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जैव विविधता और पर्यावरण

MoEFCC ने स्वायत्त निकायों के विलय का फैसला वापस लिया

  • 21 Aug 2023
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय वन सर्वेक्षण, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो, केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण, प्रोजेक्ट टाइगर, प्रोजेक्ट एलीफेंट, वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972

मेन्स के लिये:

पर्यावरण संरक्षण संगठन और संबंधित चिंताएँ

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Ministry of Environment, Forests and Climate Change- MoEFCC) ने प्रमुख पर्यावरण निकायों के विलय द्वारा एकीकृत क्षेत्रीय कार्यालय की स्थापना के फैसले को वापस ले लिया है।

MoEFCC का प्रारंभिक प्रस्ताव: 

  • प्रस्ताव: 
    • इस कदम का लक्ष्य एकीकृत अधिकार के माध्यम से इन संगठनों का सुव्यवस्थित संचालन करना था।
    • कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान घोषित प्रारंभिक योजना का उद्देश्य भारतीय वन सर्वेक्षण, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो और केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण को एक एकीकृत संरचना के तहत पुनर्गठित करना था।
  • आलोचना: 
    • यह इन निकायों (जिनकी पर्यावरण प्रशासन में अलग-अलग जनादेश और भूमिकाएँ हैं) की स्वतंत्रता और अधिकार को कमज़ोर कर सकता है।
    • चूँकि इन निकायों की रिपोर्टिंग संरचनाएँ और क्षेत्राधिकार अलग-अलग हैं, ऐसे में इस कदम से प्रशासनिक भ्रांतियाँ और अव्यवस्था उत्पन्न हो सकती है।
    • इससे उनके काम की गुणवत्ता और विश्वसनीयता से समझौता किया जा सकता है, क्योंकि वे MoEFCC के राजनीतिक हस्तक्षेप और दबाव के अधीन होंगे। 
    • यह इन निकायों के फोकस क्षेत्र और विशेषज्ञता को कमज़ोर कर देगा, जिनके अपने संबंधित क्षेत्रों में विशेष कार्य और कौशल हैं।
  • निर्णय में परिवर्तन: 
    • MoEFCC की हालिया अधिसूचना ने न केवल विलय योजना को रद्द कर दिया बल्कि मौजूदा क्षेत्रीय कार्यालयों को पुनर्व्यवस्थित करने का सुझाव दिया,जिसके कारण इस योजना को आलोचना का भी सामना करना पड़ रहा है।
      • उदाहरण के लिये बंगलूरू क्षेत्रीय कार्यालय के पास अलग-अलग भौगोलिक और पर्यावरणीय स्थिति वाले तीन राज्यों तथा एक केंद्रशासित प्रदेश कर्नाटक, केरल, गोवा एवं लक्षद्वीप का अधिकार क्षेत्र होगा।
      • प्रोजेक्ट टाइगर और प्रोजेक्ट एलीफेंट के विलय की हालिया योजना को लेकर भी चिंता व्यक्त की गई, जो इन पहलों की स्वायत्तता और महत्त्व को प्रभावित कर सकता है।
  • भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI):
    • यह एक सरकारी एजेंसी है जिसकी ज़िम्मेदारी वन सर्वेक्षण, मूल्यांकन और संबंधित अनुसंधान करना है।
    • FSI ने "वन संसाधनों का निवेश पूर्व सर्वेक्षण" (PISFR) का स्थान लिया है, जो FAO और UNDP की सहायता से वर्ष 1965 में भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक पहल थी।
    • भारत राज्य वन रिपोर्ट (ISFR) FSI का द्विवार्षिक प्रकाशन है।
  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण:
    • यह टाइगर टास्क फोर्स की सिफारिश के बाद दिसंबर 2005 में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत स्थापित एक वैधानिक निकाय है।
    • यह प्रोजेक्ट टाइगर और भारत के टाइगर रिज़र्व के प्रबंधन के लिये ज़िम्मेदार है।
    • केंद्रीय पर्यावरण मंत्री NTCA का अध्यक्ष है और राज्य पर्यावरण मंत्री इसका उपाध्यक्ष है।
  • वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (Wildlife Crime Control Bureau): 
    • यह देश में संगठित वन्यजीव अपराध से निपटने हेतु स्थापित एक वैधानिक बहु-विषयक निकाय (WPA 1972) है।
    • ब्यूरो का मुख्यालय नई दिल्ली में है। यह राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव वाले वन्यजीव अपराधों, प्रासंगिक नीति और कानूनों से संबंधित मुद्दों पर भारत सरकार को सलाह देता है।
    • इसके अतिरिक्त यह EXIM नीति, CITES और वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम (Wild Life Protection Act) द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार वनस्पतियों एवं जीवों की खेप के निरीक्षण के दौरान सीमा शुल्क अधिकारियों का समर्थन और परामर्श देता है।
  • केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण: 
    • यह भारत में चिड़ियाघरों के कामकाज़ के विनियमन तथा निगरानी करने और इसके द्वारा निर्धारित मानकों एवं मानदंडों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिये एक वैधानिक निकाय (WPA 1972) भी है।
    • मान्यता प्रदान करने के प्राथमिक कार्य के अलावा CZA चिड़ियाघरों के बीच वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम [Wildlife (Protection) Act], 1972 की अनुसूची- I और II के तहत सूचीबद्ध लुप्तप्राय श्रेणी के जानवरों के आदान-प्रदान को भी नियंत्रित करता है।
    • पर्यावरण मंत्री (Environment Minister) CZA का अध्यक्ष है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. निम्नलिखित बाघ आरक्षित क्षेत्राें में ‘‘क्रांतिक बाघ आवास (Critical Tiger Habitat)’’ के अंतर्गत सबसे बड़ा क्षेत्र किसके पास है? (2020)

(a) कॉर्बेट
(b) रणथम्बौर
(c) नागार्जुनसागर-श्रीसैलम
(d) सुंदरबन

उत्तर: (c)


मेन्स: 

प्रश्न. "विभिन्न प्रतियोगी क्षेत्रों और साझेदारों के मध्य नीतिगत विरोधाभासों के परिणामस्वरूप पर्यावरण के ‘संरक्षण तथा उसके निम्नीकरण की रोकथाम’ अपर्याप्त रही है।" सुसंगत उदाहरणों सहित टिप्पणी कीजिये। (2018) 

स्रोत: द हिंदू

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