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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

पाकिस्तान द्वारा वायु मार्ग की स्वतंत्रता का उल्लंघन

  • 09 Nov 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारत-पाकिस्तान संबंध, शिकागो कन्वेंशन, अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन

मेन्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन द्वारा प्रदत्त फ्रीडम ऑफ द एयर

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत ने बजट एयरलाइन गो फर्स्ट (जिसे पहले GoAir के नाम से जाना जाता था) द्वारा संचालित श्रीनगर और शारजाह (UAE) के बीच सीधी उड़ान सेवा शुरू की है। इस विमान को पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र से गुज़रना था।

  • हालाँकि उड़ान को पाकिस्तान में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई और गंतव्य तक पहुँचने के लिये उड़ान को लंबा रास्ता तय करना पड़ा।
  • इससे पाकिस्तान द्वारा वायु मार्ग की प्राथमिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने की चिंता बढ़ गई है।

प्रमुख बिंदु

  • फ्रीडम ऑफ द एयर:
    • वायुमार्ग की स्वतंत्रता (The freedom of air) का अर्थ है कि कोई देश किसी विशेष देश की एयरलाइनों को दूसरे देश के हवाई क्षेत्र का उपयोग करने और/या वहाँ उतरने का विशेषाधिकार देता है।
    • वायु मार्ग शासन की स्वतंत्रता वर्ष 1944 के शिकागो कन्वेंशन से निर्गत है।
    • कन्वेंशन के हस्ताक्षरकर्ताओं ने ऐसे नियम निर्धारित करने का निर्णय लिया जो अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक विमानन के लिये मौलिक निर्माण प्रक्रिया (Building Blocks) के रूप में कार्य करेंगे।
    • यह कन्वेंशन नौ वायु मार्गों की स्वतंत्रता प्रदान करता है, लेकिन केवल पहली पाँच स्वतंत्रताओं/फ्रीडम को अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) द्वारा आधिकारिक तौर पर मान्यता दी गई है।
      • पहला अधिकार: यह अधिकार एक राष्ट्र द्वारा दूसरे राष्ट्र या राष्ट्रों को लैंडिंग किये बिना अपने क्षेत्र में उड़ान भरने के लिये दिया जाता है।
        • गो फर्स्ट (GoFirst) विमान (भारतीय वाहक) उड़ान के लिये पाकिस्तान (द्वितीयक देश) के हवाई क्षेत्र का उपयोग कर रही थी और इस विमान को संयुक्त अरब अमीरात (तीसरे देश) में उतरना था।
      • दूसरा अधिकार: गैर-यातायात उद्देश्यों के लिये एक राष्ट्र द्वारा दूसरे राष्ट्र या राष्ट्रों को अपने क्षेत्र में उतरने के लिये अनुसूचित अंतर्राष्ट्रीय हवाई सेवाओं के संबंध में अधिकार या विशेषाधिकार प्राप्त है।
        • इसका आशय है कि नई दिल्ली से न्यूयॉर्क जाने वाली एयर इंडिया की एक फ्लाइट ब्रिटिश हवाई अड्डे पर उतर सकती है ताकि यात्रियों को सवार किये या उतारे बिना ईंधन भरा जा सके।
      • तीसरा अधिकार: पहले राष्ट्र के क्षेत्र में वाहक के गृह राष्ट्र से आने वाले यातायात को कम करना।
      • चौथा अधिकार: पहले राष्ट्र के क्षेत्र में मालवाहक के गृह राज्य हेतु नियत यातायात के तहत उड़ान भरना।
      • पाँचवाँ अधिकार: पहले राष्ट्र के क्षेत्र में तीसरे राष्ट्र से आने या जाने वाले यातायात को रोकना और उड़ान भरना।
  • भारत के विकल्प:
    • पाकिस्तान द्वारा हवाई क्षेत्र से उड़ान भरने से इनकार करना एक उल्लंघन है और शिकागो सम्मेलन द्वारा निर्धारित सिद्धांतों के खिलाफ है।
      • इससे पहले भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहाँ पाकिस्तान ने अपने हवाई क्षेत्र में प्रवेश से इनकार किया है।
    • भारत इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) के समक्ष रख सकता है।

अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO):

  • यह संयुक्त राष्ट्र (United Nations-UN) की एक विशिष्ट एजेंसी है, जिसे वर्ष 1944 में स्थापित किया गया था, जिसने शांतिपूर्ण वैश्विक हवाई नेविगेशन के लिये मानकों और प्रक्रियाओं की नींव रखी।
    • अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संबंधी अभिसमय/कन्वेंशन पर 7 दिसंबर, 1944 को शिकागो में हस्ताक्षर किये गए। इसलिये इसे शिकागो कन्वेंशन भी कहते हैं।
    • शिकागो कन्वेंशन ने वायु मार्ग के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय परिवहन की अनुमति देने वाले प्रमुख सिद्धांतों की स्थापना की और ICAO के निर्माण का भी नेतृत्व किया।
  • इसका एक उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय हवाई परिवहन की योजना एवं विकास को बढ़ावा देना है ताकि दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय नागरिक विमानन की सुरक्षित तथा व्यवस्थित वृद्धि सुनिश्चित हो सके।
    • भारत इसके 193 सदस्यों में से है।
  • इसका मुख्यालय मॉन्ट्रियल, कनाडा में है।

स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस

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