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मुल्लापेरियार बाँध

  • 18 Mar 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने मुल्लापेरियार बाँध पर्यवेक्षक समिति (Mullaperiyar Dam Supervisory Committee) को बाँध की सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर निर्देश जारी करने का आदेश दिया है।

  • सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2014 में मुल्लापेरियार बाँध से संबंधित सभी मुद्दों की देख-रेख के लिये एक स्थायी पर्यवेक्षी समिति का गठन किया था। यह बाँध तमिलनाडु और केरल के बीच विवाद का एक स्रोत है।

प्रमुख बिंदु

पृष्ठभूमि:

  • केरल के इडुक्की ज़िले के निवासियों ने मुल्लापेरियार बाँध के जल स्तर को 130 फीट तक कम करने के लिये एक याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि मानसूनी अवधि में वृद्धि के कारण राज्य के इस क्षेत्र में भूकंप (Earthquake) और बाढ़ (Flood) का खतरा है।
  • याचिकाकर्त्ता ने कहा कि बाँध के सुरक्षा निरीक्षण और सर्वेक्षण के मामले में पर्यवेक्षी समिति की गतिविधि "सुस्त" पड़ गई थी।
    • इसने अपनी ज़िम्मेदारी को स्थानीय अधिकारियों की एक उप-समिति पर डाल दिया था।
    • पिछले छह वर्षों से इंस्ट्रूमेंटेशन स्कीम (Instrumentation Scheme), सुरक्षा तंत्र आदि को अंतिम रूप नहीं दिया गया है।

तमिलनाडु का पक्ष:

  • तमिलनाडु ने बाँध के नियम वक्र (Rule Curve) को अंतिम रूप देने में देरी के लिये केरल को दोषी ठहराया।
    • नियम वक्र एक बाँध में उसके जल के भंडारण स्तर में उतार-चढ़ाव को तय करता है। बाँध का गेट खोलने का कार्यक्रम नियम वक्र पर आधारित होता है।
    • यह एक बाँध के "मुख्य सुरक्षा" तंत्र का हिस्सा है।
    • बाढ़ जैसी आपातकालीन स्थिति में डैम शटर को खोलने से बचने के लिये नियम वक्र स्तर निर्धारित किया जाता है। यह मानसून के दौरान बाँध में जल स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
  • केरल ने इस बाँध के माध्यम से तमिलनाडु के विकास कार्यों को लगातार बाधित करने का कार्य किया है।
  • तमिलनाडु, केरल से उन इलाकों का डेटा प्राप्त नहीं कर पा रहा जो इस बाँध के जल प्रवाह के अंतअंतर्गत आते हैं, इसकी वजह से इन क्षेत्रों में न तो कोई सड़क बनी है और न ही बिजली की आपूर्ति बहाल हुई है, जबकि तमिलनाडु ने इसके लिये भुगतान किया है।

केरल का पक्ष:

  • केरल ने आरोप लगाया है कि तमिलनाडु ने वर्ष 1939 में "अप्रचलित" गेट ऑपरेशन शेड्यूल (Gate Operation Schedule ) को अपनाया।

सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय:

  • मुल्लापेरियार बाँध पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षी समिति को वक्र नियम की जानकारी देने में विफल रहने पर तमिलनाडु के मुख्य सचिव “व्यक्तिगत रूप से ज़िम्मेदार” होंगे और  इस संबंध में “उचित कार्रवाई” की जाएगी।
  • पर्यवेक्षक समिति को तीन मुख्य सुरक्षा मुद्दों को संबोधित करने के लिये कदम उठाने तथा चार सप्ताह में एक अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया।
  • मुख्य मुद्दे:
    • निगरानी और बाँध उपकरणों का रख-रखाव।
    • नियम वक्र को अंतिम रूप देना।
    • गेट ऑपरेटिंग शेड्यूल को ठीक करना।
  • कारण:
    • तीन मुख्य मुद्दे सीधे तौर पर बाँध की सुरक्षा से संबंधित हैं और इनका प्रभाव आस-पास के क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्तियों पर पड़ेगा।

मुल्लापेरियार बाँध

  • लगभग 123 साल पुराना मुल्लापेरियार बाँध केरल के इडुक्की ज़िले में मुल्लायार और पेरियार नदियों के संगम पर स्थित है।
    • इस बाँध की लंबाई 365.85 मीटर और ऊँचाई 53.66 मीटर है।
  • इसके माध्यम से तमिलनाडु राज्य अपने पाँच दक्षिणी ज़िलों के लिये पीने के पानी और सिंचाई की आवश्यकताओं को पूरा करता है।
    • ब्रिटिश शासन के दौरान 999 साल के लिये किये गए एक समझौते के अनुसार, इसके परिचालन का अधिकार तमिलनाडु को सौंपा गया था।
  • इस बाँध का उद्देश्य पश्चिम की ओर बहने वाली पेरियार नदी (Periyar River) के पानी को तमिलनाडु में वृष्टि छाया क्षेत्रों में पूर्व की ओर मोड़ना है।

पेरियार नदी

  • पेरियार नदी 244 किलोमीटर की लंबाई के साथ केरल राज्य की सबसे लंबी नदी है।
  • इसे ‘केरल की जीवनरेखा’ (Lifeline of Kerala) के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह केरल राज्य की बारहमासी नदियों में से एक है।
    • यह बारहमासी नदी प्रणाली है जो पूरे वर्ष अपने प्रवाह के कुछ हिस्सों में निरंतर बहती रहती है।
  • पेरियार नदी पश्चिमी घाट (Western Ghat) की शिवगिरी पहाड़ियों (Sivagiri Hill) से निकलती है और ‘पेरियार राष्ट्रीय उद्यान’ (Periyar National Park) से होकर बहती है।
  • पेरियार की मुख्य सहायक नदियाँ- मुथिरपूझा, मुल्लायार, चेरुथोनी, पेरिनजंकुट्टी हैं।

Periyar-Lake

स्रोत: द हिंदू

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