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सामाजिक न्याय

‘की इंडिकेटर फॉर एशिया एंड द पैसिफिक 2021’ रिपोर्ट: ADB

  • 26 Aug 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये

एशियाई विकास बैंक, सकल घरेलू उत्पाद

मेन्स के लिये

एशिया-प्रशांत क्षेत्र की मौजूदा स्थिति और कोविड-19 महामारी का प्रभाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में एशियाई विकास बैंक (ADB) ने ‘की इंडिकेटर फॉर एशिया एंड द पैसिफिक 2021’ शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है।

  • यह रिपोर्ट दर्शाती है कि इस क्षेत्र ने पिछले दो दशकों में कई विकास लक्ष्यों के संबंध में पर्याप्त प्रगति हासिल की है।
  • यह ADB के 49 क्षेत्रीय सदस्यों के लिये व्यापक आर्थिक, वित्तीय, सामाजिक और पर्यावरणीय आँकड़े  प्रस्तुत करती है।

एशियाई विकास बैंक

परिचय

  • यह वर्ष 1966 में स्थापित एक क्षेत्रीय विकास बैंक है। इसमें 68 सदस्य हैं। भारत इसका एक संस्थापक सदस्य है।
    • कुल सदस्यों में से 49 सदस्‍य देश एशिया-प्रशांत क्षेत्र से हैं, जबकि 19 सदस्य अन्य क्षेत्रों से हैं।
  • 31 दिसंबर, 2019 तक ADB के पाँच सबसे बड़े शेयरधारकों में जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका (प्रत्येक कुल शेयरों के 15.6% के साथ), पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (6.4%), भारत (6.3%) और ऑस्ट्रेलिया (5.8%) शामिल हैं।

उद्देश्य 

  • एशिया में सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना।

मुख्यालय

  • मनीला, फिलीपींस

प्रमुख बिंदु

  • गरीबी
    • महामारी ने वर्ष 2020 में विकासशील एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 75-80 मिलियन लोगों को अत्यधिक गरीबी में धकेल दिया है।
    • लगभग 203 मिलियन लोग- विकासशील एशिया की जनसंख्या का 5.2%, वर्ष 2017 तक अत्यधिक गरीबी में रह रहे थे।
      • यदि कोविड-19 महामारी नहीं होती तो यह संख्या वर्ष 2020 में घटकर 2.6% रह जाती।
  • वैश्विक जीडीपी में योगदान:
    • एशिया-प्रशांत क्षेत्र की अर्थव्यवस्था हाल के वर्षों में मज़बूत गति से आगे बढ़ी है और इसने वर्ष 2019 में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 35% तक का योगदान दिया है।
    • किंतु कोविड-19 महामारी से प्रेरित निम्न घरेलू निवेश और धीमी वैश्विक व्यापार एवं आर्थिक गतिविधियों ने इस गति को चुनौती देना शुरू कर दिया।
  • घरेलू आय
    • व्यापार में संलग्न परिवारों की एक बड़ी संख्या महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुई थी।
      • कृषि में संलग्न या मज़दूरी और वेतन पर निर्भर परिवारों में केवल आधे से अधिक ने आय में वृद्धि, कोई परिवर्तन नहीं या 26% तक की कमी की सूचना दी हे।
  • बेरोज़गारी
    • दुनिया भर में महामारी के कारण वर्ष 2020 में बेरोज़गारी दर में कम-से-कम 20% की वृद्धि हुई है, साथ ही एशिया-प्रशांत क्षेत्र में काम के घंटे में अनुमानित 8% का नुकसान हुआ है।
    • जैसे-जैसे व्यवसाय बाधित हुए कई श्रमिकों ने अपनी नौकरी खो दी, जिससे उच्च बेरोज़गारी दर में और अधिक बढ़ोतरी हुई है।
  • श्रम बल भागीदारी:
    • वर्ष 2019 से 2020 तक महिलाओं के बीच श्रम बल भागीदारी दर में औसतन 1.4% की गिरावट आई, जबकि पुरुषों के बीच श्रम बल भागीदारी दर में 0.8% की गिरावट आई।
  • एशिया-प्रशांत का 71 प्रतिशत कार्यबल अब गैर-कृषि रोज़गार में है। वर्ष 2000-2019 के बीच इस क्षेत्र की गैर-कृषि रोज़गार दर 52% से बढ़कर 71% हो गई जो विश्व भर में सबसे तेज़ विकास दर में से एक है।
  • सतत् विकास:
  • बच्चों से संबंधित डेटा:
    • अल्पपोषण की व्यापकता वर्ष 2001 के 521 मिलियन से घटकर वर्ष 2019 में 316 मिलियन हो गई।
    • कोविड-19 महामारी के दौरान स्कूलों के बंद होने से क्षेत्र के लगभग सभी शिक्षार्थी प्रभावित हुए।
    • दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से स्कूल की गतिविधियों को जारी रखने के प्रयासों के बावजूद गरीब छात्रों को महामारी के दौरान शिक्षा में अधिक व्यवधान का सामना करना पड़ा।

आगे की राह

  • एशिया और प्रशांत ने प्रभावशाली प्रगति की है लेकिन कोविड-19 ने सामाजिक और आर्थिक दोषों  को प्रकट किया है जो इस क्षेत्र के सतत् और समावेशी विकास को कमज़ोर कर सकते हैं।
  • सतत् विकास के लिये संयुक्त राष्ट्र के 2030 एजेंडा के SDG को प्राप्त करने हेतु निर्णय निर्माताओं को कार्रवाई के लिये एक गाइड के रूप में उच्च गुणवत्ता और समय पर डेटा का उपयोग करने की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि स्वास्थ्य लाभों से विशेष रूप से गरीब और कमजोंर पीछे न रहें।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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