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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

ओपन स्काई समझौता

  • 09 Jul 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये

कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल सिविल एविएशन, शिकागो कन्वेंशन

मेन्स के लिये

‘ओपन स्काई समझौते’ के तहत भारत की बढ़ती भूमिका 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात (United Arab Emirates) ने भारत के साथ एक ‘खुला आकाश समझौता’ या ‘ओपन स्काई समझौता’ (Open Sky Agreement) करने की इच्छा व्यक्त की।

United-Arab-Emirates

प्रमुख बिंदु:

ओपन स्काई समझौता (Open Sky Agreement) क्या है?

  • ओपन स्काई समझौता दो देशों के मध्य द्विपक्षीय समझौता होता है जिसके तहत दोनों देश अंतर्राष्ट्रीय यात्री एवं कार्गो सेवा प्रदान करने हेतु अपनी-अपनी एयरलाइंस के लिये अधिकार प्रदान करने के लिये आपस में बातचीत करते हैं।
  • यह अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों एवं कार्गो उड़ानों के विस्तार को बढ़ावा देता है।

वायु सेवा समझौता (Air Service Agreement):

  • भारत ने 109 देशों के साथ वायु सेवा समझौता (Air Service Agreement) किया है जिनमें संयुक्त अरब अमीरात शामिल है। 
    • इस समझौते में उड़ानों, सीटों, लैंडिंग बिंदुओं एवं कोड-शेयर की संख्या से संबंधित विभिन्न पहलू शामिल किये जाते हैं किंतु यह समझौता दो देशों के बीच असीमित संख्या में उड़ानों की अनुमति नहीं देता है। 
  • भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच ‘ओपन स्काई समझौता’ दोनों देशों के चयनित शहरों के मध्य असीमित संख्या में उड़ानों की अनुमति देगा।

भारत की ओपन स्काई नीति (India’s Open Sky Policy):

  • भारत सरकार की वर्ष 2016 की राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति (National Civil Aviation Policy) दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (South Asian Association for Regional Cooperation- SAARC) देशों के साथ-साथ नई दिल्ली से 5,000 किलोमीटर के दायरे में आने वाले देशों के साथ पारस्परिक आधार पर 'खुले आकाश' (Open Sky) हवाई सेवा समझौते को अपनाने की अनुमति देती है।
    • इसका तात्पर्य है कि नई दिल्ली से 5000 किलोमीटर की दूरी वाले देश एक द्विपक्षीय समझौता कर सकते हैं और आपस में उन उड़ानों की संख्या निर्धारित कर सकते हैं जिसे उनकी एयरलाइंस दोनों देशों के बीच संचालित करती हैं।
  • उल्लेखनीय है कि भारत ने ग्रीस, जमैका, गुयाना, फिनलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान आदि के साथ ओपन स्काई समझौते (Open Sky Agreement) किये हैं।

पाँचवीं एवं छठवीं फ्रीडम ऑफ एयर

(Fifth and Six Freedoms of Air): 

  • भारतीय एयरलाइंस के हितों को अन्य एयर कैरियर से खतरे के मद्देनज़र संयुक्त अरब अमीरात ने यह भी उल्लेख किया है कि वह पाँचवीं एवं छठवीं ‘फ्रीडम ऑफ एयर’ को लागू करने का इच्छुक नहीं है।  
    • ‘फ्रीडम ऑफ एयर’ की अवधारणा वर्ष 1944 के ‘कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल सिविल एविएशन’ (Convention on International Civil Aviation) जिसे शिकागो कन्वेंशन (Chicago Convention) भी कहा जाता है, में विमानन उदारीकरण की सीमा पर असहमति के परिणामस्वरूप तैयार की गई थी।
    • शिकागो कन्वेंशन (Chicago Convention) वर्ष 1947 से प्रभावी हुआ था। 
    • ‘फ्रीडम ऑफ एयर’ एक वाणिज्यिक विमानन अधिकारों का एक समूह है जो किसी देश की एयरलाइनों को किसी अन्य देश के हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने एवं उतरने का विशेषाधिकार प्रदान करता है।
    • पाँचवीं ‘फ्रीडम ऑफ एयर’ में दो देशों के बीच उड़ान भरने का अधिकार शामिल है जो अपने ही देश से शुरू या समाप्त होने वाली उड़ान का संचालन करते हैं।
    • छठवीं ‘फ्रीडम ऑफ एयर’ में गैर-तकनीकी कारणों से अपने देश में रुकने के अलावा एक विदेशी देश से दूसरे देश में उड़ान भरने का अधिकार शामिल है।

आगे की राह:

  • वर्तमान में द्विपक्षीय वायु सेवा समझौते (Air Service Agreement) के तहत भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच एक सप्ताह में लगभग 1068 उड़ानें संचालित की जाती हैं। 
  • इसलिये भारत और संयुक्त अरब अमीरात को एक ‘ओपन स्काई नीति’ बनाने की आवश्यकता है जो भविष्य में भारत को एक वाणिज्यिक केंद्र बनने में मदद करेगी। 

स्रोत: द हिंदू

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