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भारतीय राजव्यवस्था

नीति आयोग द्वारा सहकारी संघवाद का आह्वान

  • 07 Jun 2025
  • 15 min read

प्रिलिम्स के लिये:

नीति आयोग, प्रधानमंत्री (पीएम), GST परिषद, समग्र शिक्षा निधि, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, अंतर्राज्यीय परिषद, पंजाब का सतलुज-यमुना लिंक, राष्ट्रीय जल नीति  

मेन्स के लिये:

केंद्र-राज्य संबंध, भारत में संघवाद, विकसित भारत के निर्माण में राज्यों की भूमिका।

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

नीति आयोग शासी परिषद ने मई 2025 में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में ‘विकसित भारत@2047 के लिये विकसित राज्य’ थीम पर अपनी 10वीं बैठक आयोजित की। इस बैठक में राष्ट्रीय विकास उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने के महत्त्व पर ज़ोर दिया गया।

नीति आयोग शासी परिषद की 10वीं बैठक के प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?

  • राज्य-विशिष्ट मांगें: तमिलनाडु ने केंद्रीय करों में 50% हिस्सा (वर्तमान 33% के मुकाबले) और एक स्वच्छ कावेरी मिशन की मांग की।
    • पंजाब ने यमुना जल अधिकारों में न्यायसंगत हिस्सा तथा सीमा सुरक्षा और नशा नियंत्रण के लिये वित्तीय सहायता की मांग की।
  • व्यापार और निवेश पर बल: राज्यों से नीति संबंधी अड़चनों को दूर करने, अप्रासंगिक कानूनों को निरस्त करने और निवेश के अनुकूल वातावरण तैयार करने को कहा गया।
    • वैश्विक निवेश आकर्षित करने के लिये नीति आयोग को एक ‘निवेश-अनुकूल घोषणा-पत्र’ तैयार करने का निर्देश दिया गया।
  • सुरक्षा तैयारी: प्रधानमंत्री ने दीर्घकालिक सुरक्षा तैयारियों और आधुनिक नागरिक सुरक्षा तंत्र की आवश्यकता पर बल दिया।
    • ऑपरेशन सिंदूर (जिसने पाकिस्तान में आतंकी ढाँचों को निशाना बनाया) को उपस्थित सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का सर्वसम्मत समर्थन प्राप्त हुआ।
  • आर्थिक एवं औद्योगिक विकास: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने 5 वर्षों में अपने सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) को दोगुना और प्रति व्यक्ति आय को 10 गुना बढ़ाने के लिये 3T मॉडल (प्रौद्योगिकी, पारदर्शिता, परिवर्तन) प्रस्तुत किया।
    • आंध्र प्रदेश ने GDP वृद्धि, जनसंख्या प्रबंधन और AI-संचालित शासन पर उप-समूहों का सुझाव दिया।
  • सतत् विकास और सामाजिक सुधार: प्रधानमंत्री ने वैश्विक मानक वाले पर्यटन स्थलों (प्रत्येक राज्य में एक) और हरित ऊर्जा/हाइड्रोजन निवेश पर ज़ोर दिया।
    • टियर 2/3 शहरों में शहरी नियोजन पर ध्यान केंद्रित करना, साइबर सुरक्षा में युवाओं को कुशल बनाना और महिलाओं की कार्यबल भागीदारी को बढ़ावा देना।

सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने में नीति आयोग की क्या भूमिका है?

  • मज़बूत प्रतिस्पर्द्धा संघवाद: यह डेटा-संचालित सूचकांक और राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक, आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम (ADP), समग्र जल प्रबंधन सूचकांक तथा राज्य ऊर्जा और जलवायु सूचकांक जैसे पारदर्शी रैंकिंग के माध्यम से राज्यों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देता है, जिससे क्षेत्रीय सुधार होता है।
  • उन्नत सहकारी संघवाद: यह केंद्र और राज्य सरकारों के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करता है तथा क्षेत्रीय प्राथमिकताओं को राष्ट्रीय लक्ष्यों के साथ संरेखित करता है। 
    • उदाहरणों में सामूहिक विकास के लिये टीम इंडिया हब तथा मंत्रालय और साझेदारों के घनिष्ठ सहयोग के माध्यम से 112 अविकसित ज़िलों पर ध्यान केंद्रित करने वाला आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम (ADP) शामिल है।
  • शासन एवं नीति परामर्श: इसने विकेंद्रीकृत शासन दृष्टिकोण के साथ वित्तीय आवंटन से हटकर नीति परामर्श पर ध्यान केंद्रित किया।
    • यह बेहतर प्रशासन और नीति क्रियान्वयन के लिये राज्य परिवर्तन संस्थान (SIT) की स्थापना में राज्यों को सहायता प्रदान करता है।
  • क्षेत्रीय और अंतर-क्षेत्रीय सामाजिक हस्तक्षेप: यह उत्तर पूर्व के लिये नीति फोरम, एसएटीएच-ई, पोषण अभियान, राज्य स्वास्थ्य सूचकांक एवं शिक्षा सुधार जैसे असमानताओं को दूर करने वाली पहलों का नेतृत्व करता है।
    • नीति आयोग गुजरात के औद्योगिक गलियारों और तमिलनाडु के कौशल विकास कार्यक्रमों जैसे सफल मॉडलों को साझा करने की सुविधा प्रदान करके तथा सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल को बढ़ावा देकर विकसित और विकासशील राज्यों के बीच की खाई को पाटने में सहायता करता है।
  • डिजिटल परिवर्तन: यह अटल इनोवेशन मिशन (अटल टिंकरिंग लैब्स और इनक्यूबेशन सेंटर सहित), नॉलेज एंड इनोवेशन हब तथा नेशनल डेटा एंड एनालिटिक्स प्लेटफॉर्म (NDAP) के माध्यम से नवाचार को बढ़ावा देता है, साथ ही डिजिटल भुगतान रोडमैप भी तैयार करता है।
  • नीति आयोग अनुसंधान एवं विकास केंद्रों को टियर-2 और टियर-3 शहरों तक विस्तारित कर सकता है (उदाहरण के लिये, पुणे के टेक पार्कों को नागपुर तक विस्तारित करना) तथा उभरते राज्यों में स्टार्टअप्स को मार्गदर्शन प्रदान कर सकता है।

सहकारी संघवाद को प्रोत्साहित करने में मुख्य चुनौतियाँ क्या हैं?

  • संघीय संवाद का अभाव: नीति आयोग की संचालन परिषद की सीमित बैठकें (वर्ष में केवल एक बार) और GST परिषद की बैठकों में देरी के कारण सामूहिक समाधान के बजाय व्यक्तिगत शिकायतों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप GST सुधार और मुआवज़ा विवाद जैसे प्रमुख क्षेत्रों में नीतिगत गतिरोध उत्पन्न हो रहा है।
  • संघवाद को दुर्बल करना: केंद्र ने अनुपालन को लागू करने के लिये वित्तीय उत्तोलन का उपयोग किया है, जैसे कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 का विरोध करने के लिये तमिलनाडु के समग्र शिक्षा अभियान निधि के केंद्रीय हिस्से को रोकना। यह कार्रवाई सहकारी संघवाद की भावना को दुर्बल करती है, इसे केवल भाषण तक सीमित कर देती है। 
    • राज्यों की राष्ट्रीय योजनाओं जैसे- पीएम-किसान और स्मार्ट सिटीज़ में सीमित भागीदारी है, जिससे कार्यान्वयन में चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं।
  • अनुचित कर हस्तांतरण: राज्य वित्त आयोग के हस्तांतरण में 50% कर हिस्सेदारी की मांग कर रहे हैं (जो वर्तमान में 41% है) और इसका कारण GST के कारण राजकोषीय स्वायत्तता का ह्रास तथा राजस्व वृद्धि की धीमी गति है।
    • समृद्ध राज्य जैसे- तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र केंद्र सरकार के कर पूल में अधिक योगदान देते हैं, लेकिन उन्हें करों के वितरण में अपेक्षाकृत कम हिस्सा मिलता है, जबकि बिहार, उत्तर प्रदेश तथा झारखंड जैसे गरीब राज्य केंद्रीय अनुदानों पर निर्भर रहते हैं, जिससे राजकोषीय असमानता बढ़ती है। 
  • अंतर-राज्यीय असमानताएँ: महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु जैसे विकसित राज्य मज़बूत बुनियादी ढाँचे के कारण तेज़ी से विकास करते हैं, जबकि कमज़ोर राज्य नीतिगत बाधाओं के कारण पिछड़ जाते हैं।   
    • राज्यों के बीच अपर्याप्त वित्तीय हस्तांतरण के कारण गरीब क्षेत्रों से मुंबई और दिल्ली जैसे समृद्ध क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लोग प्रवास करते हैं।
    • छत्तीसगढ़ तथा ओडिशा जैसे राज्य खनिजों और वनों जैसे प्राकृतिक संसाधनों के माध्यम से बड़े पैमाने पर योगदान करते हैं, लेकिन विकास के लिये अपेक्षाकृत कम वित्तीय सहायता प्राप्त करते हैं, जिससे उनकी विकास क्षमता सीमित रह जाती है।
  • जल एवं सीमा विवाद: कावेरी (तमिलनाडु-कर्नाटक) और यमुना (हरियाणा-दिल्ली) जैसे राज्यों के बीच लंबे समय से चले आ रहे नदी जल विवाद अब तक सुलझ नहीं पाए हैं।
    • इससे किसानों को जल की भारी कमी का सामना करना पड़ता है (जैसे- तमिलनाडु का डेल्टा क्षेत्र) और राजनीतिक तनाव बढ़ता है (जैसे- पंजाब में सतलुज-यमुना लिंक नहर का विरोध)।

    सहकारी संघवाद को सुदृढ़ करने हेतु क्या उपाय किये जा सकते हैं?

    • संस्थागत तंत्र को सशक्त बनाना: नीति आयोग एवं GST परिषद की नियमित बैठकें सुनिश्चित करना तथा अंतर-राज्यीय परिषद को पुनः सक्रिय करना आवश्यक है, जिससे राज्यों के बीच सतत् संवाद बना रहे और समय पर विवादों का समाधान हो सके।
      • इससे GST सुधार जैसे मुद्दों पर नीतिगत निष्क्रियता कम होगी और जल, सीमा व राजकोषीय मामलों में संघर्षों का बेहतर प्रबंधन संभव हो सकेगा।
    • संसाधनों का न्यायसंगत वितरण: राज्यों को करों में अधिक हिस्सा देना और प्रदर्शन-आधारित अनुदान प्रणाली की शुरुआत करना। इससे पिछड़े राज्यों (जैसे- बिहार, यूपी) में सुधारों के लिये प्रोत्साहन मिलेगा और शर्तों के आधार पर वित्तीय सहायता दी जा सकेगी।
    • राज्य-दर-राज्य साझेदारी: विकसित राज्यों को क्षेत्रीय असमानताओं को कम करने और प्रमुख शहरों पर प्रवासन दबाव को कम करने हेतु औद्योगिक गलियारों, कौशल विकास तथा PPP निवेश के माध्यम से पिछड़े राज्यों का मार्गदर्शन करना चाहिये।
    • अंतर-राज्यीय जल समन्वय को बढ़ावा देना: बाध्यकारी नदी-साझाकरण समझौतों, संयुक्त कार्य बलों और अंतर-राज्यीय परियोजनाओं के लिये केंद्रीय वित्त पोषण के साथ एक राष्ट्रीय जल नीति 2.0 जल प्रबंधन एवं बुनियादी ढाँचे में सुधार करेगी।
      • इससे जल विवाद (जैसे कावेरी ) कम होंगे और क्षेत्रीय संपर्क बढ़ेगा, जिससे व्यापार एवं पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
    • दीर्घकालिक रणनीतिक योजना: राज्य और केंद्र की योजनाओं को विकसित भारत@2047 के लिये विकसित राज्य के साझा दृष्टिकोण के साथ संरेखित करना, मापने योग्य लक्ष्यों तथा  आवधिक समीक्षाओं का उपयोग करना, नीति आयोग द्वारा राज्य की प्राथमिकताओं का सम्मान करते हुए प्रगति को सुविधाजनक बनाना।

    निष्कर्ष

    नीति आयोग की 10वीं बैठक में भारत के संघवाद में प्रगति और निरंतर चुनौतियों दोनों पर प्रकाश डाला गया। जबकि राज्य भागीदारी और निवेश सुधार जैसी पहल आशाजनक हैं, वास्तविक "टीम इंडिया" सहयोग के लिये अधिक निष्पक्ष राजकोषीय हस्तांतरण, नियमित संवाद तथा गैर-राजनीतिक शासन की आवश्यकता है। वर्ष 2047 तक विकसित भारत को प्राप्त करने के लिये इन अंतरालों को संबोधित करना महत्त्वपूर्ण है।

    दृष्टि मेन्स प्रश्न:

    प्रश्न: भारत को विकसित देश बनाने में राज्यों की भूमिका का परीक्षण कीजिये। विकसित भारत@2047 के लिये अंतर-राज्यीय सहयोग को बढ़ावा देने के उपाय सुझाइये।

      UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)   

    मेन्स  

    1. आपके विचार में सहयोग, प्रतिस्पर्द्धा और टकराव ने भारत में संघ की प्रकृति को किस हद तक आकार दिया है? अपने उत्तर को पुष्ट करने के लिये कुछ हालिया उदाहरण प्रस्तुत कीजिये। (2020) 
    2. न्यायालयों द्वारा विधायी शक्तियों के वितरण के बारे में विवादास्पद मुद्दों के समाधान से, 'संघीय सर्वोच्चता का सिद्धांत' और 'सामंजस्यपूर्ण निर्माण' उभर कर सामने आए हैं। व्याख्या कीजिये। (2019)
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