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भारतीय अर्थव्यवस्था

विनिर्माण क्रय प्रबंधक सूचकांक में अल्प वृद्धि

  • 03 Jun 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

क्रय प्रबंधक सूचकांक

मेन्स के लिये:

विनिर्माण क्षेत्र एवं क्रय प्रबंधक सूचकांक से संबंधित मुद्दे 

चर्चा में क्यों?

आईएचएस मार्किट इंडिया (IHS Markit India) द्वारा जारी मासिक सर्वेक्षण के अनुसार, मई, 2020 में विनिर्माण क्षेत्र के ‘क्रय प्रबंधक सूचकांक’ (Purchasing Manager's Index- PMI) में अल्प वृद्धि दर्ज की गई है।

प्रमुख बिंदु:

  • गौरतलब है कि मई, 2020 में विनिर्माण क्रय प्रबंधक सूचकांक 30.8 दर्ज किया गया, जबकि अप्रैल, 2020 में यह 20.7 अंक पर था। 
  • आईएचएस मार्किट की रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल, 2020 में पूर्ण लॉकडाउन से बाज़ार में वस्तुओं की मांग एवं उत्पादन में कमी के कारण कई कंपनियों ने कर्मचारियों की छंटनी की है और व्यवसायों को इस संकट से उबरने में विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। 
  • ध्यातव्य है कि वित्तीय वर्ष 2020 में ‘स्टैंडर्ड एंड पूअर्स’ (Standard and Poors- S&P) और ‘क्रिसिल’ (Crisil) जैसी रेटिंग एजेंसियों ने सकल घरेलू उत्पाद में 5% तक की गिरावट का अनुमान लगाया है। 
  • विभिन्न विशेषज्ञों का मत है कि सरकार द्वारा हाल ही में घोषित आर्थिक पैकेज वित्तीय वर्ष 2021-22 और 2022-23 तक भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देने में सहायक साबित नहीं होगा।  
  • विनिर्माण सूचकांक को आईएचएस मार्किट इंडिया द्वारा 15 वर्ष पहले शुरू किया गया था। हालिया विनिर्माण सूचकांक अब तक का दूसरा न्यूनतम सूचकांक है। 
  • आईएचएस मार्किट इंडिया ने विनिर्माण क्रय प्रबंधक सूचकांक को लगभग 400 विनिर्मिताओं के सर्वेक्षण के आधार पर तैयार किया है। इस सर्वेक्षण में नए कॉन्ट्रैक्ट, फैक्ट्री की उत्पादन क्षमता, कर्मचारियों की संख्या, कच्चा माल या उत्पादित वस्तुओं के आवागमन का समय, इत्यादि को शामिल किया गया है। 

क्रय प्रबंधक सूचकांक (Purchasing Manager's Index- PMI)

  • क्रय प्रबंधक सूचकांक विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में व्यावसायिक गतिविधियों का एक संकेतक है। यह एक सर्वेक्षण-आधारित प्रणाली है।
  • PMI की गणना विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों हेतु अलग-अलग की जाती है जिसके पश्चात् एक समग्र सूचकांक का तैयार किया जाता है। 
  • PMI में 0 से 100 तक की संख्या होती है।
  • 50 से ऊपर का आँकड़ा व्यावसायिक गतिविधि में विस्तार या विकास को दर्शाता है, जबकि 50 से नीचे का आँकड़ा संकुचन (गिरावट) को दर्शाता है।
  • क्रय प्रबंधक सूचकांक की तुलना पिछले माह के आँकड़ो से करके भी विकास या संकुचन का पता लगाया जा सकता है।
  • क्रय प्रबंधक सूचकांक हर महीने की शुरुआत में जारी किया जाता है। यह आर्थिक गतिविधियों का एक प्रमुख संकेतक माना जाता है।
  • क्रय प्रबंधक सूचकांक ‘औद्योगिक उत्पादन सूचकांक’ (Index of Industrial Production-IIP) से भिन्न होता है।

क्रय प्रबंधक सूचकांक में हालिया गिरावट के कारण:

  • मांग में कमी के कारण व्यापार में गिरावट को देखते हुए विभिन्न औद्योगिक संस्थानों को अपने कर्मचारियों की संख्या में भी कमी करनी पड़ी है। 
  • देशभर में लॉकडाउन से अप्रैल, 2020 में गिरावट के बाद भी मई, 2020 में फैक्ट्री को बाज़ार से प्राप्त होने वाले नए कॉन्ट्रैक्ट (उत्पाद निर्माण से संबंधित), फैक्ट्री में निर्मित कुल उत्पाद, इत्यादि की संख्या में भारी कमी आई है। 
  • लॉकडाउन की अवधि बढ़ने के कारण आर्थिक गतिविधियाँ बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं। 
  • अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में नए उत्पाद की मांग में कमी क्रय प्रबंधक सूचकांक में गिरावट के प्रमुख कारणों में से एक है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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