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भारतीय अर्थव्यवस्था

निर्यात तत्परता सूचकांक 2020

  • 27 Aug 2020
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये

निर्यात तत्परता सूचकांक

मेन्स के लिये

भारतीय निर्यात क्षेत्र की दशा और दिशा

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नीति आयोग ने इंस्टीट्यूट ऑफ कॉम्पिटेटिवनेस ( Institute of Competitiveness) के साथ संयुक्त रूप से निर्यात तत्परता सूचकांक (Export Preparedness Index-EPI) 2020 जारी किया है।

सूचकांक संबंधी प्रमुख बिंदु

  • राज्यों की निर्यात तत्परता का मूल्यांकन करने के उद्देश्य से तैयार किये गए निर्यात तत्परता सूचकांक (EPI) 2020 में गुजरात को पहला स्थान प्राप्त हुआ है। इस सूचकांक में गुजरात के बाद दूसरा और तीसरा स्थान क्रमशः महाराष्ट्र और तमिलनाडु को मिला है।
  • शीर्ष 10 में स्थान प्राप्त करने वाले अन्य राज्यों में राजस्थान, ओडिशा, तेलंगाना, हरियाणा, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और केरल शामिल हैं।
  • समग्र तौर पर निर्यात तत्परता के मामले में भारत के तटीय राज्यों का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा और इस सूचकांक में शीर्ष 10 राज्यों में से 6 तटीय राज्य हैं।
  • पूरी तरह से भू-सीमा से घिरे हुए राज्यों में राजस्थान ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है, जिसके बाद तेलंगाना और हरियाणा का स्थान है।
  • हिमालयी राज्यों में उत्तराखंड को पहला स्थान, जबकि त्रिपुरा और हिमाचल प्रदेश क्रमशः दूसरा और तीसरा स्थान प्राप्त हुआ है।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान में, भारत के 70 प्रतिशत निर्यात में पाँच राज्यों- महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु और तेलंगाना का वर्चस्व मौजूद है।
  • रिपोर्ट यह भी रेखांकित करती है कि निर्यात अनुकूलन और तत्परता केवल समृद्ध राज्यों तक ही सीमित नहीं है। कई ऐसे भी राज्य हैं जो उतने अधिक समृद्ध नहीं हैं, किंतु उन्होंने निर्यात को बढ़ावा देने के लिये कई उपाय आरंभ किये हैं।

भारत में निर्यात

  • कई विशेषज्ञ निर्यात को आर्थिक विकास के महत्त्वपूर्ण कारकों में से एक मानते हैं। प्रायः यह देखा गया है कि पारंपरिक आयात प्रतिस्थापन की नीति से अधिक निर्यात-उन्मुख नीति देश के उच्च और निरंतर आर्थिक विकास में अधिक भूमिका अदा करती है।
    • उदाहरण के लिये जापान ने 1960 के दशक में निर्यात-उन्मुख नीति का अनुसरण किया था, जिसके प्रभावस्वरूप 1960 के दशक में उसका व्यापार निर्यात 16.9 प्रतिशत की दर से और 1970 के दशक में 21 प्रतिशत की दर से बढ़ा था।
  • इस प्रकार हम कह सकते हैं कि यदि भारत को आर्थिक वृद्धि करनी है तो निर्यात में बढ़ोतरी करना भारत की विकास नीति का अभिन्न अंग होना चाहिये।
  • बीते कुछ वर्षों में भारत के व्यापारिक निर्यात में काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है, आँकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2016-17 में भारत के व्यापारिक निर्यात में 275.9 बिलियन डॉलर, वित्तीय वर्ष 2017-18 में 303.5 बिलियन डॉलर और वित्तीय वर्ष 2018-19 में 331.0 बिलियन डॉलर तक वृद्धि दर्ज की गई।
  • हालाँकि कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी ने भारत समेत विश्व की संपूर्ण अर्थव्यवस्था को एक बड़ा झटका दिया है।

निर्यात पर COVID-19 का प्रभाव

  • कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी ने वैश्विक व्यापार परिदृश्य में व्यापक पैमाने पर बदलाव किये हैं। कोरोना काल में विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में उत्पादन का कार्य लगभग बंद हो गया है, जिसके कारण वैश्विक स्तर पर निर्यात काफीअधिक प्रभावित हुआ है।
  • अंकटाड (United Nations Conference on Trade and Development- UNCTAD) द्वारा किया गया एक अध्ययन दर्शाता है कि महामारी काल के दौरान वैश्विक स्तर पर नियत में कुल 50 बिलियन डॉलर की कमी आई है।
  • आँकड़ों की माने तो वायरस के प्रभावस्वरूप अप्रैल, 2020 में भारत के निर्यात में 60 प्रतिशत की कमी आई है।

निर्यात संवर्द्धन की प्रमुख चुनौतियाँ

  • रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में निर्यात संवर्द्धन को मुख्य तौर पर तीन बुनियादी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है:
    • निर्यात अवसंरचनाओं में अंतःक्षेत्रीय विषमताएँ,
    • राज्यों के बीच निम्न व्यापार सहायता तथा विकास अनुकूलन,
    • निर्यात को बढ़ावा देने के लिये निम्न अनुसंधान एवं विकास अवसंरचना।

सुझाव

  • रिपोर्ट में प्रस्तुत की गई चुनौतियों का सामना करने के लिये प्रमुख कार्यनीतियों पर ज़ोर दिये जाने की आवश्यकता है, जिसमे:
    • निर्यात अवसंरचना का संयुक्त विकास
    • उद्योग-शिक्षा क्षेत्र के बीच संपर्क का सुदृढ़ीकरण
    • आर्थिक कूटनीति के लिये राज्य-स्तरीय भागीदारी में बढ़ोतरी
  • 'आत्मनिर्भर भारत' पर ज़ोर देते हुए भारत को एक विकसित अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को अर्जित करने के लिये सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में निर्यात को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।

निर्यात तत्परता सूचकांक (EPI)

  • भारतीय राज्यों की निर्यात तत्परता का मूल्यांकन करने के लिये निर्यात तत्परता सूचकांक के निर्माण का विचार सर्वप्रथम वर्ष 2019 में नीति आयोग के समक्ष आया था।
  • प्रतिस्पर्द्धी संघवाद की भावना को मद्देनज़र रखते हुए नीति आयोग का निर्यात तत्परता सूचकांक (EPI) उन सभी कारकों का आकलन करता है जो किसी राज्य अथवा केंद्र शासित प्रदेश के निर्यात प्रदर्शन को निर्धारित करने में अनिवार्य भूमिका अदा करते हैं।
  • निर्यात तत्परता सूचकांक का मुख्य उद्देश्य भारतीय निर्यात क्षेत्र के लिये चुनौतियों और अवसरों की पहचान करना, सरकारी नीतियों की प्रभावोत्पादक को बढ़ाना और एक सुविधाजनक नियामकीय संरचना को प्रोत्साहित करना है।
  • निर्यात तत्परता सूचकांक (EPI) की संरचना में कुल 4 स्तंभ- (1) नीति (2) व्यवसाय परितंत्र (3) निर्यात परितंत्र (4) निर्यात निष्पादन शामिल हैं, इसके अलावा इन सभी स्तंभों में कुछ उप-स्तंभ भी शामिल हैं।

स्रोत: पी.आई.बी

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