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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता

  • 06 Oct 2017
  • 8 min read

संदर्भ 

हाल ही में ‘अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी’ (International Energy Agency -IEA)  द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में वर्ष 2022 तक दोगुनी से अधिक वृद्धि होगी। विदित हो कि ऊर्जा में होने वाली इस बढ़ोतरी के कारण यह पहली बार यूरोपीय संघ में हुए नवीकरणीय ऊर्जा विस्तार को पीछे छोड़कर उससे आगे निकल जाएगा।

 प्रमुख बिंदु

  • दरअसल, वर्तमान में भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 58.30 गीगावाट है। अतः सरकार ने वर्ष 2022 तक 175 गीगावाट ऊर्जा उत्पन्न करने का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। इस लक्ष्य के तहत 100 गीगावाट सौर ऊर्जा और 60 गीगावाट पवन ऊर्जा का उत्पादन किया जाएगा। 
  • अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार, भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में सौर फोटोवोल्टिक (solar photovoltaic) और पवन ऊर्जा का संयुक्त रूप से 90% योगदान है। 
  • स्पष्टतः चीन ने वर्ष 2020 के लिये निर्धारित किये गए अपने सौर फोटोवोल्टिक लक्ष्य को समय से तीन वर्ष पूर्व ही पूरा कर लिया है तथा वर्ष 2019 में यह पवन ऊर्जा के लक्ष्य को भी पूरा कर लेगा। हालाँकि इसके बावजूद भी चीन को नवीकरणीय ऊर्जा संबंधी सब्सिडियों की बढ़ती लागतों और ग्रिड एकीकरण जैसी दो महत्त्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। 
  • वास्तव में वर्ष 2022 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में लगभग 1,000 गीगावाट की वृद्धि होगी, जोकि वर्तमान में वैश्विक कोयला ऊर्जा क्षमता का लगभग आधा है। 
  • ध्यातव्य है कि इस वर्ष लगाए गए नवीकरणीय ऊर्जा के पूर्वानुमान पिछले वर्ष से 12% अधिक है, जिसका कारण चीन और भारत में लगाए गए सौर फोटोवोल्टिक हैं। चीन, भारत और अमेरिका वर्ष 2022 में वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा के दो-तिहाई भाग के उपभोक्ता होंगे।
  • वर्ष 2022 में भारत की कुल सौर फोटोवोल्टिक क्षमता भारत और जापान की संयुक्त विद्युत क्षमता से अधिक हो जाएगी।
  • इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे कारों, दोपहिया और तिपहिया वाहनों एवं बसों द्वारा किया जाने वाला विद्युत उपभोग अगले पाँच वर्षों में दोगुना हो जाएगा। वर्ष 2022 तक इलेक्ट्रिक वाहनों द्वारा किये जाने वाले ऊर्जा उपभोग में लगभग 30% योगदान नवीकरणीय ऊर्जा का होगा, जोकि वर्तमान में 26% है।
  • इलेक्ट्रिक वाहनों में जैव ईंधन पूरक भूमिका निभाते हैं । परिवहन में जैव ईंधनों का योगदान 80% है। हालाँकि यह माना जाता है कि वर्तमान में कुल सड़क परिवहन द्वारा किये जाने वाले ऊर्जा उपभोग में नवीकरणीय ऊर्जा का योगदान सीमित ही है क्योंकि इसमें वर्ष 2016 के 4% की तुलना में वर्ष 2022 में लगभग 5% की ही वृद्धि होने का अनुमान है। 

नवीकरणीय ऊर्जा क्या है?

  • यह ऐसी ऊर्जा है जो प्राकृतिक स्रोतों पर निर्भर करती है। इसमें सौर ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा, पवन, ज्वार, जल और बायोमास के विभिन्न प्रकारों को शामिल किया जाता है। 

यह क्यों महत्त्वपूर्ण है?

  • यह स्वच्छ ऊर्जा का एक प्रकार है जोकि प्रकृति में उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों से प्राप्त होती है।
  • कुछ देशों में नवीकरणीय ऊर्जा जीवाश्म ईंधनों से सस्ती है। कुछ देशों में नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा का एक सस्ता विकल्प है। ध्यातव्य है देशों की उच्च क्षमता के कारण उनके लिये नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन करना अपेक्षाकृत आसान होता है। 
  • एक पवन ऊर्जा टरबाइन से 300 घरों की आवश्यकता की पूर्ति हेतु आवश्यक बिजली का उत्पादन किया जा सकता है।
  • जीवाश्म ईंधनों के समान नवीकरणीय स्रोत प्रत्यक्षतः हरित गृह गैसों का उत्सर्जन नहीं करते हैं। ध्यातव्य है कि हरितगृह गैसों के कारण ही वैश्विक तापन की घटना देखने को मिलती है।
  • सर्वेक्षण दर्शाते हैं कि विश्व में कोयला, तेल, गैस और यूरेनियम की अपेक्षा भू-तापीय ऊर्जा के लिये संसाधन आधार काफी अधिक मात्र में उपलब्ध हैं।
  • वर्तमान में बायोमास अमेरिका का सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है क्योंकि वहाँ मौज़ूद इसके 200 संयंत्र लगभग 1.5 मिलियन अमेरिकी घरों को बिजली उपलब्ध कराते हैं।

अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • मात्र 5 वर्षों के अंतराल पर पुर्तगाल के इलेक्ट्रिक ग्रिड में नवीकरणीय ऊर्जा का योगदान 15% से बढ़कर 45% हो चुका है।
  • वर्ष 2050 तक उत्तरी अमेरिका और अफ्रीका में नवीकरणीय ऊर्जा का ही उपयोग किये जाने का अनुमान है।
  • वर्ष 2020 तक वैश्विक विद्युत मांग में सौर फोटोवोल्टिक का योगदान 5% होगा, जबकि वर्ष 2030 में यही योगदान 9% होगा।
  • विगत 30 वर्षों में आइसलैंड की बिजली आपूर्ति में आयातित कोयले के 75% की तुलना में 80% योगदान स्थानीय भू-तापीय और जल ऊर्जा का रहा है।
  • वर्ष 2050 में हमारी 95% ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति नवीकरणीय ऊर्जा से ही होगी। 

क्या हैं चुनौतियाँ?

  • सामान्यतः जीवाश्म ईंधन ऊर्जा की तुलना में नवीकरणीय ऊर्जा को उत्पन्न करने तथा उपयोग करने की लागत अधिक है। अनुकूल नवीकरणीय संसाधन प्रायः दूरस्थ स्थानों पर पाए जाते हैं और जिन शहरों को बिजली की अधिक आवश्यकता होती है, वहाँ नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से बिजली बनाने में अत्यधिक खर्च आता है। इसके अतिरिक्त, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत हमेशा उपलब्ध भी नहीं रहते हैं।
  • बादल, सौर ऊर्जा संयंत्रों से बनने वाली बिजली की मात्रा को कम कर देते हैं।
  • जिस दिन हवा कम चलती है उस दिन पवन फार्मों से बनने वाली बिजली का उत्पादन कम हो जाता है। 
  • सूखे के कारण जल ऊर्जा के लिये आवश्यक जल की मात्रा में कमी आ जाती है।

निष्कर्ष

  • आज विश्व समुदाय का ध्यान नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर अधिक आकर्षित हो रहा है। उल्लेखनीय है कि विगत कुछ वर्षों में लोग यह जानने में भी सक्षम हुए हैं कि जीवाश्म ईंधनों पर हमारी निर्भरता के कारण ही वर्तमान में बड़ी समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं। अतः आवश्यकता है कि ऊर्जा के गैर-नवीकरणीय स्रोतों की बजाय नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग किया जाए।
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