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आपदा जोखिम न्यूनीकरण हेतु पैरामीट्रिक बीमा

  • 30 Jul 2025
  • 43 min read

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन और बादल फटने के साथ-साथ 20 से अधिक बार अचानक बाढ़ आई, जिससे जलवायु परिवर्तन और भारत में बढ़ते आपदा जोखिम के कारण चरम मौसम की घटनाओं की अप्रत्याशितता उजागर हुई।

  • वर्ष 2019 और 2023 के बीच भारत को मौसम संबंधी आपदाओं के कारण 56 बिलियन डॉलर से ज़्यादा का नुकसान हुआ। इस संदर्भ में, पैरामीट्रिक इंश्योरेंस जलवायु संबंधी जोखिमों के प्रबंधन के लिये एक त्वरित और पारदर्शी साधन के रूप में उभर रहा है।

भारत में बढ़ते आपदा जोखिमों से संबंधित प्रमुख आँकड़े क्या हैं?

  • वर्ष 1900 से अब तक भारत में 764 प्रमुख प्राकृतिक आपदाएँ दर्ज की गई हैं, जिनमें से लगभग 50% आपदाएँ वर्ष 2000 के बाद हुई हैं, जो जलवायु अस्थिरता में वृद्धि को दर्शाती हैं।
    • विश्व बैंक के अनुसार, वर्ष 1997 के बाद से भारत का सूखा-प्रवण क्षेत्र 57% तक बढ़ गया है, जबकि वर्ष 2012 के बाद से अत्यधिक वर्षा की घटनाएँ लगभग 85% तक बढ़ी हैं। 
  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) का अनुमान है कि वर्ष 2030 तक अत्यधिक गर्मी और आर्द्रता के कारण श्रम घंटों की हानि से भारत के GDP का लगभग 4.5% जोखिम में पड़ सकता है
    • एशिया-प्रशांत क्षेत्र में जलवायु से संबंधित कुल नुकसानों में भारत की हिस्सेदारी लगभग 25% रही है, जो दक्षिण एशिया में सबसे अधिक है।
    • ऐसी आपदाओं की बढ़ती आवृत्ति, तीव्रता और आर्थिक बोझ को देखते हुए, नवीन बीमा समाधानों को संस्थागत बनाने की तत्काल आवश्यकता है।

पैरामीट्रिक इंश्योरेंस क्या है? 

  • परिभाषा: यह एक प्रकार का इंश्योरेंस जिसमें जिसमें भुगतान तब स्वतः हो जाता है जब पूर्व-निर्धारित मानदंड (जैसे वर्षा, तापमान, भूकंपीय गतिविधि आदि) एक निश्चित सीमा को पार कर जाते हैं।
    • पारंपरिक इंश्योरेंस के विपरीत, जिसमे भौतिक क्षति के आकलन की आवश्यकता होती है, पैरामीट्रिक इंश्योरेंस पूर्वनिर्धारित मौसम ट्रिगर्स (वर्षा या हवा की गति) के आधार पर भुगतान प्रदान करता है। यह प्रणाली, विशेष रूप से विस्तृत आपदाओं के दौरान तेज़, सरल और परेशानी-मुक्त मुआवज़ा सुनिश्चित करती है।
  • संबंधित केस स्टडीज़:
    • राजस्थान और उत्तर प्रदेश में जल संतुलन सूचकांक (Water Balance Index) का उपयोग कर महिला लघु कृषकों को सूखे से सुरक्षा प्रदान की गई। उन्हें स्वचालित ऋण सहायता दी गई।
    • नगालैंड भारत का पहला राज्य बना जिसने आपदा न्यूनीकरण निधियों का उपयोग कर भूस्खलन और अत्यधिक वर्षा के लिये बहु-वर्षीय पैरामीट्रिक कवर खरीदा।
    • वैश्विक स्तर पर, अफ्रीका, प्रशांत द्वीप समूह और ब्रिटेन के देशों द्वारा सूखे और बाढ़ से लेकर चक्रवाती पवनों और बाढ़ की गहराई तक सब कुछ कवर करने हेतु पैरामीट्रिक उत्पादों का उपयोग किया जाता है।

पैरामीट्रिक इंश्योरेंस को आपदा जोखिम न्यूनीकरण ढाँचे में किस प्रकार एकीकृत किया जा सकता है?

  • राज्य आपदा योजनाओं में पैरामीट्रिक मॉडल को शामिल करना: राज्यों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये कि वे राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) या आपदा प्रबंधन कोष (Disaster Management Fund) के अंतर्गत "स्मार्ट राज्यों के लिये स्मार्ट कवर" के रूप में पैरामीट्रिक इंश्योरेंस नीतियाँ अपनाएँ।
  • क्षेत्र-विशिष्ट कवरेज का विस्तार करना: इंश्योरेंस कवरेज को कृषि क्षेत्र (जो सूखा एवं बाढ़–दोनों प्रवण क्षेत्रों में किसानों की मदद कर सकता है), नवीकरणीय ऊर्जा, परिवहन और एमएसएमई क्षेत्रों में बढ़ाया जाए ताकि आर्थिक संकटों की शृंखला को रोका जा सके।
  • जलवायु-सम्बंधित माइक्रोफाइनेंस उत्पाद विकसित करना: वित्तीय संस्थान ऐसी योजनाएँ तैयार कर सकते हैं जिनमें मौसमीय संकटों के समय ऋण अपने-आप कवर हो जाएँ, जिससे कमज़ोर वर्गों को समय पर राहत मिल सके।
    • कमज़ोर उधारकर्त्ताओं, जैसे छोटे किसानों के लिये “पहले से सोच-समझकर योजना बनाने वाले इंश्योरेंस (इंश्योरेंस दैट थिंक अहेड)” को प्रोत्साहित करता है।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देना: बेहतर मॉडल और पहुँच के लिये पुनर्बीमाकर्त्ताओं, कृषि-तकनीक फर्मों और स्टार्टअप्स के साथ सहयोग करना।

निष्कर्ष: 

पैरामीट्रिक इंश्योरेंस आपदा प्रतिक्रिया को प्रतिक्रियात्मक मुआवज़े से सक्रिय सुरक्षा की ओर रूपांतरित करता है। यह सेंडाई आपदा जोखिम न्यूनीकरण फ्रेमवर्क पर आधारित होकर न केवल वित्तीय अनुकूलता सुनिश्चित करता है, बल्कि ग्लोबल वार्मिंग का सामना करते हुए विश्व में जलवायु न्याय को भी सुनिश्चित करता है।

मुख्य परीक्षा हेतु संबंधित कीवर्ड: 

  • जलवायु परिवर्तन और आपदा लचीलापन
    • पूर्वानुमानित अनिश्चितता: जलवायु संबंधी चरम स्थितियाँ ज्ञात जोखिम हैं, ये कोई ब्लैक स्वान (अत्यंत दुर्लभ और अप्रत्याशित घटना) नहीं रहीं।
    • “बचाव से लचीलेपन की ओर”: प्रतिक्रियात्मक राहत से सक्रिय तैयारी की ओर बदलाव।
    • "शमन निवेश है, व्यय नहीं": जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये किया गया व्यय एक आर्थिक समझदारीपूर्ण निवेश है।
  • पैरामीट्रिक बीमा और जलवायु वित्त
    • “हानि आकलन से हानि पूर्वानुमान तक”: पूर्वानुमान-आधारित वित्तीय सुरक्षा।
    • "तरलता पहली राहत है": आपदा के बाद तीव्र वित्तीय प्रवाह से सुधार सुनिश्चित होता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

मेन्स:

प्रश्न. आपदा प्रबंधन में पूर्ववर्ती प्रतिक्रियात्मक उपागम से हटते हुए भारत सरकार द्वारा आरंभ किये गए अभिनूतन उपायों की विवेचना कीजिये। (2020)

प्रश्न. आपदा प्रभावों और लोगों के लिये उसके खतरे को परिभाषित करने हेतु भेद्यता एक अत्यावश्यक तत्त्व है। आपदाओं के प्रति भेद्यता का किस प्रकार और किन-किन तरीकों के साथ चरित्र-चित्रण किया जा सकता है? आपदाओं के संदर्भ में भेद्यता के विभिन्न प्रकारों पर चर्चा कीजिये। (2019)

प्रश्न. भारत में आपदा जोखिम न्यूनीकरण (डी० आर० आर०) के लिये 'सेंडाई आपदा जोखिम न्यूनीकरण प्रारूप (2015-2030)' हस्ताक्षरित करने से पूर्व एवं उसके पश्चात् किये गए विभिन्न उपायों का वर्णन कीजिये। यह प्रारूप 'हयोगो कार्रवाई प्रारूप, 2005' से किस प्रकार भिन्न है?  (2018)

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