अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-MERCOSUR अधिमान्य व्यापार समझौता
- 21 Oct 2025
- 64 min read
प्रीलिम्स के लिये: अधिमान्य व्यापार समझौता, MERCOSUR, विश्व व्यापार संगठन, यूरोपीय संघ
मेन्स के लिये: भारत के अधिमान्य व्यापार समझौते, रणनीतिक व्यापार विविधीकरण और बहुध्रुवीय विदेश व्यापार नीति
चर्चा में क्यों?
भारत और ब्राज़ील ने भारत-MERCOSUR अधिमान्य व्यापार समझौते (PTA) का विस्तार करने के लिये एक संयुक्त घोषणा की घोषणा की है, जिससे लैटिन अमेरिका, विशेष रूप से ब्राज़ील, अर्जेंटीना, उरुग्वे और पैराग्वे के मर्कोसुर ब्लॉक के साथ भारत के व्यापार संबंधों को मज़बूती मिलेगी।
भारत-MERCOSUR PTA को गहन बनाने के लिये भारत-ब्राज़ील संयुक्त घोषणा की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- भारत–ब्राज़ील संयुक्त घोषणा: दोनों देशों ने सहमति व्यक्त की कि अधिमान्य व्यापार समझौता (PTA) को शुल्क और गैर-शुल्क मुद्दों को शामिल करते हुए व्यापक रूप से विस्तारित किया जाएगा, ताकि अधिक व्यापार को अधिमान्य पहुँच का लाभ मिल सके।
- PTA के अनुच्छेद 23 के तहत स्थापित संयुक्त प्रशासन समिति के नेतृत्व में जल्द ही एक तकनीकी वार्ता शुरू होगी। इससे विस्तारित समझौते के दायरे और तौर-तरीकों को परिभाषित करने में सहायता मिलेगी।
- इस पहल का उद्देश्य शुल्क वरीयताओं को बढ़ाना और भारत व ब्राज़ील के बीच द्विपक्षीय व्यापार को वर्तमान 12.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़ाकर वर्ष 2030 तक 20 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचाना है।
- भारत - MERCOSUR PTA: भारत ने पारस्परिक टैरिफ वरीयताओं के माध्यम से व्यापार वार्ता को सुविधाजनक बनाने के लिये वर्ष 2003 में एक रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर किये, इसके बाद वर्ष 2004 में एक PTA पर हस्ताक्षर किये गए, जिसे विश्व व्यापार संगठन (WTO) के अनुसार वर्ष 2009 में लागू किया गया।
- PTA देशों को कुछ विशिष्ट उत्पादों पर शुल्क में वरीयता प्राप्त पहुँच देने की अनुमति देता है, जबकि मुक्त व्यापार समझौते (FTA) अधिक व्यापक होते हैं और अधिक संख्या में वस्तुओं को शामिल करते हैं।
- भारत–MERCOSUR PTA को पाँच परिशिष्टों के माध्यम से लागू किया गया है, जो भारतीय और MERCOSUR उत्पादों पर शुल्क रियायतें, मूल उत्पत्ति के नियम, सुरक्षा उपाय और विवाद निपटान तंत्र को शामिल करते हैं।
- ये परिशिष्ट इस समझौते के अंतर्गत व्यापार को संचालित और प्रबंधित करने के लिये रूपरेखा प्रदान करते हैं।
- वर्तमान में यह समझौता लगभग 450 टैरिफ लाइनों को शामिल करता है और सीमित शुल्क रियायतें प्रदान करता है।
MERCOSUR क्या है?
- परिचय: MERCOSUR (दक्षिणी साझा बाज़ार) लैटिन अमेरिका में एक क्षेत्रीय व्यापारिक समूह है, जिसकी स्थापना शुरू में अर्जेंटीना, ब्राज़ील, पैराग्वे और उरुग्वे द्वारा की गई थी तथा बाद में वेनेज़ुएला एवं बोलीविया भी इसमें शामिल हो गए।
- इसकी स्थापना वर्ष 1991 में असुनसियन संधि के तहत सदस्य देशों के बीच वस्तुओं, सेवाओं, पूंजी और लोगों की मुक्त आवाजाही को बढ़ावा देने के लक्ष्य के साथ की गई थी।
- ओरो प्रेटो संधि (1994) ने MERCOSUR को एक कानूनी पहचान दी और इसे एक सीमा शुल्क संघ के रूप में स्थापित किया, जिसने समान बाह्य शुल्कों एवं समन्वित व्यापार नीतियों को अनुमति दी।
- इस ब्लॉक का मुख्यालय मोंटेवीडियो, उरुग्वे में है तथा इसकी आधिकारिक भाषाएँ पुर्तगाली और स्पेनिश हैं।
- महत्त्व: MERCOSUR यूरोपीय संघ (EU), उत्तरी अमेरिकी मुक्त व्यापार समझौता (NAFTA) और दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (ASEAN) के बाद चौथा सबसे बड़ा एकीकृत बाज़ार है।
- 270 मिलियन की कुल जनसंख्या के साथ MERCOSUR देश विश्व की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं।
भारत-MERCOSUR PTA का क्या महत्त्व है?
- दक्षिण–दक्षिण सहयोग को सशक्त बनाना: BRICS, G20 और IBSA के प्रमुख सदस्यों के रूप में, भारत तथा ब्राज़ील अपने व्यापारिक एवं रणनीतिक संबंधों को मज़बूत कर रहे हैं, जिससे दक्षिण–दक्षिण सहयोग को और बल मिल रहा है।
- भारत का उभरती हुई लैटिन अमेरिकी अर्थव्यवस्थाओं के साथ PTA के माध्यम से जुड़ाव उसकी बहुध्रुवीय विदेशी व्यापार रणनीति को आगे बढ़ा रहा है।
- बेहतर बाज़ार पहुँच: व्यापक शुल्क रियायतें भारतीय उत्पादों को लैटिन अमेरिका के बाज़ारों में अधिक प्रतिस्पर्द्धी बनाएंगी, जिससे चीन और यूरोपीय आपूर्तिकर्त्ताओं पर निर्भरता कम होगी।
- वित्त वर्ष 2024–25 में भारत का MERCOSUR को निर्यात 8.12 बिलियन अमेरिकी डॉलर और आयात 9.36 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जिसमें अधिकांश व्यापार ब्राज़ील के साथ हुआ।
- रणनीतिक व्यापार पहुँच: MERCOSUR के साथ संबंधों की गहराई भारत के यूरोपीय संघ (EU), अमेरिका और इंडो-पैसिफिक साझेदारों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) को आगे बढ़ाने के प्रयासों के पूरक हैं, जिससे भारत का ट्रेड पोर्टफोलियो विविध हो रहा है।
- कृषि और ऊर्जा के अवसर: भारत को कृषि आयात, ऊर्जा संसाधन और कच्चे माल से लाभ मिल सकता है, जबकि वह औषधीय उत्पाद, इंजीनियरिंग वस्तुएँ एवं IT सेवाएँ निर्यात कर सकता है।
भारत-MERCOSUR PTA को बढ़ाने में क्या चुनौतियाँ हैं?
- कृषि संरक्षणवाद: MERCOSUR देशों, विशेषकर ब्राज़ील और अर्जेंटीना में कृषि क्षेत्र के लिये मज़बूत संरक्षण नीतियाँ हैं, जिससे भारत के चीनी, दलहन तथा दुग्ध उत्पादों जैसे सामानों की पहुँच सीमित हो जाती है।
- आर्थिक विषमता: MERCOSUR अर्थव्यवस्थाएँ मुख्य रूप से वस्तुओं के निर्यात पर आधारित हैं, जबकि भारत का उत्पादन क्षेत्र विनिर्माण और सेवाओं में अधिक विविधीकृत है।
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यह विषमता परस्पर रियायतों पर सहमति बनाना कठिन बना देती है, क्योंकि इससे व्यापार असंतुलन बढ़ने की आशंका रहती है।
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सदस्य देशों के बीच सहमति: द्विपक्षीय FTA के विपरीत, MERCOSUR के सभी देशों को उत्पाद सूचियों, शुल्क लाइनों और मूल नियमों पर सहमति देनी होती है, जिससे निर्णय लेने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है।
- बुनियादी ढाँचा और लॉजिस्टिक सीमाएँ: भले ही शुल्क रियायतें दी जाएँ, फिर भी परिवहन, नौवहन और आपूर्ति शृंखला की अक्षमताएँ भारत तथा दक्षिण अमेरिका के बीच व्यापार प्रवाह को सीमित कर सकती हैं।
- गैर-शुल्क बाधाएँ (NTB): मानकों, तकनीकी विनियमों और सीमा-शुल्क प्रक्रियाओं में अंतर होने से, शुल्क रियायतें मिलने के बावजूद व्यापार सीमित हो सकता है। NTB का सामंजस्य करना अक्सर शुल्क वार्ताओं की तुलना में अधिक जटिल होता है।
कौन-से उपाय भारत-MERCOSUR PTA को सुदृढ़ कर सकते हैं?
- उत्पाद कवरेज का विस्तार: 450 शुल्क लाइनों से आगे PTA का विस्तार किया जाएगा और IT, स्वच्छ ऊर्जा तथा ऑटोमोबाइल घटकों जैसे परस्पर लाभकारी क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाएगी।
- गैर-शुल्क बाधाओं का समाधान: मानक, तकनीकी विनियम और स्वच्छता उपायों को WTO मानकों के अनुरूप किया जाएगा, सीमा-शुल्क प्रक्रियाओं को सरल बनाया जाएगा तथा डिजिटल व्यापार सुविधा को मज़बूत किया जाएगा ताकि व्यवसाय सुगमता को बढ़ावा मिल सके
- कृषि वार्ता और बाज़ार पहुँच: दलहनों, चावल और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के लिये चरणबद्ध पहुँच सुनिश्चित की जाएगी, साथ ही MERCOSUR देशों की संवेदनशीलताओं का सम्मान किया जाएगा।
- कृषि प्रौद्योगिकी, खाद्य प्रसंस्करण और संयुक्त मूल्य शृंखलाओं में सहयोग के अवसर तलाशे जाएंगे।
- दक्षिण-दक्षिण सहयोग के साथ रणनीतिक सामंजस्य: BRICS और IBSA (भारत, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका) के तहत भारत–ब्राज़ील संबंधों का लाभ उठाकर नीतिगत सहयोग को सशक्त किया जाएगा और शुल्क वार्ताओं के साथ निवेश संबंधों को भी प्रोत्साहित किया जाएगा।
निष्कर्ष
भारत-MERCOSUR PTA का विस्तार व्यापार को गहरा करने, बाज़ारों में विविधता लाने और दक्षिण-दक्षिण सहयोग को मज़बूत करने का एक रणनीतिक अवसर प्रदान करता है। गैर-शुल्क बाधाओं और कृषि संबंधी संवेदनशीलताओं का समाधान इसकी सफलता की कुंजी होगा।
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दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत की विदेश व्यापार रणनीति में भारत-MERCOSUR अधिमान्य व्यापार समझौते के विस्तार के महत्त्व की आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये। |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. MERCOSUR क्या है??
MERCOSUR (दक्षिणी साझा बाज़ार) एक लैटिन अमेरिकी व्यापारिक समूह है जिसकी स्थापना वर्ष 1991 में ब्राज़ील, अर्जेंटीना, पैराग्वे और उरुग्वे द्वारा वस्तु, सेवाओं, पूंजी और लोगों की मुक्त आवाजाही को बढ़ावा देने के लिये की गई थी।
2. भारत-MERCOSUR PTA पर कब हस्ताक्षर किये गए और इसे कब लागू किया गया?
वर्ष 2003 में फ्रेमवर्क समझौते के बाद वर्ष 2004 में PTA पर हस्ताक्षर किये गए तथा यह वर्ष 2009 में प्रभावी हुआ, जिसमें लगभग 450 टैरिफ लाइनें शामिल थीं।
3. भारत-MERCOSUR PTA भारत के लिये क्यों महत्त्वपूर्ण है?
यह दक्षिण-दक्षिण सहयोग को मज़बूत करता है, लैटिन अमेरिका में बाज़ार पहुँच को बढ़ाता है, फार्मास्यूटिकल्स, इंजीनियरिंग और IT में निर्यात का समर्थन करता है और चीन और यूरोप से परे भारत के व्यापार पोर्टफोलियो में विविधता लाता है।