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भूगोल

कोडागु में भूस्खलन

  • 01 Sep 2020
  • 4 min read

प्रिलिम्स के लिये

भूस्खलन

मेन्स के लिये

भूस्खलन के कारण

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारी बारिश के कारण, भारत के कई हिस्सों में भूस्खलन की घटनाएँ देखने को मिल रही है।

प्रमुख बिंदु

  • भूस्खलन (Landslides):
    • यह भूस्खलन की वजह से होता है, जिसमें चट्टान समूह खिसककर ढाल से नीचे गिरता है।
    • भूस्खलन मुख्य रूप से स्थानीय कारणों से उत्पन्न होते हैं, इसकी बारंबारता और इसके घटने को प्रभावित करने वाले कारकों, जैसे- भू-विज्ञान, भू-आकृतिक कारक, ढ़ाल, भूमि उपयोग, वनस्पति आवरण और मानव क्रियाकलापों के आधार पर भारत को विभिन्न भूस्खलन क्षेत्रों में बाँटा गया है।

Landslide

  • कारक:
    • भू-स्खलन तीन प्रमुख कारकों के कारण होता है: भू-विज्ञान, भू-आकृति विज्ञान और मानव गतिविधि।

      • भू-विज्ञान भू-पदार्थों की विशेषताओं को संदर्भित करता है। 

      • भू-आकृतिक विज्ञान भूमि की संरचना को संदर्भित करता है। उदाहरण के लिये, वैसे ढलान जिनकी वनस्पति आग या सूखे की चपेट में आने से नष्ट हो जाती हैं, भूस्खलन की चपेट में आ जाते हैं।
      • वनस्पति आवरण में पौधे मृदा को जड़ों में बाँधकर रखते है, वृक्षों, झाड़ियों और अन्य पौधों की अनुपस्थिति में भूस्खलन की अधिक संभावना होती है।
      • मानव गतिविधि जिसमें कृषि और निर्माण शामिल हैं, भूस्खलन का खतरा बढ़ जाता है।
  • क्षेत्र:.
    • एशियाई क्षेत्र भूस्खलन के कारण अधिकतम नुकसान/हानि का सामना करता है; इसके बाद भारत सहित अन्य दक्षिण-एशियाई राष्ट्रों का स्थान आता है , जो भू स्खलन से सबसे बुरी तरह प्रभावित है।
    • भारत के क्षेत्र विशेषकर राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल (दार्जिलिग ज़िले को छोड़कर) असम (कार्बी अनलोंग को छोड़कर) और दक्षिण प्रांतों के तटीय क्षेत्र भूस्खलन युक्त हैं।
  • भूस्खलनों के परिणाम:
    • भूस्खलनों का प्रभाव अपेक्षाकृत छोटे क्षेत्र में पाया जाता है तथा स्थानीय होता है। परंतु सड़क मार्ग में अवरोध, रेल पटरियों का टूटना और जल वाहिकाओं में चट्टानें गिरने से पैदा हुई रुकावटों के गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
    • भू स्खलन की वजह से हुए नदी रास्तों में बदलाव बाढ़ ला सकते हैं और जान माल का नुकसान हो सकता है। इससे इन क्षेत्रों में आवागमन मुश्किल हो जाता है और विकास कार्यों की गति धीमी पड़ जाती है।
  • निवारण (Mitigation):
    • भूस्खलन से निपटने के उपाय अलग-अलग क्षेत्रों के लिये अलग-अलग होने चाहिये। अधिक भूस्खलन संभावी क्षेत्रों में सड़क और बड़े बाँध बनाने जैसे निर्माण कार्य तथा विकास कार्य पर प्रतिबंध होना चाहिये।
    • इन क्षेत्रों में कृषि नदी घाटी तथा कम ढाल वाले क्षेत्रों तक सीमित होनी चाहिये तथा बड़ी विकास परियोजनाओं पर नियंत्रण होना चाहिये।
    • सकारात्मक कार्य जैसे- वृहत् स्तर पर वनीकरण को बढ़ावा और जल बहाव को कम करने के लिये बाँधों का निर्माण भूस्खलन के उपायों के पूरक हैं।
    • स्थानांतरी कृषि वाले उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में सीढ़ीनुमा खेत बनाकर कृषि की जानी चाहिये।

स्रोत: द हिंदू

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