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शासन व्यवस्था

लद्दाख : जम्मू-कश्मीर का तीसरा संभाग

  • 09 Feb 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा ऐतिहासिक फैसला लेते हुए लद्दाख को कश्मीर से अलग करके एक मंडल का दर्जा दिया गया जिससे राज्य में तीन प्रशासनिक इकाइयाँ जम्मू, कश्मीर और लद्दाख बन गईं हैं।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • राज्य प्रशासन की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि लद्दाख के लिये अब प्रशासकीय व राजस्व विभाग भी अलग से होगा, जिनका मुख्यालय लेह में ही होगा।
  • इसके साथ ही योजना के विकास एवं निगरानी के लिये मुख्य सचिव के नेतृत्व में एक समिति भी बनाई गई है। यह समिति नवगठित लद्दाख संभाग में विभिन्न विभागों के मंडल स्तर के पदों को चिन्हित करने के अलावा स्टाफ की व्यवस्था, ज़िम्मेदारियों और कार्यालय हेतु जगह भी चिन्हित करेगी।

सबसे बड़ा विभाजन

  • इस फैसले से कश्मीर घाटी 15,948 वर्ग किमी. क्षेत्रफल के साथ सबसे छोटा संभाग उसके बाद जम्मू संभाग जिसका क्षेत्रफल 26,293 वर्ग किमी. होगा जबकि लद्दाख 86,909 वर्ग किमी. के साथ सबसे बड़ा संभाग बन जाएगा।
  • लद्दाख के कारगिल और लेह ज़िलों में पहले से ही स्थानीय प्रशासनिक व्यवस्था के लिये अलग पहाड़ी विकास परिषद हैं।

दूरगामी फैसला

  • सरकारी आदेश के अनुसार, लद्दाख को अलग संभाग बनाए जाने का फैसला लद्दाख के लोगों की प्रशासन व विकासीय आकांक्षाओं को पूरा करने में दूरगामी साबित होगा।
  • राज्य प्रशासन के मुताबिक, लेह व कारगिल जैसे जिलों के चलते लद्दाख सर्दियों के दौरान लगभग छह माह तक शेष देश से कटा रहता है। इस दौरान सिर्फ लेह में हवाई जहाज़ से ही पहुँचा जा सकता है और इस कारण देश के अन्य भागों से कई लोग चाहकर भी सर्दियों के दौरान लद्दाख नहीं पहुँच पाते।
  • लद्दाख की विशिष्ट भौगोलिक परिस्थितियाँ व मुख्य क्षेत्र से दूरी इसे एक अलग संभाग का दर्जा दिये जाने योग्य है।
  • लद्दाख मौजूदा समय में कश्मीर संभाग का हिस्सा है। लद्दाख विशिष्ट भौगोलिक, सामाजिक, सांस्कृतिक पहचान और राजधानी से दूरी के मद्देनज़र विशेष व्यवहार किये जाने का हकदार है। इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए ही लद्दाख के लिये एक अलग प्रशासकीय व राजस्व विभाग बनाने का फैसला किया गया है।

पृष्ठभूमि

  • बरसों से क्षेत्र के समग्र विकास के लिये लद्दाख संभाग के विभिन्न वर्गो तथा लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद लेह व करगिल के लोगों द्वारा एक ऐसी स्थानीय प्रशासकीय व्यवस्था की मांग की जा रही थी जो लद्दाख की विशिष्ट सांस्कृतिक, सामाजिक और भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप क्षेत्र के समग्र विकास में सहायक हो तथा सभी नीतिगत मामलों में स्थानीय लोगों की भागेदारी सुनिश्चित कर सके।
  • मौजूदा परिस्थितियों में स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद लेह व कारगिल के ज़िलों के बीच लद्दाख प्रांत में विभिन्न कार्यकारी और विधायी शक्तियों को विकेंद्रीकृत किया गया है।
  • जम्मू कश्मीर लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद अधिनियम 1997 के तहत ही लेह व कारगिल के लिये परिषदों का गठन किया गया है। इन परिषदों को वित्तीय, प्रशासकीय और विधायी तौर पर मज़बूत बनाने के लिये ही LAHDC अधिनियम 1997 को वर्ष 2018 में संशोधित किया गया है।

लद्दाख की भौगोलिक अवस्थिति

  • बर्फीला रेगिस्तान कहलाने वाला लद्दाख प्रांत राज्य का सबसे ऊँचा पठार है, जो समुद्र तल से करीब 9800 फुट की ऊँचाई पर स्थित है।
  • लद्दाख में जनसंख्या का घनत्व बहुत ही कम है और यह अत्यंत विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाला क्षेत्र है।
  • साल में लगभग छह माह तक सर्दियों में शेष दुनिया से कटे रहने वाला लद्दाख विकास की दृष्टि से देश के पिछड़े इलाकों में एक है। इसके कारण स्थानीय लोगों को अक्सर विभिन्न निजी एवं प्रशासकीय मामलों के लिये कई दुश्वारियों को सामना करना पड़ता है।

स्रोत – द हिंदू

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