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भारतीय अर्थव्यवस्था

लंदन इंटरबैंक ऑफर्ड रेट (LIBOR)

  • 25 May 2023
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

लंदन इंटरबैंक ऑफर्ड रेट, मुंबई इंटरबैंक फॉरवर्ड आउटराइट रेट (MIFOR), भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), ब्याज दर, रेपो रेट, ARR, SOFR, डेरिवेटिव

मेन्स के लिये:

लंदन इंटरबैंक ऑफर्ड रेट से वैकल्पिक संदर्भ दर में परिवर्तन का महत्त्व

चर्चा में क्यों? 

भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) ने बैंकों और अन्य विनियमित संस्थाओं को लंदन इंटरबैंक ऑफर्ड रेट (LIBOR) के बजाय अन्य वैकल्पिक संदर्भ दरों (ARR) में संक्रमण की सलाह दी है।

  • LIBOR से दूरी बनाने का उद्देश्य एक बेंचमार्क पर निर्भरता को कम करना है जो हेर-फेर के लिये अतिसंवेदनशील हो और वित्तीय प्रणाली की स्थिरता एवं अखंडता को सुनिश्चित करता हो।

LIBOR:

  • परिचय: 
    • LIBOR व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली वैश्विक बेंचमार्क ब्याज दर है। यह औसत ब्याज दर का प्रतिनिधित्व करता है जिस पर बैंकों का अनुमान है कि वे विशिष्ट समय अवधि के लिये लंदन इंटरबैंक मार्केट में एक-दूसरे से उधार ले सकते हैं।
    • LIBOR महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इसका उपयोग विभिन्न वित्तीय साधनों जैसे- वायदा, विकल्प, विनिमय और अन्य डेरिवेटिव में व्यापारों के निपटान के लिये एक संदर्भ दर के रूप में किया जाता है।
  • गणना: 
    • LIBOR की गणना करने के लिये बैंकों का एक समूह अपनी अनुमानित उधार दरों को प्रत्येक व्यावसायिक दिन में एक समाचार और वित्तीय डेटा कंपनी, थॉमसन रॉयटर्स में प्रस्तुत करता है।
    • अधिकतम दरों को हटा दिया जाता है और LIBOR दर निर्धारित करने के लिये शेष दरों का औसत निकाला जाता है जिसका उद्देश्य औसत उधार दर का प्रतिनिधित्व करना है।
      • पूर्व में LIBOR की गणना पाँच प्रमुख मुद्राओं और सात अलग-अलग समय अवधियों के लिये की जाती थी जिसके परिणामस्वरूप प्रत्येक दिन 35 दरें प्रकाशित होती थीं।
      • हालाँकि यूके फाइनेंशियल कंडक्ट अथॉरिटी ने इनमें से अधिकांश दरों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर दिया और 31 दिसंबर, 2021 के बाद केवल अमेरिकी डॉलर LIBOR दरों को प्रकाशित करने की अनुमति दी गई।
  • महत्त्व:  
    • कई उधारदाताओं, उधारकर्त्ताओं, निवेशकों और वित्तीय संस्थानों ने इन लेन-देन के लिये ब्याज दरों और मूल्य निर्धारण के लिये LIBOR पर विश्वास प्रकट किया है।
    • LIBOR का न केवल वित्तीय बाज़ारों में उपयोग किया जाता है बल्कि यह गिरवी (Mortgages), क्रेडिट कार्ड और छात्र ऋण जैसे उपभोक्ता ऋण उत्पादों के लिये बेंचमार्क दर के रूप में भी कार्य करता है।
    • यह व्यक्तियों और व्यवसायों द्वारा इन ऋणों पर भुगतान की जाने वाली ब्याज दरों को निर्धारित करने में सहायता करता है।

LIBOR से दूरी क्यों बना रहा है RBI:

  • विश्वसनीयता और प्रामाणिकता से संबंधित चिंताएँ: 
    • विश्वसनीयता और प्रामाणिकता पर अपनी चिंताओं के कारण RBI, LIBOR से दूरी बना रहा है।
    • LIBOR तंत्र में मुख्य दोष, बैंकों को उनके वाणिज्यिक हितों पर विचार किये बिना ही उधार दरों की स्पष्ट और ठीक से रिपोर्ट करने के लिये निर्भर रहता है, जिसके परिणामस्वरूप जोड़-तोड़ और कदाचार के अवसर प्रदर्शित होते है।
      • वर्ष 2008 के वित्तीय संकट के दौरान कुछ बैंकों ने संकट के बीच अधिक अनुकूल छवि प्रस्तुत करने के लिये कृत्रिम रूप से अपने LIBOR प्रविष्टियों को कम कर दिया। LIBOR के सदस्य अन्य बाज़ार उपायों की तुलना में न्यूनतम उधारी लागत की रिपोर्ट कर रहे थे।
  • प्रामाणिकता और निष्पक्षता का मुद्दा:
    • उच्च लाभ अर्जित करने के उद्देश्य से बैंकों द्वारा अपनी व्यापारिक इकाइयों की व्युत्पन्न स्थिति के आधार पर अपने LIBOR प्रविष्टियों में परिवर्तन करने की प्रवृत्ति देखी गई है।
    • यह बेंचमार्क की अखंडता और निष्पक्षता के बारे में चिंता पैदा करता है।

LIBOR का विकल्प: 

  • वर्ष 2017 में यूएस फेडरल रिज़र्व ने LIBOR के विकल्प के रूप में सुरक्षित ओवरनाइट फाइनेंसिंग रेट (SOFR) पेश किया।
    • भारत में मुंबई इंटरबैंक फॉरवर्ड आउटराइट रेट (MIFOR) की जगह मोडिफाई मुंबई इंटरबैंक फॉरवर्ड आउटराइट रेट (MMIFOR) के साथ SOFR का उपयोग करने के लिये नए लेन-देन की सिफारिश की गई थी।
  • SOFR रेपो दरों पर आधारित है। ये दरें रातों-रात नकद उधार लेने की लागत को दर्शाती हैं और यू.एस. ट्रेज़री सिक्योरिटीज़ द्वारा संपार्श्विक हैं।
  • LIBOR के विपरीत जो विशेषज्ञ निर्णय पर निर्भर था, SOFR वास्तविक लेन-देन से प्राप्त होता है, जिससे यह बाज़ार में हेर-फेर के लिये कम संवेदनशील होता है। 
  • दूसरी ओर, MMIFOR समायोजित SOFR दरों को शामिल करता है, जो अलग-अलग समय अवधि के लिये पूर्वव्यापी रूप से संयोजित होते हैं। ये दरें अन्य घटकों के साथ ब्लूमबर्ग इंडेक्स सर्विसेज़ से प्राप्त की जाती हैं। 
    • SOFR और MMIFOR की शुरुआत का उद्देश्य वित्तीय अनुबंधों के लिये अधिक विश्वसनीय और लेन-देन-आधारित बेंचमार्क प्रदान करना है, जिससे LIBOR से जुड़े जोखिमों को कम किया जा सके।

LIBOR से स्थानांतरण में क्या चुनौतियाँ हैं? 

  • LIBOR से जुड़े कई उत्पाद हैं जिन्हें आधार के रूप में वैकल्पिक संदर्भ दर (ARR) के साथ फिर से डिज़ाइन किया जाना था।
    • एसोसिएशन द्वारा गठित दो कार्यकारी समूहों ने RBI से मार्गदर्शन प्राप्त कर इसे विकसित करने में मदद की।
  • LIBOR से ARR में संक्रमण प्रौद्योगिकी और कानूनी पहलुओं की चुनौतियों का सामना करता है। इन चुनौतियों में मौजूदा अनुबंधों से निपटना, प्रतिपक्षों, इंटरबैंक संस्थाओं और उधारकर्त्ताओं के साथ आवश्यक संशोधन करना शामिल है।
  • बैंकों को आवश्यक प्रणालीगत और तकनीकी परिवर्तन करने की आवश्यकता है। इन परिवर्तनों में LIBOR से जुड़े उत्पादों की पहचान करना एवं समग्र जोखिम का निर्धारण करना शामिल है। बैंकों को ग्राहकों को संक्रमण के बारे में सूचित करना होगा, उन परिदृश्यों को उजागर करने हेतु अनुबंधों में फॉलबैक क्लॉज़ शामिल करना होगा जहाँ संदर्भ दर अब उपलब्ध नहीं है, उनके लाभ व हानि विवरणों पर प्रभाव का आकलन करना, साथ ही उनके प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्मों में आवश्यक समायोजन की आवश्यकता है।

आगे की राह 

  • बैंकों को आधार के रूप में नए ARR के साथ LIBOR/लिबोर से जुड़े उत्पादों को फिर से डिज़ाइन करने के अपने प्रयासों को जारी रखने की आवश्यकता है। एसोसिएशन द्वारा गठित दो कार्यकारी समूह RBI के मार्गदर्शन में इस परिवर्तन हेतु आवश्यक रूपरेखा विकसित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • प्रौद्योगिकी और कानूनी पहलुओं की चुनौतियों से निपटने हेतु बैंकों को मौजूदा अनुबंधों को संभालने और प्रतिपक्षों, इंटरबैंक संस्थाओं एवं उधारकर्त्ताओं के साथ उचित संशोधन करने पर ध्यान देना चाहिये।
  • सुचारु परिवर्तन की सुविधा सुनिश्चित करने हेतु बैंकों को अपने लाभ एवं हानि विवरणों पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन करना चाहिये, साथ ही अपने आईटी प्लेटफॉर्म में आवश्यक सुधार करना चाहिये।

स्रोत: द हिंदू

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