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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

मालदीव की UNGA प्रेसीडेंसी

  • 12 Jun 2021
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

संयुक्त राष्ट्र महासभा, SAARC, विश्व के मानचित्र में अद्दू एटोल और  होर्मुज की खाड़ी की अवस्थिति, स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स, मिशन सागर, सुनामी, एकुवेरिन, ऑपरेशन कैक्टस

मेन्स के लिये:

भारत मालदीव द्विपक्षीय संबंध

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद को 2021-22 के लिये संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly- UNGA) के 76वें सत्र के अध्यक्ष के रूप में चुना गया।

  • भारत ने इस घोषणा का स्वागत किया है क्योंकि भारतीय राजनयिकों द्वारा मालदीव की मदद की जा रही थी इसके अलावा भारत संयुक्त राष्ट्र में मालदीव के साथ घनिष्ठ सहयोग की अपेक्षा करता है।
  • हालाँकि मालदीव ने अपने दक्षिणी अद्दू एटोल में भारतीय वाणिज्य दूतावास खोलने पर कोई निर्णय नहीं लिया है, जबकि भारतीय मंत्रिमंडल ने इसके लिये एक प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है।

Maldives

प्रमुख बिंदु:

UNGA का अध्यक्ष:

  • यह वार्षिक आधार पर घोषित एक पद है, जो विभिन्न क्षेत्रीय समूहों के बीच रोटेट होता रहता है। 76वें सत्र (2021-22) के आयोजन का  उत्तरदायित्व एशिया-प्रशांत समूह पर है। यह पहली बार है जब मालदीव UNGA के अध्यक्ष के पद पर आसीन होगा।
  • मालदीव इसे उन 52-सदस्यीय लघु द्वीप विकासशील राज्यों (Small Island Developing States- SIDS) के लिये एक अवसर के रूप में देख रहा है, जो जलवायु परिवर्तन की भेद्यता और अन्य विकासात्मक चुनौतियों से जूझ रहे हैं।

अद्दू एटोल:

  • अद्दू एटोल जिसे सीनू एटोल के नाम से भी जाना जाता है, मालदीव का सबसे दक्षिणी एटोल है।
    • हिंद महासागर में अपनी रणनीतिक स्थिति के अलावा अद्दू द्वीपसमूह का दूसरा सबसे बड़ा शहर है जहाँ 30,000 से अधिक लोग निवास करते हैं।

भारत का रुख:

  • भारत ने मालदीव के शहर अद्दू में एक नया वाणिज्य दूतावास खोलने की मंज़ूरी दी, जो भारत के रणनीतिक रूप से स्थित द्वीप राष्ट्र के साथ अपने संबंधों के महत्त्व को दर्शाता है।
  • मालदीव में अपनी राजनयिक उपस्थिति का विस्तार करने वाला भारत का यह निर्णय द्वीप राष्ट्र में अपना प्रभाव बढ़ाने के चीन के लगातार प्रयासों के बीच आया है।
  • इसके अलावा वाणिज्य दूतावास के लिये भारतीय तर्क अद्दू निवासियों को त्वरित वीज़ा सेवाओं के साथ मदद करना था।

पहल का विरोध:

  • मालदीव के कुछ लोग नए वाणिज्य दूतावास को संदेह की नजर से देखते हैं, विशेषकर 33 मिलियन अमेरिकी डॉलर की मालदीव पुलिस प्रशिक्षण सुविधा के बाद, जिसे भारत अद्दू में बनाने में मदद कर रहा है।
    • माले में पहले से ही एक भारतीय दूतावास है।

भारत के लिये मालदीव का भू-सामरिक महत्त्व:

  • मालदीव, हिंद महासागर में एक टोल गेट के रूप में:
    • इस द्वीप शृंखला के दक्षिणी और उत्तरी भागों में स्थित संचार के दो महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्ग (Sea Lanes of Communication- SLOCs) हैं।
    • ये SLOCs पश्चिम एशिया में अदन की खाड़ी तथा होर्मुज की खाड़ी एवं दक्षिण पूर्व एशिया में मलक्का जलडमरूमध्य के बीच समुद्री व्यापार प्रवाह के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
    • भारत का लगभग 50% विदेशी व्यापार और 80% ऊर्जा आयात इन SLOCs के माध्यम से अरब सागर में स्थानांतरित होता है।
  • महत्त्वपूर्ण समूहों का हिस्सा:

भारत-मालदीव संबंध

भारत और मालदीव के बीच सहयोग:

  • सुरक्षा सहयोग: 
    • दशकों से भारत ने मालदीव की मांग पर उसे तात्कालिक आपातकालीन सहायता पहुँचाई है।
    • वर्ष 1988 में जब हथियारबंद आतंकवादियों ने राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गय्यूम सरकार के खिलाफ तख्तापलट की कोशिश की, तो भारत ने ‘ऑपरेशन कैक्टस’ (Operation Cactus) के तहत पैराट्रूपर्स और नेवी जहाज़ों को भेजकर वैध सरकार को पुनः बहाल किया।
    • भारत और मालदीव ‘एकुवेरिन’ (Ekuverin) नामक एक संयुक्त सैन्य अभ्यास का संचालन करते हैं।
  • आपदा प्रबंधन: 
    • वर्ष 2004 में सुनामी और इसके एक दशक बाद मालदीव में पेयजल संकट कुछ अन्य ऐसे मौके थे जब भारत ने उसे आपदा सहायता पहुँचाई।
    • मालदीव, भारत द्वारा अपने सभी पड़ोसी देशों को उपलब्ध कराई जा रही COVID-19 सहायता और वैक्सीन के सबसे बड़े लाभार्थियों में से एक रहा है।
    • COVID-19 महामारी के कारण वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं के अवरुद्ध रहने के दौरान भी भारत ने मिशन सागर (SAGAR) के तहत मालदीव को महत्त्वपूर्ण वस्तुओं की आपूर्ति जारी रखी।
  • पीपल-टू-पीपल संपर्क:
    • दोनों देशों की निकटता और हवाई संपर्क में सुधार के कारण पर्यटन तथा व्यापार के लिये मालदीव जाने वाले भारतीयों की संख्या में वृद्धि हुई है, वहीं भारत भी शिक्षा, चिकित्सा उपचार, मनोरंजन एवं व्यवसाय के लिये मालदीव का पसंदीदा स्थान है।
  • आर्थिक सहयोग: 
    • पर्यटन, मालदीव की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। मालदीव पर लगाई गई भौगोलिक सीमाओं को देखते हुये, भारत ने मालदीव को आवश्यक वस्तुओं पर निर्यात प्रतिबंधों से छूट दी है।

संबंधों में तनाव:

  • राजनैतिक अस्थिरता:
    • भारत की प्रमुख चिंता इसकी सुरक्षा और विकास को लेकर पड़ोस में राजनीतिक अस्थिरता का प्रभाव रहा है।
    • फरवरी 2015 में मालदीव के विपक्षी नेता मोहम्मद नशीद की आतंकवाद के आरोप में गिरफ्तारी और उसके परिणामस्वरूप राजनीतिक संकट ने भारत की पड़ोस नीति के लिये एक वास्तविक कूटनीतिक कसौटी प्रस्तुत की है।

कट्टरपंथीकरण:

  • पिछले एक दशक में इस्लामिक स्टेट (Islamic State- IS) और पाकिस्तान स्थित मदरसों तथा जिहादी समूहों जैसे आतंकवादी समूहों की ओर आकर्षित मालदीवियों की संख्या बढ़ रही है।
  • राजनीतिक अस्थिरता और सामाजिक-आर्थिक अनिश्चितता द्वीप राष्ट्र में इस्लामी कट्टरवाद के उदय को बढ़ावा देने वाले मुख्य कारक हैं।
  • चीन का पक्ष: 
    • हाल के वर्षों में भारत के पड़ोस में चीन के सामरिक दखल में वृद्धि देखने को मिली है। मालदीव दक्षिण एशिया में  चीन की ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ (String of Pearls) रणनीति का एक महत्त्वपूर्ण घटक बनकर उभरा है।
    • इसके अलावा मालदीव ने भारत के साथ सौदेबाज़ी के लिये 'चाइना कार्ड' का उपयोग करना भी शुरू कर दिया है।

आगे की राह:

  • यह आशा की जाती है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत और UNGA के मालदीव के अध्यक्ष मिलकर काम करेंगे क्योंकि भारत बहुपक्षीय सुधार के लिये अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की ओर अग्रसर है तथा वैश्विक निकाय में पुरानी शक्ति संरचनाओं में परिवर्तन को प्रभावित करने की निष्क्रिय प्रक्रिया को फिर से सक्रिय करता है।
  • सरकार की "नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी" के अनुसार, मालदीव जैसे स्थिर, समृद्ध और शांतिपूर्ण देश के विकास के लिये भारत एक प्रतिबद्ध भागीदार बना हुआ है।

स्रोत: द हिंदू

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