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सामाजिक न्याय

NCC अधिनियम में संशोधन संबंधी केरल उच्च न्यायालय का आदेश

  • 18 Mar 2021
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केरल उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को राष्ट्रीय कैडेट कोर अधिनियम, (NCC अधिनियम) 1948 में संशोधन करने का आदेश दिया, जो ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) में शामिल होने से प्रतिबंधित करता है।

प्रमुख बिंदु:

पृष्ठभूमि:

  • वर्ष 2020 में एक छात्र द्वारा उसके कॉलेज में लिंग (ट्रांसजेंडर) के आधार पर NCC यूनिट से बहिष्कार के विरोध में एक रिट याचिका दायर की गई थी।
  • याचिका में NCC अधिनियम, 1948 की धारा 6 को चुनौती दी गई जो केवल पुरुष ’या’ महिला ’कैडेट को NCC में शामिल होने की अनुमति देती है।
  • केंद्र सरकार ने तर्क दिया कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को NCC में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जा सकती है क्योंकि इसके लिये कोई प्रावधान नहीं है।

उच्च न्यायालय का आदेश:

  • न्यायालय ने इस स्थिति को अपवाद माना और ज़ोर देते हुए कहा कि यह अधिनियम केरल की ट्रांसजेंडर नीति और अन्य कानूनों के विपरीत है।
    • NCC अधिनियम, 1948 के प्रावधान ट्रांसजेंडर अधिकार अधिनियम, 2019 के क्रियान्वयन को प्रतिबंधित नहीं कर सकते हैं।
    • ट्रांसजेंडर अधिकार अधिनियम का उद्देश्य संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 19 और 21 के तहत ट्रांसजेंडरों के अधिकारों को प्रभाव में लाना था।
  • एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति भी अपनी नैसर्गिक समानता के अनुसार NCC में शामिल होने का हकदार है।
  • न्यायालय ने केंद्र सरकार को छह महीने के भीतर NCC अधिनियम, 1948 की धारा 6 में संशोधन करने का आदेश दिया ताकि कानून सभी को समान अवसर प्रदान करे।

केरल की ट्रांसजेंडर नीति:

  • केरल वर्ष 2015 में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिये कल्याणकारी नीति तैयार करने और उसे लागू करने वाला देश का पहला राज्य था।
    • इस कदम को वर्ष 2014 के राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण बनाम भारत संघ मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का पालन करते हुए उठाया गया, जिसमें अनुच्छेद 14, 15 और 16 के तहत ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिये समानता और समान सुरक्षा का अधिकार बरकरार रखा गया था तथा ट्रांसजेंडर को 'थर्ड जेंडर' शीर्षक आवंटित किया।
  • न्यायिक बोर्ड:
    • एक ट्रांसजेंडर जस्टिस बोर्ड का गठन किया गया था, जिसका उद्देश्य उन नीतियों की निगरानी करना और पता लगाना है, जिन्हें इनके उचित कार्यान्वयन के लिये आवश्यक समझा गया है।
  • भेदभाव रहित:
    • इस नीति में सभी सरकारी कार्यालयों और सार्वजनिक पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया कि वे ट्रांसजेंडर के लिये गैर-भेदभावपूर्ण निवारक सुविधाओं का विस्तार करें और उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन एवं सामाजिक सुरक्षा तक आसान पहुँच प्रदान करें।
  • सामाजिक लाभ:
    • इसके तहत भेदभाव से लड़ने वालों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करना, ट्रांसजेंडरों के खिलाफ होने वाले अपराधों के लिये स्थानीय पुलिस स्टेशन स्तर पर रिकॉर्डिंग, एक 24 × 7 हेल्पलाइन और संकट प्रबंधन केंद्र, बेसहारा लोगों और 55 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिये मासिक पेंशन योजना तथा आश्रय घरों की स्थापना करने जैसे कुछ नीतिगत आश्वासन दिये गए।
  • शैक्षिक कार्यक्रम:
    • वर्ष 2018 में सरकार ने विश्वविद्यालयों तथा कला और विज्ञान महाविद्यालयों में पाठ्यक्रमों के लिये सभी ट्रांसजेंडर आवेदकों हेतु दो अतिरिक्त सीटें निर्धारित करने का निर्णय लिया।
    • ट्रांसजेंडर के लिये एक साक्षरता सहायता कार्यक्रम भी चलाया गया है, जिसके तहत 1,250 रुपए तक की मासिक छात्रवृत्ति और आश्रयगृह प्रदान किया जाता है।

राष्ट्रीय कैडेट कोर:

राष्ट्रीय कैडेट कोर अधिनियम, 1948

  • यह राष्ट्रीय कैडेट कोर को एक संविधान प्रदान करने हेतु एक अधिनियम है।
    • इसका प्रभाव पूरे भारत में है और यह इस अधिनियम के तहत नामांकित या नियुक्त सभी व्यक्तियों पर लागू होता है।
  • धारा 6:
    • किसी भी विश्वविद्यालय में कोई भी छात्र (पुरुष) सीनियर डिवीज़न में कैडेट के रूप में नामांकन के लिये खुद को प्रस्तुत कर सकता है और किसी भी स्कूल का कोई पुरुष छात्र खुद को जूनियर डिवीजन में कैडेट के रूप में नामांकन के लिये प्रस्तुत कर सकता है ।
    • महिला डिवीज़न में कैडेट के रूप में किसी भी विश्वविद्यालय या स्कूल की छात्रा खुद को नामांकन के लिये प्रस्तुत कर सकती है:
      • बशर्ते कि बाद के मामले में वह निर्धारित उम्र या उससे अधिक की हो।

NCC

  • NCC का गठन वर्ष 1948 (हृदयनाथ कूंज़रू समिति, 1946 की सिफारिश पर) में किया गया था और इसकी जड़ें ब्रिटिश युग की ‘यूनिवर्सिटेड कॉरपोरेट्स’ या ‘यूनिवर्सिटी ऑफिसर ट्रेनिंग कॉर्प्स’ जैसी वर्दीधारी युवा संस्थाओं में छिपी हुई हैं।
    • वर्तमान में इसकी क्षमता सेना, नौसेना और वायु सेना के विंग से लगभग 14 लाख कैडेट्स की है।
  • NCC रक्षा मंत्रालय के दायरे में आता है और इसका नेतृत्व ‘थ्री स्टार’ सैन्य रैंक के महानिदेशक द्वारा की जाती है।
  • यह हाईस्कूल और कॉलेज स्तर पर कैडेटों का नामांकन करता है और विभिन्न चरणों के पूरा होने पर प्रमाण पत्र भी प्रदान करता है।
    • NCC कैडेट विभिन्न स्तरों पर बुनियादी सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं और उनके शैक्षणिक पाठ्यक्रम में सशस्त्र बलों एवं उनके कामकाज से संबंधित मूल बातें भी होती हैं।
    • विभिन्न प्रशिक्षण शिविर, साहसिक गतिविधियाँ और सैन्य प्रशिक्षण शिविर NCC प्रशिक्षण के महत्त्वपूर्ण पहलू हैं।

महत्त्व:

  • NCC कैडेटों द्वारा विभिन्न आपातकालीन स्थितियों के दौरान राहत प्रयासों में कई वर्षों से महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई जाती रही है।
  • वर्तमान महामारी के दौरान देश भर में ज़िला और राज्य अधिकारियों के समन्वय में स्वैच्छिक राहत कार्य के लिये 60,000 से अधिक NCC कैडेटों को तैनात किया गया।

स्रोत- द हिंदू

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