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कृषि

भारत में हींग कृषि परियोजना

  • 20 Oct 2020
  • 4 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारत में हींग कृषि परियोजना

मेन्स के लिये:

भारत में हींग कृषि परियोजना

चर्चा में क्यों?

'इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी (IHBT), पालमपुर के वैज्ञानिक भारतीय हिमालयन क्षेत्र में हींग की कृषि को बढ़ावा देने के लिये एक ‘मिशन प्रोजेक्ट’ पर कार्य कर रहे हैं। IHBT,  हिमाचल प्रदेश में स्थित  'वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद' (CSIR) की एकमात्र प्रयोगशाला है।

प्रमुख बिंदु:

  • यह ‘अम्बेलीफेरिया’ (Umbelliferae) परिवार का एक पौधा है। यह एक बारहमासी पौधा है जिसकी मोटी जड़ों और प्रकंद से ‘ओलियो गम राल’ (Oleo Gum Resin) निकाली जाती है। यह पौधा पोषक तत्त्वों को अपनी गहरी मांसल जड़ों के अंदर संग्रहीत करता है।
  • यह ईरान और अफगानिस्तान में स्थानिक है। दोनों देश हींग के प्रमुख वैश्विक आपूर्तिकर्त्ता भी हैं। भारत में यह बहुत लोकप्रिय है और इसका उपयोग भोज्य पदार्थों में किया जाता है।

जलवायु की स्थिति: 

  • हींग की कृषि मुख्यत: शुष्क और ठंडे भागों में की जाती है। ग्रीष्मकाल में इसके लिये अधिकतम 35 से 40 डिग्री सेल्सियस तापमान, जबकि सर्दियों में न्यूनतम 0 से 4 डिग्री सेल्सियस तापमान आवश्यक होता है।
  • रेतीली मृदा, बहुत कम नमी और 200 मिमी. से अधिक वार्षिक वर्षा को हींग की कृषि के लिये अनुकूल माना जाता है। तीव्र मौसम के समय पौधे में निष्क्रिय रहने का गुण पाया जाता है। 

महत्त्व:

  • इसमें औषधीय गुण होते हैं, जिससे पाचन, शरीर में ऐठन,  पेट की बीमारियों, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस आदि में राहत मिलती है। 
  • मासिक धर्म और समय पूर्व प्रसव के दौरान होने वाले दर्दनाक या अत्यधिक रक्तस्राव को रोकने में इसका उपयोग किया जाता है।

भारत की हींग कृषि परियोजना

(India’s Heeng Cultivation Project):

  • भारत में हींग की कृषि नहीं की जाती है। भारत प्रतिवर्ष ईरान, अफगानिस्तान और उज़्बेकिस्तान से लगभग 1,200 टन कच्ची हींग का आयात करता है, जिसकी लागत लगभग 600 करोड़ रुपए है।
  • वर्ष 2017 में IHBT ने भारतीय हिमालयन क्षेत्र में हींग की कृषि के लिये एक प्रायोगिक परियोजना पर विचार के साथ 'राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो' (National Bureau of Plant Genetic Resources- NBPGR) से संपर्क किया।
  • जून 2020 में IHBT द्वारा हींग की कृषि करने के लिये हिमाचल प्रदेश के कृषि मंत्रालय के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए।
    • कृषि मंत्रालय ने 'लाहुल-स्पीति घाटी' में ऐसे चार स्थानों की पहचान की है और इस क्षेत्र में सात किसानों को हींग के बीज वितरित किये हैं।

चुनौतियाँ:

  • वैज्ञानिकों के समक्ष वर्तमान में प्रमुख चुनौती यह है कि हींग के बीज लंबे समय तक निष्क्रिय अवस्था में रहते हैं और बीज के अंकुरण की दर सिर्फ 1% होती है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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