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कर्नाटक सरकार की कृत्रिम वर्षा परियोजना

  • 16 May 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में आई एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है कि इस साल वर्षा में कमी आ सकती है जिसके मद्देनज़र कर्नाटक सरकार ने जून के अंत में कृत्रिम वर्षा करवाने का निर्णय लिया है।

प्रमुख बिंदु

  • सरकार द्वारा अनुमान लगाया गया है कि इस परियोजना की लागत लगभग 88 करोड़ रुपए आएगी।
  • रिपोर्ट के हवाले से यह भी कहा गया कि इस वर्ष कर्नाटक में कम वर्षा होने की संभावना है एवं सरकार ने इसके लिये पूर्वोपाय करते हुए कृत्रिम वर्षा कराने का फैसला लिया है।
  • इस रिपोर्ट के अनुसार, सरकार को कृत्रिम वर्षा कराने की सलाह विशेषज्ञों की एक समिति ने दी है इसके लिये सरकार 7-10 दिनों के बीच निविदा जारी कर सकती है जिसकी समयसीमा दो साल होगी।

मानसून-पूर्व योजना (Pre-monsoon Mission)

  • इससे पहले अगस्त में कृत्रिम वर्षा करवाई जाती थी और तब तक मानसून समाप्त हो जाता था, इस बार इस कमी को दूर करने के लिये मानसून के दौरान ही कृत्रिम वर्षा कराने का फैसला किया गया है।
  • इसके लिये बंगलूरू और हुबली दो केंद्र बनाए गए हैं जहाँ दो विमानों की सहायता से कृत्रिम वर्षा कराई जाएगी।
  • अगर किसी एक क्षेत्र में अधिक वर्षा होती है तो यह केंद्र वहाँ विस्थापित कर दिया जाएगा जहाँ वर्षा कम होने की आशंका हो।

कृत्रिम वर्षा (Cloud Seeding)

  • क्लाउड सीडिंग मौसम में बदलाव लाने की एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें बादलों से इच्छानुसार वर्षा कराई जा सकती है।
  • क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) के लिये सिल्वर आयोडाइड (Silver Iodide) या ठोस कार्बन डाइऑक्साइड (Dry Ice) को विमानों का उपयोग कर बादलों के बहाव के साथ फैला दिया जाता है।
  • विमान में सिल्वर आयोडाइड के दो बर्नर या जनरेटर लगे होते हैं, जिनमें सिल्वर आयोडाइड का घोल उच्च दाब (High Pressure) के साथ भरा होता है।
  • जहाँ बारिश करानी होती है वहाँ पर हवा की विपरीत दिशा में इसका छिड़काव किया जाता है।
  • कहाँ और किस बादल पर इसे छिड़कने से बारिश ज़्यादा होगी, इसका फैसला मौसम वैज्ञानिक करते हैं। इसके लिये मौसम के आँकड़ों का सहारा लिया जाता है।
  • कृत्रिम वर्षा की इस प्रक्रिया में बादल के छोटे-छोटे कण हवा से नमी सोखते हैं और संघनन से उसका द्रव्यमान बढ़ जाता है। इससे जल की भारी बूँदें बनकर बरसने लगती हैं।
  • क्लाउड सीडिंग का उपयेाग वर्षा में वृद्धि करने, ओलावृष्टि के नुकसान को कम करने, कोहरा हटाने तथा तात्कालिक रूप से वायु प्रदूषण कम करने के लिये भी किया जाता है।

वर्षाधारी परियोजना

  • 22 अगस्त, 2017 को कर्नाटक सरकार ने बंगलूरू में कृत्रिम वर्षा के लिये वर्षाधारी परियोजना को आरंभ किया था।
  • 2018 में राज्य सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया कि इस परियोजना से बारिश में 27.9% की वृद्धि हुई और लिंगमनाकी जलाशय में 2.5 tmcft (Thousand Mllion Cubic Feet) का अतिरिक्त प्रवाह रहा है।
  • एक स्वतंत्र मूल्यांकन समिति द्वारा इसे सफल परियोजना घोषित किया गया।

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स्रोत: हिंदुस्तान बिज़नेस लाइन

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