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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-जापान

  • 29 Apr 2021
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जापान के प्रधानमंत्री के साथ टेलीफोन वार्ता के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री ने उच्च प्रौद्योगिकी, कौशल विकास और कोविड-19 महामारी से लड़ने सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।

Japan

प्रमुख बिंदु:

कोविड-19 की स्थिति:

  • इस दौरान महामारी से उत्पन्न चुनौतियों को दूर करने के लिये भारत-जापान सहयोग के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया तथा विविधतापूर्ण और भरोसेमंद आपूर्ति शृंखला बनाने, महत्त्वपूर्ण सामग्री तथा प्रौद्योगिकियों की विश्वसनीय आपूर्ति सुनिश्चित करने और विनिर्माण तथा कौशल विकास में नई साझेदारी विकसित करने पर ज़ोर दिया गया।
    • इस संदर्भ में दोनों नेताओं ने अपनी क्षमताओं के तालमेल और पारस्परिक रूप से लाभकारी परिणाम प्राप्त करने के लिये निर्दिष्ट कुशल श्रमिक (SSW) समझौते के शीघ्र संचालन की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया।
    • उन्होंने मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल (MAHSR) परियोजना को दोनों देशों के सहयोग के एक उदाहरण के रूप में रेखांकित किया।

भारत-प्रशांत सहयोग:

  • इस दौरान जापान-भारत द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग की पुष्टि की गई, जिसमें एक स्वतंत्र और खुले भारत-प्रशांत क्षेत्र के निर्माण की दिशा में जापान-ऑस्ट्रेलिया-भारत-अमेरिका चतुर्भुज सहयोग (क्वाड ) शामिल है।

विभिन्न क्षेत्रों में संभावित सहयोग:

  • दोनों देशों के बीच 5G, सबमरीन केबल, औद्योगिक प्रतिस्पर्द्धा को मज़बूत करने, पूर्वोत्तर राज्य में आपूर्ति शृंखलाओं और विकास परियोजनाओं के विविधीकरण आदि में भी सहयोग की संभावना है।

भारत और जापान के बीच अन्य हालिया विकास:

  • हाल ही में भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में आपूर्ति शृंखला में चीन के प्रभुत्व का मुकाबला करने के लिये औपचारिक रूप से ‘सप्लाई चैन रेज़ीलिएंस इनीशिएटिव’ (SCRI) की शुरुआत की है।
    • SCRI का लक्ष्य इस क्षेत्र में मज़बूत, स्थायी, संतुलित और समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिये लचीली आपूर्ति शृंखला का निर्माण करना है।
  • हाल ही में जापान ने भारत में कई प्रमुख अवसंरचना परियोजनाओं के लिये लगभग 233 बिलियन येन के ऋण और अनुदान को अंतिम रूप दिया है, जिसमें अंडमान और निकोबार के लिये एक परियोजना भी शामिल है।
  • वर्ष 2020 में भारत और जापान ने एक रसद समझौते पर हस्ताक्षर किये थे, जो दोनों देशों के सशस्त्र बलों को सेवाओं और आपूर्ति में निकट समन्वय स्थापित करने की अनुमति देगा। इस समझौते को ‘अधिग्रहण और क्रॉस-सर्विसिंग समझौते’ (ACSA) के रूप में जाना जाता है।
  • वर्ष 2014 में भारत और जापान ने अपने संबंधों को 'विशेष रणनीतिक और वैश्विक भागीदारी' के क्षेत्र में उन्नत किया था।
  • अगस्त 2011 में लागू ‘भारत-जापान व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता’ (CEPA) वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार, निवेश, बौद्धिक संपदा अधिकार, कस्टम प्रक्रियाओं और व्यापार से संबंधित अन्य मुद्दों को शामिल करता है।
  • रक्षा अभ्यास:
    • भारत और जापान के रक्षा बलों के बीच विभिन्न द्विपक्षीय अभ्यासों का आयोजन किया जाता है, जिसमें JIMEX (नौसेना), SHINYUU मैत्री (वायु सेना), और धर्म गार्जियन (थल सेना) आदि शामिल हैं। दोनों देश संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ मालाबार अभ्यास (नौसेना अभ्यास) में भी भाग लेते हैं।

आगे की राह:

  • अधिक सहयोग और सहभागिता दोनों देशों के लिये फायदेमंद साबित हो सकती है, क्योंकि भारत को जापान से परिष्कृत तकनीक की आवश्यकता है।
  • ‘मेक इन इंडिया’ के संबंध में बहुत बड़ी संभावना है। भारतीय कच्चे माल और श्रम के साथ जापानी डिजिटल प्रौद्योगिकी का विलय करके संयुक्त उद्यम बनाए जा सकते हैं।
  • भौतिक के साथ-साथ डिजिटल स्पेस में एशिया और इंडो-पैसिफिक में चीन के बढ़ते प्रभुत्व से निपटने के लिये दोनों देशों का करीबी सहयोग सबसे अच्छा उपाय है।

स्रोत- द हिंदू

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