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कार्बन मार्केट हेतु राष्ट्रीय नामित प्राधिकरण

  • 02 Sep 2025
  • 63 min read

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों? 

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने पेरिस समझौते (2015) के अनुच्छेद 6 के अंतर्गत कार्बन उत्सर्जन व्यापार प्रणाली को लागू करने के लिये एक राष्ट्रीय नामित प्राधिकरण (NDA) की स्थापना की है। 

पेरिस समझौते (2015) का अनुच्छेद 6 

  • यह इंटरनेशनल कार्बन मार्केट और नॉन-मार्केट एप्रोच के लिये एक फ्रेमवर्क प्रदान करता है, ताकि जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु वैश्विक सहयोग संभव हो सके। 
  • इसे COP29 (बाकू, 2024) में अंतिम रूप दिया गया, ताकि विकासशील देशों को वित्त और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को सुगम बनाया जा सके।

Article 6 of the Paris Agreement (2015)

भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) 

  • पेरिस समझौते के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं के तहत, भारत ने वर्ष 2005 के स्तर की तुलना में वर्ष 2030 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद की कार्बन तीव्रता को 45% तक कम करने और वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म स्रोतों से 50% संचयी विद्युत शक्ति क्षमता हासिल करने का संकल्प लिया है। 
  • इसके अतिरिक्त, भारत का लक्ष्य है कि वह वर्ष 2030 तक वनीकरण और पुनर्वनीकरण के माध्यम से 2.5-3 बिलियन टन CO₂ समतुल्य का अतिरिक्त कार्बन सिंक तैयार करना।

राष्ट्रीय नामित प्राधिकरण (NDA) क्या है? 

  • भूमिका एवं संरचना: राष्ट्रीय नामित प्राधिकरण (NDA) कार्बन क्रेडिट परियोजनाओं की देखरेख और उन्हें अधिकृत करेगा। 
    • यह 21-सदस्यीय समिति है, जिसकी अध्यक्षता पर्यावरण मंत्रालय के सचिव करते हैं। इसमें विदेश मंत्रालय, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, नीति आयोग और इस्पात मंत्रालय जैसे प्रमुख मंत्रालयों के प्रतिनिधि शामिल हैं। 
  • मुख्य कार्य: 
    • NDA उन परियोजनाओं की सिफारिश करेगा जो पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6.4 के अंतर्गत कार्बन क्रेडिट व्यापार हेतु पात्र होंगी। 
    • यह परियोजनाओं को कार्बन मार्केट में भागीदारी की मंजूरी देगा और उनसे उत्पन्न उत्सर्जन में कटौती इकाइयों (ERU) को अधिकृत करेगा। 
    • समिति यह सुनिश्चित करेगी कि परियोजनाएँ भारत के सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) के अनुरूप हों, विशेषकर ग्रीन हाइड्रोजन, कार्बन कैप्चर और वनीकरण जैसी पहलों पर ध्यान केंद्रित करते हुए। 
  • जलवायु लक्ष्यों में योगदान: NDA की परियोजनाओं का मुख्य लक्ष्य वर्ष 2005 के स्तर की तुलना में वर्ष 2030 तक भारत की कार्बन उत्सर्जन तीव्रता को 45% तक कम करने में मदद करना है। 
    • कार्बन क्रेडिट बाज़ार इन महत्त्वाकांक्षी जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में भारत की यात्रा का समर्थन करने में एक महत्त्वपूर्ण उपकरण होगा। 

कार्बन बाज़ार क्या हैं? 

  • परिचय: कार्बन बाज़ार कार्बन क्रेडिट के व्यापार की अनुमति देते हैं, जहाँ एक क्रेडिट एक टन कम, बचाए गए, या पृथक CO₂ या GHG उत्सर्जन का प्रतिनिधित्व करता है। 
    • ये क्रेडिट कंपनियों या देशों द्वारा अपने उत्सर्जन को संतुलित करने, पारदर्शिता, जवाबदेही को बढ़ावा देने और टिकाऊ परियोजनाओं के लिये वित्त पोषण हेतु खरीदे जाते हैं, साथ ही उत्सर्जन में कमी लाने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को सक्षम बनाते हैं। 
  • प्रकार: 
    • अनुपालन बाज़ार: कानूनी रूप से बाध्यकारी, उत्सर्जन व्यापार योजना (ETS) या स्वच्छ विकास तंत्र (CDM) जैसे तंत्रों जैसे नियामक ढाँचे के तहत बनाया गया। 
      • इनमें अनुपालन न करने पर दंड का प्रावधान है। इसमें सरकारें, उद्योग और व्यवसाय शामिल हैं। 
      • उदाहरण: EU ETS (2005): पहला अंतर्राष्ट्रीय ETS, चीन ETS (2021): विश्व का सबसे बड़ा, वैश्विक जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन का लगभग 1/7वाँ हिस्सा कवर करता है। 
    • स्वैच्छिक कार्बन बाज़ार (VCM): अनिवार्य विनियमों के बाहर कार्य करना, स्वैच्छिक मांग और आपूर्ति पर आधारित होना।  
      • आपूर्ति निजी परियोजनाओं या सरकार द्वारा प्रमाणित कार्यक्रमों से उत्पन्न होती है जो ग्रीनहाउस गैसों को कम करते हैं, हटाते हैं, जबकि मांग कॉर्पोरेट (ESG लक्ष्य), व्यक्तियों (कार्बन फुटप्रिंट ऑफसेटिंग) और व्यापारियों (पुनर्विक्रय लाभ) द्वारा संचालित होती है। 
  • भारत का कार्बन बाज़ार:  
    • बाज़ार-आधारित तंत्र में परिवर्तन: भारत जुलाई 2024 में कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग स्कीम (CCTS) को अपनाने के साथ दर-आधारित उत्सर्जन व्यापार प्रणाली (ETS) की ओर बढ़ रहा है। 
      • यह योजना उत्सर्जन की तीव्रता पर केंद्रित है, न कि पूर्ण उत्सर्जन सीमा पर। 
      • क्रेडिट प्रमाण-पत्र उन सुविधाओं को जारी किये जाएंगे जो बेंचमार्क उत्सर्जन तीव्रता स्तर से बेहतर प्रदर्शन करेंगी।
    • संस्थागत और नीतिगत समर्थन: 
      • भारतीय कार्बन बाज़ार के लिये राष्ट्रीय संचालन समिति (NSCICM): बाज़ार डिज़ाइन और कार्यान्वयन का मार्गदर्शन करने वाली प्रमुख संस्था। 
      • उद्योगों के लिये प्रोत्साहन: निम्न-कार्बन प्रौद्योगिकियों को अपनाने को प्रोत्साहित करना। 
      • मिशन लाइफ (पर्यावरण के लिये जीवनशैली): कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिये टिकाऊ जीवनशैली को बढ़ावा देना। 
      • ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम: व्यक्तियों और निजी क्षेत्र को उत्सर्जन-कमी परियोजनाओं में भाग लेने के लिये प्रोत्साहित करता है। 
    • महत्त्व: 
      • भारत को पेरिस समझौते के लक्ष्यों के साथ संरेखित करने की स्थिति में लाना तथा कार्बन बाज़ारों को आर्थिक साधन के रूप में उपयोग करना। 
      • उद्योगों को अनुपालन लागतों का प्रबंधन करने में सहायता करता है तथा निजी क्षेत्र के नवाचार को प्रोत्साहित करता है। 
      • बाज़ार-संचालित जलवायु कार्रवाई को बढ़ाकर भारत की नेट ज़ीरो 2070 प्रतिबद्धता का समर्थन करता है। 

India's Climate Adaptation Initiatives

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न

प्रिलिम्स:

प्रश्न. जलवायु-अनुकूल कृषि (क्लाइमेट-स्मार्ट एग्रीकल्चर) के लिये भारत की तैयारी के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-

  1. भारत में ‘जलवायु-स्मार्ट ग्राम (क्लाइमेट-स्मार्ट विलेज)’ दृष्टिकोण, अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान कार्यक्रम-जलवायु परिवर्तन, कृषि एवं खाद्य सुरक्षा (सी.सी.ए.एफ.एस.) द्वारा संचालित परियोजना का एक भाग है।   
  2. सी.सी.ए.एफ.एस. परियोजना, अंतर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान हेतु परामर्शदात्री समूह (सी.जी.आई.ए.आर.) के अधीन संचालित किया जाता है, जिसका मुख्यालय प्राँस में है।   
  3. भारत में स्थित अंतर्राष्ट्रीय अर्धशुष्क उष्णकटिबंधीय फसल अनुसंधान संस्थान (आई.सी.आर.आई.एस.ए.टी.), सी.जी.आई.ए.आर. के अनुसंधान केंद्रों में से एक है। 

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

(a) केवल 1 और 2

(b)  केवल 2 और 3 

(c) केवल 1 और 3  

(d) 1, 2 और 3

उत्तर:(d)

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा/से भारत सरकार के 'हरित भारत मिशन' के उद्देश्य को सर्वोत्तम रूप से वर्णित करता है/हैं? (2016)

  1. पर्यावरणीय लाभों एवं लागतों को केंद्र एवं राज्य के बजट में सम्मिलित करते हुए तद्द्वारा 'हरित लेखाकरण (ग्रीन अकाउंटिंग)' को अमल में लाना। 
  2. कृषि उत्पाद के संवर्धन हेतु द्वितीय हरित क्रांति आरंभ करना जिससे भविष्य में सभी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो। 
  3. वन आच्छादन की पुनप्राप्ति और संवर्धन करना तथा अनुकूलन एवं न्यनीकरण के संयुक्त उपायों से जलवायु परिवर्तन का प्रत्युतर देना 

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये।

(a) केवल 1 

(b) केवल 2 और 3 

(c) केवल 3 

(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)

प्रश्न. ‘भूमंडलीय जलवायु परिवर्तन संधि (ग्लोबल क्लाइमेट, चेंज एलाएन्स)’ के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2017)

  1. यह यूरोपीय संघ की पहल है। 
  2. यह लक्ष्याधीन विकासशील देशों को उनकी विकास नीतियों और बजटों में जलवायु परिवर्तन के एकीकरण हेतु तकनीकी एवं वित्तीय सहायता प्रदान करना है। 
  3. इसका समन्वय विश्व संसाधन संस्थान (WRI) और धारणीय विकास हेतु विश्व व्यापार परिषद् (WBCSD) द्वारा किया जाता है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2 

(b) केवल 3 

(c) केवल 2 और 3 

(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न.1 संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) के सी.ओ.पी. के 26वें सत्र के प्रमुख परिणामों का वर्णन कीजिये। इस सम्मेलन में भारत द्वारा की गईं वचनबद्धताएँ क्या हैं? (2021)

प्रश्न.2 'जलवायु परिवर्तन' एक वैश्विक समस्या है। जलवायु परिवर्तन से भारत किस प्रकार प्रभावित होगा? जलवायु परिवर्तन के द्वारा भारत के हिमालयी और समुद्रतटीय राज्य किस प्रकार प्रभावित होंगे? (2017)

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