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GFDRR के परामर्शदाता समूह की अध्यक्षता करेगा भारत

  • 15 May 2019
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वित्तीय वर्ष 2020 के लिये भारत को सर्वसम्मति से ग्लोबल फैसिलिटी फॉर डिज़ास्टर रिडक्शन एंड रिकवरी (Global Facility for Disaster Reduction and Recovery-GFDRR) के सलाहकार समूह (Consultative Group-CG) के सह-अध्यक्ष के रूप में  चुना गया है।

प्रमुख बिंदु

  • ऐसा पहली बार है जब भारत को GFDRR के सलाहकार समूह की बैठक की सह-अध्यक्षता का अवसर प्रदान किया गया है। इससे भारत को आपदा जोखिम न्यूनीकरण एजेंडे को आगे बढ़ाने की दिशा में एक केंद्रित योगदान प्रदान करने के साथ-साथ  GFDRR के सदस्य देशों और संगठनों के साथ मिलकर काम करने का मौका भी मिलेगा।
  • भारत का उद्देश्य एक केंद्रीय एजेंडे के साथ आगे बढ़ना और GFDRR की वर्तमान में संचालित गतिविधियों के साथ तालमेल स्थापित करना है।
  • GFDRR भागीदारों और हितधारकों के मध्य डिज़ास्टर रेज़िलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर (Disaster Resilient Infrastructure- DRI) एक केंद्रीय विषय होगा।

पृष्ठभूमि

  • वर्ष 2015 में भारत GFDRR के सी.जी. का सदस्य बना था। GFDRR में भारत की उम्मीदवारी को देश में आपदा जोखिम न्यूनीकरण (Disaster Resilient Infrastructure-DRI) में लगातार प्रगति और आपदा-रोधी बुनियादी ढाँचे पर एक गठबंधन बनाने संबंधी अपनी महत्त्वपूर्ण पहलों के कारण समर्थन प्रदान किया गया।
  • सलाहकार समूह (CG), GFDRR का प्राथमिक निर्णयन एवं परामर्शदात्री निकाय है। सदस्यों और पर्यवेक्षकों से मिलकर बना सी.जी. GFDRR के दीर्घकालिक रणनीतिक उद्देश्यों और अपेक्षित परिणामों की देख-रेख करता है।
  • CG जो कि विश्व बैंक समूह का प्रतिनिधि होता है, में एक अध्यक्ष और एक सह-अध्यक्ष होता है।

ग्लोबल फैसिलिटी फॉर डिज़ास्टर रिडक्शन एंड रिकवरी
Global Facility for Disaster Reduction and Recovery

  • GFDRR एक वैश्विक साझेदारी है जो विकासशील देशों को प्राकृतिक खतरों और जलवायु परिवर्तन के प्रति उनकी भेद्यता को बेहतर ढंग से समझने एवं नुकसान को कम करने में सहायता प्रदान करती है।
  • यह विश्व बैंक द्वारा प्रबंधित अनुदान पोषित तंत्र है, जो दुनिया भर में आपदा जोखिम प्रबंधन परियोजनाओं को समर्थन प्रदान करता है।
  • GFDRR की स्थापना सितंबर 2006 में विश्व बैंक, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और द्विपक्षीय दाताओं की एक वैश्विक साझेदारी के रूप में हुई थी।

इसके निम्नलिखित मिशन हैं:

  • देश की विकास रणनीतियों में आपदा शमन और जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन (Climate Change Adaptation-CCA) तथा आपदा न्यूनीकरण (International Strategy for Disaster Reduction-ISDR) प्रणाली हेतु अंतर्राष्ट्रीय रणनीति के तहत विभिन्न हितधारकों के बीच वैश्विक एवं क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना एवं मज़बूती प्रदान करना।
  • देश की विकास रणनीतियों में आपदा न्यूनीकरण और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन (CCA) को शामिल करना,
  • आपदा न्यूनीकरण (ISDR) प्रणाली के लिये अंतर्राष्ट्रीय रणनीति के तहत विभिन्न हितधारकों के बीच वैश्विक और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना एवं मज़बूती प्रदान करना।
  • आपदा जोखिम प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन को विकास रणनीतियों और निवेश कार्यक्रमों में एकीकृत करने तथा आपदाओं से जल्द एवं प्रभावी ढंग से उबरने में देशों की मदद करके GFDRR आपदा जोखिम न्यूनीकरण हेतु सेंदाई फ्रेमवर्क (Sendai Framework for Disaster Risk Reduction) के कार्यान्वयन में योगदान करता है।

सेंदाई फ्रेमवर्क क्या है?

  • सेंदाई फ्रेमवर्क एक प्रगतिशील ढाँचा है और इस महत्त्वपूर्ण फ्रेमवर्क का उद्देश्य वर्ष 2030 तक आपदाओं के कारण महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे को होने वाले नुकसान एवं प्रभावित लोगों की संख्या को कम करना है।
  • यह 15 वर्षों के लिये स्वैच्छिक और गैर-बाध्यकारी समझौता है, जिसके अंतर्गत आपदा जोखिम को कम करने के लिये राज्य की भूमिका को प्राथमिक माना जाता है, लेकिन यह ज़िम्मेदारी अन्य हितधारकों समेत स्थानीय सरकार एवं निजी क्षेत्र के साथ साझा की जानी चाहिये।

सात वैश्विक लक्ष्य

  • वर्ष 2030 तक 2005-2015 की अवधि के मुकाबले 2020-2030 के दशक में औसत वैश्विक मृत्यु दर को प्रति 100,000 तक कम करना।
  • वर्ष 2030 तक 2005-2015 की अवधि की तुलना में 2020-2030 के दशक में वैश्विक रूप से आपदा प्रभवित लोगों की औसत संख्या को प्रति 100,000 तक कम करने का लक्ष्य है।
  • वर्ष 2030 तक वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के संबंध में प्रत्यक्ष आपदा से होने वाले आर्थिक नुकसान को कम करना।
  • वर्ष 2030 तक आपदा से होने वाली क्षति तथा साथ ही स्वास्थ्य और शैक्षिक सुविधाओं एवं महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे और बुनियादी सेवाओं में व्यवधान को कम करना।
  • वर्ष 2020 तक राष्ट्रीय और स्थानीय आपदा जोखिम में कमी की रणनीति अपनाने वाले देशों की संख्या में पर्याप्त वृद्धि करना।
  • वर्ष 2030 तक इस फ्रेमवर्क के कार्यान्वयन के लिये अपने राष्ट्रीय कार्यों की पूर्ति हेतु पर्याप्त और सतत् समर्थन के माध्यम से विकासशील देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना।
  • वर्ष 2030 तक मल्टी-हज़ार्ड अर्ली वार्निंग सिस्टम, आपदा जोखिम की जानकारी तथा आकलन की उपलब्धता में पर्याप्त वृद्धि करके लोगों की इन तक पहुँच सुनिश्चित करना।

चार प्रमुख कार्य

  • आपदा जोखिम का अध्ययन।
  • आपदा जोखिम प्रबंधन में सुधार करना।
  • ढाँचागत और गैर-ढाँचागत उपायों के ज़रिये आपदा जोखिम को कम करने के लिये निवेश करना।
  • आपदा का सामना करने के लिये तैयारी, पूर्व सूचना एवं आपदा के बाद बेहतर पुनर्निर्माण कार्य करना।
  • उल्लेखनीय है कि सेंदाई फ्रेमवर्क को ह्यूगो फ्रेमवर्क फॉर एक्शन (HFA) 2005-2015 के बाद लाया गया है।
  • ह्यूगो फ्रेमवर्क फॉर एक्शन आपदाओं में कमी लाने के लिये राष्ट्रों और समुदायों के बीच लचीलेपन का व्यवहार किये जाने के साथ क्षेत्रों में सभी अलग-अलग लोगों को आवश्यक कार्यों को समझाने, वर्णन करने एवंविस्तार करने संबंधी पहली योजना है।
  • UNISDR, सेंदाई फ्रेमवर्क के कार्यान्वयन, अनुवर्ती (फॉलो अप) और समीक्षा का कार्य करता है।

सेंदाई फ्रेमवर्क के प्रति भारत की प्रतिबद्धता

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