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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

इज़रायल-संयुक्त अरब अमीरात मुक्त व्यापार समझौत

  • 02 Jun 2022
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

मध्य-पूर्व के देशं, खाड़ी देश, अब्राहम समझौेता, एफटीए। 

मेन्स के लिये:

व्यापार समझौते, द्विपक्षीय समझौते, भारत-इज़रायल संबंध, पश्चिम एशिया के मुद्दे और चुनौतियाँ, मध्य-पूर्व। 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में इज़रायल ने संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किये, जो वर्ष 2020 के यूएस-मध्यस्थता संबंधों के सामान्यीकरण पर आधारित है। 

  • UAE इज़रायल के साथ संबंधों को सामान्य करने वाला पहला खाड़ी देश है, साथ ही मिस्र और जॉर्डन के बाद तीसरा अरब देश है। 

Saudi-Arabia

प्रमुख बिंदु 

  • दोनों देशों के बीच व्यापार: वर्ष 2020 की तुलना में इज़रायल के केंद्रीय सांख्यिकी ब्यूरो ने संयुक्त अरब अमीरात से हीरे को छोड़कर वस्तुओं के आयात और निर्यात में 30% से अधिक की वृद्धि दर्ज की। 
    • वर्ष 2021 में दोतरफा व्यापार कुल 900 मिलियन अमेरिकी डॉलर का था। 
    • गैर-तेल व्यापार वर्ष 2022 के पहले तीन महीनों में 1.06 बिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर गया, यह पिछले वर्ष की इसी अवधि से पांँच गुना वृद्धि को प्रदर्शित करता है। 
  • मुक्त व्यापार समझौते का महत्त्व: 
    • यूएस-मध्यस्तता संबंधों के सामान्यीकरण पर आधारित है: यह समझौत वर्ष 2020 में राजनयिक सौदों की शृंखला के स्थायित्व को दर्शाता है जिसे अब्राहम समझौते के रूप में जाना जाता है, इसने इज़रायल और चार मुस्लिम देशों- संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, मोरक्को और सूडान के बीच संबंधों को सामान्य बनाने में मदद की। 
    • आर्थिक क्षमता: 
      • लोगों के बीच भौगोलिक और सांस्कृतिक निकटता के साथ-साथ संयुक्त अरब अमीरात की अनूठी विशेषताओं के कारण UAE के साथ इज़रायल के संबंधों में काफी आर्थिक संभावनाएंँ हैं। 
      • संयुक्त अरब अमीरात अरब दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है (सऊदी अरब के बाद) वहीं प्रौद्योगिकी, उत्पादों, उन्नत समाधानों के साथ इज़रायल महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है 
    • बाज़ार और कम टैरिफ तक तेज़ी से पहुँच: 
      • दोनों देशों के व्यवसायों को तेज़ी से बाज़ारों तक पहुंँच और कम टैरिफ का लाभ प्राप्त होगा क्योंकि ये देश व्यापार बढ़ाने, रोज़गार सृजित करने, नए कौशल को बढ़ावा देने तथा सहयोग को प्रगाढ़ करने के लिये मिलकर काम करते हैं। 
      • इस समझौते में दोनों पक्षों के बीच आदान-प्रदान होने वाले 96% उत्पादों पर सीमा शुल्क को समाप्त कर दिया गया है। 
      • यह समझौता नियामक और मानकीकरण के मुद्दों, सीमा शुल्क, सहयोग, सरकारी खरीद, ई-कॉमर्स और बौद्धिक संपदा अधिकारों से भी संबंधित है। 
    • व्यापार को बढ़ावा देना:  
      • यह समझौता इज़रायल और संयुक्त अरब अमीरात के बीच गैर-तेल द्विपक्षीय व्यापार को 10 अरब डॉलर से अधिक तक पहुंँचाएगा। 
      • UAE-इज़रायल के बीच व्यापार वर्ष 2022 में 2 बिलियन डॉलर से अधिक का होने का अनुमान है, जिसके पांँच वर्षों में बढ़कर लगभग 5 बिलियन डॉलर होने की उम्मीद है, यह नवीकरणीय ऊर्जा, उपभोक्ता वस्तुओं, पर्यटन और जीव विज्ञान के क्षेत्रों में सहयोग से मज़बूत होगा। 
    • अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में इज़रायल की भूमिका में वृद्धि: 
      • दोनों देशों के लिये एक दीर्घकालिक संभावना यह है कि इज़रायली कंपनियांँ संयुक्त अरब अमीरात में विनिर्माण स्थापित करेंगी जो कि मध्य-पूर्व, एशिया और अफ्रीका के बाज़ारों के लिये एक केंद्र के रूप में कार्य करता है, ऐसे में इज़रायल अपनी स्थिति को मज़बूत कर रहा है। 
  • भारत के लिये महत्त्व:  
    • भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच हस्ताक्षरित व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (CEPA) के साथ संयुक्त रूप से इस समझौते से व्यापक त्रिपक्षीय सहयोग एवं व्यावसायिक भागीदारी की संभावना है। 
    • इसने अमेरिका के साथ विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के अवसर भी उत्पन्न किये हैं। 
      • यह अब्राहम समझौते से संभव हुआ, जो सभी के लिये शांति और समृद्धि को बढ़ावा देने में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। 
    • इज़रायल, भारत, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका भी एक नए समूह, पश्चिम एशियाई क्वाड का हिस्सा हैं, जिसे आर्थिक सहयोग के लिये एक मंच के रूप में स्थापित किया गया था। 
      • वे अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं पर केंद्रित एक रचनात्मक एजेंडा का अनुसरण कर रहे हैं। 
  • मुक्त व्यापार समझौता: 
    • FTA दो या दो से अधिक देशों या व्यापारिक ब्लॉकों के बीच एक व्यवस्था है जो मुख्य रूप से उनके बीच पर्याप्त व्यापार पर सीमा शुल्क और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करने या समाप्त करने का प्रावधान करती है 
    • FTA आमतौर पर माल (जैसे- कृषि या औद्योगिक उत्पाद) या सेवाओं में व्यापार (जैसे- बैंकिंग, निर्माण, व्यापार आदि) पर लागू होता है।  
    • FTA अन्य क्षेत्रों जैसे- बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर), निवेश, सरकारी खरीद और प्रतिस्पर्द्धा नीति आदि को भी कवर कर सकता है। 
    • उदाहरण: भारत ने कई देशों के साथ FTA पर बातचीत की है, उदाहरण- श्रीलंका और आसियान जैसे विभिन्न व्यापारिक ब्लॉकों के साथ। 
    • FTA को तरजीही व्यापार समझौता, व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता, व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (CEPA) के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। 

आगे की राह 

  • इज़रायल के साथ यह व्यापार समझौता पश्चिम एशियाई क्षेत्र के लिये एक नया प्रतिमान तैयार करेगा और महत्त्वपूर्ण भागीदारी सुनिश्चित करेगा। 
  • यह निकट भविष्य में महत्त्वपूर्ण राजनयिक संबंधों की पेशकश करेगा और मध्य-पूर्व क्षेत्र में इज़रायल और पश्चिम एशिया के कई देशों के बीच लंबे संघर्षों पर काबू पाने में मदद करेगा। 

विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs): 

प्रश्न. निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिये: (2018) 

  1. ऑस्ट्रेलिया
  2. कनाडा
  3. चीन
  4. भारत
  5. जापान
  6. अमेरिका

उपर्युक्त में से कौन आसियान के 'मुक्त-व्यापार भागीदारों' में शामिल हैं? 

(a) 1, 2, 4 और 5 
(b) 3, 4, 5 और 6 
(c) 1, 3, 4 और 5 
(d) 2, 3, 4 और 6 

उत्तर: C 

व्याख्या: 

  • दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (ASEAN) के मुक्त-व्यापार भागीदारों में 6 देश चीन,  दक्षिण कोरिया, जापान, भारत, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड शामिल हैं। अत: कथन 1, 3, 4 और 5 सही हैं। 
  • आसियान की स्थापना 8 अगस्त 1967 को बैंकॉक, थाईलैंड में आसियान पर हस्ताक्षर के साथ हुई थी। 
  • आसियान की स्थापना बैंकॉक घोषणा द्वारा इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और थाईलैंड  द्वारा की गई। ब्रुनेई दारुस्सलाम 7 जनवरी, 1984 को, वियतनाम 28 जुलाई, 1995 को, लाओ पीडीआर और म्याँँमार 23 जुलाई, 1997 को और कंबोडिया 30 अप्रैल, 1999 को इसमें शामिल हुए, वर्तमान में आसियान में दस सदस्य देश शामिल हैं। अतः विकल्प (C) सही है। 

स्रोत: द हिंदू   

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