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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

काटोल उल्कापिंड

  • 12 Oct 2021
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

काटोल उल्कापिंड

मेन्स के लिये:

काटोल उल्कापिंड के अध्ययन के निष्कर्ष और पृथ्वी की संरचना के अध्ययन में इनकी भूमिका 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में कुछ शोधकर्त्ताओं ने महाराष्ट्र के काटोल से प्राप्त एक उल्कापिंड का अध्ययन किया जो वर्ष 2012 की उल्का बौछार से संबंधित था।

  • उल्कापिंड अंतरिक्ष में परिभ्रमण कर रहे धूमकेतु या क्षुद्रग्रह के मलबे का एक ठोस टुकड़ा है, जो अंतरिक्ष से किसी ग्रह या चंद्रमा की सतह पर उनके वायुमंडल के माध्यम से प्रवेश करता है।

प्रमुख बिंदु 

  • निष्कर्ष:
    • ओलिवाइन (Olivine) की गहराई:
      • प्रारंभिक अध्ययनों से पता चला है कि यह उल्कापिंड मुख्य रूप से ओलिवाइन, एक जैतून-हरा रंग के खनिज से बना था।
      • पृथ्वी के ऊपरी मेंटल में ओलिवाइन पाए जाते हैं।
      • ऐसा माना जाता था कि अगर लगभग 410 किलोमीटर तक ड्रिल किया जाए तो ऊपरी मेंटल तक पहुँचा जा सकता है।
      • हालाँकि इन उल्कापिंडों के टुकड़ों की संरचना का अध्ययन करके शोधकर्त्ताओं ने पृथ्वी के निचले मेंटल में इस प्रकार के खनिजों के मौजूद होने की संभावना व्यक्त की है जो लगभग 660 किमी. गहरा है।
    • ब्रिजमेनाइट (Bridgmanite) का निर्माण:
      • विभिन्न कम्प्यूटेशनल और प्रायोगिक अध्ययनों से पता चला है कि पृथ्वी के आंतरिक  हिस्से का लगभग 80% हिस्सा ब्रिजमेनाइट से बना है। इस उल्कापिंड के नमूने का अध्ययन करके वैज्ञानिक यह समझ सकते हैं कि हमारी पृथ्वी के निर्माण के अंतिम चरणों के दौरान ब्रिजमेनाइट कैसे क्रिस्टलीकृत हुआ।
        • ब्रिजमेनाइट एक मैग्नीशियम-सिलिकेट खनिज, MgSiO3, पृथ्वी पर सबसे प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।
        • खनिज का नाम 2014 में प्रोफेसर पर्सी डब्ल्यू ब्रिजमैन के नाम पर रखा गया था, जिसे भौतिकी में 1946 का नोबेल पुरस्कार मिला था।
      • जैसा कि काटोल उल्कापिंड के नमूने का ब्रिजमेनाइट पृथ्वी पर मौजूद ब्रिजमेनाइट के साथ निकटता से संबंधित हैं।
  • पृथ्वी पर ब्रिजमेनाइट बनाम उल्कापिंड:
    • उल्कापिंड में ब्रिजमेनाइट शॉक इवेंट से उत्पन्न लगभग 23 से 25 गीगापास्कल के दबाव में पाया गया था।
    • हमारी पृथ्वी के आंतरिक भाग में उच्च तापमान और दबाव अरबों वर्षों में बदल गया है, जिससे विभिन्न खनिजों के क्रिस्टलीकरण, पिघलने, वर्तमान स्थिति तक पहुंँचने से पहले ही उनका पिघलना शुरू हो गया है।
  • महत्त्व:
    • उल्कापिंड का अध्ययन हमें इस बारे में और जानकारी दे सकता है कि हमारी पृथ्वी मैग्मा महासागर से चट्टानी ग्रह तक कैसे विकसित हुई और शोधकर्त्ता पृथ्वी के गठन के बारे में अधिक जानकारी का पता लगा सकते हैं।
    • पृथ्वी की परतों का निर्माण कैसे और कब हुआ, इसका गहन विचार प्राप्त करने के लिये इन खनिजों का अध्ययन करना महत्त्वपूर्ण है।
    • वैज्ञानिक यह भी डिकोड कर सकते हैं कि हमारी पृथ्वी के निर्माण के अंतिम चरणों के दौरान ब्रिजमेनाइट कैसे क्रिस्टलीकृत हुआ।

आंतरिक ग्रहों का निर्माण (पृथ्वी) 

  • आंतरिक ग्रह या स्थलीय ग्रह या चट्टानी ग्रह बुध, शुक्र, पृथ्वी और मंगल का निर्माण अभिवृद्धि या चट्टानी टुकड़ों के एक साथ आने तथा रेडियोधर्मी तत्त्वों एवं गुरुत्वाकर्षण बलों के कारण बढ़े हुए दबाव और उच्च तापमान की वजह से होता है।
  • तत्त्वों के क्रिस्टलीकृत और स्थिर होने से पहले पृथ्वी मैग्मा का एक महासागर थी, तत्पश्चात् कोर, मेंटल एवं क्रस्ट जैसी विभिन्न परतों का निर्माण हुआ था।
    • ग्रहों के संरचना निर्माण की प्रक्रिया के दौरान लोहे जैसे भारी तत्त्व कोर में चले गए, जबकि हल्के सिलिकेट मेंटल में रहे।

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स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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