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आंतरिक सुरक्षा

मॉब लिंचिंग

  • 26 Oct 2019
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो

मेन्स के लिये:

मॉब लिंचिंग से संबंधित विभिन्न मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राज्यों द्वारा प्राप्त आँकड़ों के आधार पर राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (National Crime Record Bureau- NCRB) ने मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) संबंधी आँकड़े जारी किये हैं।

मुख्य बिंदु:

  • अन्य स्रोतों से प्राप्त आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2010 से 2017 के बीच मॉब लिंचिंग की 63 घटनाओं में 28 लोगों की मृत्यु हुई, जिसमें 24 व्यक्ति मुस्लिम समुदाय से थे।
  • वर्ष 2014 के बाद 266 मॉब लिंचिंग के मामले सामने आए हैं इन मामलों में पुलिस द्वारा गिरफ्तारी न करने की प्रतिकूल भूमिका की बढ़ती हुई प्रवृत्ति देखने को मिली है।

मॉब लिंचिंग:

  • जब अनियंत्रित भीड़ द्वारा किसी व्यक्ति को उसके किये अपराधों के लिये या कभी-कभी अफवाहों के आधार पर बिना अपराध किये पीट-पीट कर मार दिया जाए तो इसे मॉब लिंचिंग कहते हैं।
  • जून 2017 में झारखंड में एक युवक को चोरी के शक में भीड़ द्वारा पीटा (मॉब लिंचिंग) पीटा गया इस युवक को पुलिस द्वारा अस्पताल में भर्ती कराने के बाद चिकित्सकों ने लापरवाही दिखाते हुए उसे फिट घोषित कर दिया तथा अस्पताल से ठीक घोषित होने के चार बाद ब्रेन हेमरेज (Brain Haemorrhage) से उसकी मृत्यु हो गई।
  • इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि पुलिस ने मॉब लिंचिंग की कई घटनाओं में पक्षपातपूर्ण भूमिका निभाई है परंतु कई मामलों में पुलिस ने उचित कार्यवाही करके ऐसी घटनाओं को रोका भी है।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार तथा राज्य सरकारों को मॉब लिंचिंग के खिलाफ सख्त कानून बनाने का आदेश दिया है। मणिपुर ने एंटी मॉब लिंचिंग कानून को नवंबर 2018 में ही पारित कर दिया था वहीं हाल ही में राजस्थान और पश्चिम बंगाल ने एंटी मॉब लिंचिंग कानून को पारित किया है।
  • पश्चिम बंगाल का एंटी मॉब लिंचिंग कानून बहुत कठोर है परंतु उचित क्रियान्वयन न होने के कारण और अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण मिलने के कारण पुलिस अपना कर्त्तव्य निभाने से वंचित रह जाती है। 
  • उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग के अनुसार, मॉब लिंचिंग मामले से संबंधित किसी कर्त्तव्य को निभाने से मना करने पर किसी भी प्राधिकारी के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे। 
  • मॉब लिंचिंग के मामले की त्वरित जाँच करने में गिरफ्तारी और फास्ट ट्रैक अदालतों द्वारा ट्रायल के दौरान अधिक समय लगता है तथा इस दौरान पीड़ितों को मुकदमा वापस लेने एवं गवाहों पर अपना बयान बदलने का दबाव बनाया जाता है।  

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मॉब लिंचिंग रोकने के संदर्भ में दिये गए दिशा-निर्देश:

  • राज्य सरकारें प्रत्येक ज़िले में मॉब लिंचिंग और हिंसा को रोकने के उपायों के लिये एक सीनियर पुलिस अधिकारी को प्राधिकृत करेंगी।
  • राज्य सरकारें शीघ्रता से उन ज़िलों, उप-जिलों, गाँवों की शीघ्रता से पहचान करेगी जहाँ हाल ही में मॉब लिंचिंग की घटनाएँ हुई हैं।
  • नोडल अधिकारी मॉब लिंचिंग से संबंधित अंतर जिला समन्वय मुद्दों को राज्य के DGP के समक्ष प्रस्तुत करेगा।
  • केंद्र तथा राज्य सरकारों को रेडियो, टेलीविज़न और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यह प्रसारित कराना चाहिये कि किसी भी प्रकार की मॉब लिंचिंग एवं हिंसा की घटना में शामिल होने पर विधि के अनुसार कठोर दंड दिया जा सकता है।
  • विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रसारित ऐसे गैर-ज़िम्मेदार और भड़काऊ संदेशों तथा अन्य सामग्री पर प्रतिबंध लगाना चाहिये जिनसे समाज में मॉब लिंचिंग जैसी घटनाएँ घटित होती हैं। ऐसे संदेश फैलाने वालों पर उचित प्रावधान के अंतर्गत FIR दर्ज करनी चाहिये।
  • राज्य सरकारें मॉब लिंचिंग से प्रभावित व्यक्तियों के लिये क्षतिपूर्ति योजना प्रारंभ करें।
  • पीड़ित के परिवार के किसी भी व्यक्ति का पुनः उत्पीड़न नहीं होना चाहिये।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो:

(National Crime Record Bureau- NCRB)

  • NCRB की स्थापना गृह मंत्रालय के अंतर्गत वर्ष 1986 में अपराध और अपराधियों की सूचना संग्रह करने के लिये की गई थी।
  • वर्ष 2009 से यह अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम (CCTNS) योजना की देख-रेख, समन्वय तथा लागू करने का कार्य कर रहा है।
  • NCRB का उद्देश्य भारतीय पुलिस को सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से अपराध तथा  अपराधियों की जानकारी देकर कानून व्यवस्था बनाए रखने तथा लोगों की सुरक्षा करने में सक्षम बनाना है। 

सर्वोच्च न्यायालय के मॉब लिंचिंग विरोधी कानून बनाने के आदेश को गंभीरता से लेते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को मॉब लिंचिंग विरोधी कानून बनाना चाहिये तथा इन कानूनों को अच्छे ढंग से लागू करना चाहिये। 

स्रोत- द इंडियन एक्सप्रेस

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