझाकर गंभीर पारिस्थितिक आपदा को सफलतापूर्वक टाल दिया।

स्रोत: पी.आई.बी.

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