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MSP और प्राकृतिक खेती पर सरकारी पैनल

  • 21 Jul 2022
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

प्राकृतिक खेती, कृषि विपणन प्रणाली, कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP), न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)।

मेन्स के लिये:

प्राकृतिक खेती और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और प्राकृतिक खेती संबंधी मुद्दों को देखने के लिये पूर्व केंद्रीय कृषि सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है।

समिति के गठन का उद्देश्य:

  • इसका गठन प्रधानमंत्री द्वारा तीन कृषि कानूनों को निरस्त करन की घोषणा के बाद किया गया था।
  • विरोध कर रहे किसानों द्वारा स्वामीनाथन आयोग के 'C2+50% फॉर्मूले' के आधार पर MSP को लेकर कानूनी गारंटी की मांग की गई थी।
    • स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि MSP में सरकार को उत्पादन की औसत लागत के कम-से-कम 50% की वृद्धि करनी चाहिये। इसे C2+50% सूत्र के रूप में भी जाना जाता है।
    • इसमें किसानों को 50% प्रतिफल/रिटर्न देने के लिये पूंजी पर अध्यारोपित लागत एवं भूमि पर लगान (जिसे ’C2’ कहा जाता है) को भी शामिल किया गया है।
  • यह तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की उनकी मांग के अतिरिक्त था :
    • किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन एवं सुविधा) अधिनियम, 2020
    • मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तीकरण व संरक्षण) समझौता अधिनियम, 2020
    • आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020

समिति की भूमिका:

  • MSP पर:
    • यह घरेलू उत्पादन और निर्यात का लाभ उठाकर किसानों को उनकी उपज के लाभकारी मूल्य के माध्यम से उच्च मूल्य सुनिश्चित करने हेतु देश की बदलती आवश्यकताओं के अनुसार कृषि विपणन प्रणाली के लिये कार्य करेगी।
    • व्यवस्था को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाकर देश के किसानों को MSP उपलब्ध कराने के लिये सुझाव देना।
    • कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) को अधिक स्वायत्तता देने के लिये सुझाव देना तथा इसे और अधिक वैज्ञानिक बनाने के उपाय करना।
  • प्राकृतिक खेती:
    • भारतीय प्राकृतिक कृषि प्रणाली के तहत मूल्य शृंखला विकास, प्रोटोकॉल सत्यापन और भविष्य की ज़रूरतों के लिये अनुसंधान तथा क्षेत्र विस्तार हेतु सहयोग कार्यक्रमों एवं योजनाओं का सुझाव प्रदान करेगी।
    • इसके अलावा प्रचार के माध्यम से और किसान संगठनों की भागीदारी एवं योगदान के माध्यम से भारतीय प्राकृतिक कृषि प्रणाली के तहत क्षेत्र के विस्तार के लिये समर्थन को बढ़ावा देना।
  • फसल विविधीकरण:
    • यह उत्पादक और उपभोक्ता राज्यों में कृषि-पारिस्थितिक क्षेत्रों के मौजूदा फसल पैटर्न की जाँच एवं मानचित्रण करेगा।
    • देश की बदलती ज़रूरतों के अनुसार फसल पैटर्न को बदलने के लिये विविधीकरण नीति दृष्टिकोण को बढ़ावा देना।

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP):

  • परिचय:
    • न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) कृषि कीमतों में किसी भी तेज़ गिरावट के खिलाफ कृषि उत्पादकों को सुरक्षा प्रदान करने हेतु भारत सरकार द्वारा बाज़ार में हस्तक्षेप का एक रूप है।
    • कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों के आधार पर कुछ फसलों के लिये बुवाई के मौसम की शुरुआत में भारत सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की जाती है।
    • वर्तमान में सरकार 23 फसलों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करती है।
    • MSP द्वारा कवर की जाने वाली फसलों में शामिल हैं:
      • 7 प्रकार के अनाज (धान, गेहूँ, मक्का, बाजरा, ज्वार, रागी और जौ)।
      • 5 प्रकार की दालें (चना, अरहर/तूर, उड़द, मूँगऔर मसूर)।
      • 7 तिलहन (रेपसीड-सरसों, मूँगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी, तिल, कुसुम, नाइजरसीड)।
      • 4 व्यावसायिक फसलें (कपास, गन्ना, खोपरा, कच्चा जूट)।
  • उद्देश्य:
    • MSP भारत सरकार द्वारा उत्पादक-किसानों को बंपर उत्पादन वर्षों के दौरान कीमतों में अत्यधिक गिरावट से बचाने के लिये निर्धारित मूल्य है।
    • इसका प्रमुख उद्देश्य किसानों को संकटग्रस्त बिक्री में सहयोग करना और सार्वजनिक वितरण के लिये खाद्यान्न की खरीद करना है।
      • यदि बंपर उत्पादन और बाज़ार में वस्तुओं की भरमार के कारण वस्तु का बाज़ार मूल्य घोषित न्यूनतम मूल्य से कम हो जाता है, तो सरकारी एजेंसियाँ किसानों द्वारा दी गई पूरी मात्रा को घोषित न्यूनतम मूल्य पर खरीद लेती हैं।
  • MSP निर्धारित करने के वाले कारक:
    • किसी वस्तु की मांग और आपूर्ति।
    • इसकी उत्पादन लागत।
    • बाज़ार मूल्य रुझान (घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों)।
    • अंतर-फसल मूल्य समता।
    • कृषि और गैर-कृषि के बीच व्यापार की शर्तें (अर्थात् कृषि आदानों एवं कृषि उत्पादों की कीमतों का अनुपात)।
    • उत्पादन लागत पर मार्जिन के रूप में न्यूनतम 50%।
    • उस उत्पाद के उपभोक्ताओं पर MSP के संभावित प्रभाव।

प्राकृतिक खेती:

  • परिचय:
    • इसे "रसायन मुक्त कृषि (Chemical-Free Farming) और पशुधन आधारित (livestock based)" के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
    • कृषि-पारिस्थितिकी के मानकों पर आधारित यह एक विविध कृषि प्रणाली है जो फसलों, पेड़ों और पशुधन को एकीकृत करती है, जिससे कार्यात्मक जैवविविधता के इष्टतम उपयोग की अनुमति मिलती है।
    • यह मिट्टी की उर्वरता और पर्यावरणीय स्वास्थ्य को बढ़ाने तथा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने या न्यून करने जैसे कई अन्य लाभ प्रदान करते हुए किसानों की आय बढ़ाने में सहायक है।
      • कृषि के इस दृष्टिकोण को एक जापानी किसान और दार्शनिक मासानोबू फुकुओका (Masanobu Fukuoka) ने वर्ष 1975 में अपनी पुस्तक द वन-स्ट्रॉ रेवोल्यूशन में पेश किया था।
  • लाभ:
    • अन्य कृषि प्रणालियों की तुलना में वास्तविक शारीरिक कार्य और श्रम में 80% तक की कमी आई है।
    • मृदा की गुणवत्ता में सुधार।
    • ह्यूमस का निर्माण।
    • जल प्रतिधारण में सुधार होता है, इसलिये यह 60 से 80% जल बचाता है।
    • पौधों के आसपास सूक्ष्म जलवायु।
    • लाभकारी कीटों को आकर्षित किया जाता है।

विगत वर्ष के प्रश्न:

प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)  

  1. सभी अनाजों, दालों और तिलहनों के मामले में भारत के किसी भी राज्य/संघ राज्य क्षेत्र में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद असीमित है।  
  2. अनाज और दालों के मामले में MSP किसी भी राज्य/केंद्रशासित प्रदेश में उस स्तर पर तय किया जाता है जहाँ बाज़ार मूल्य कभी नहीं बढ़ेगा।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 
(b) केवल 2 
(c) 1 और 2 दोनों 
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: D

व्याख्या:  

  • भारत सरकार कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक वर्ष दोनों फसल मौसमों में 22 प्रमुख कृषि वस्तुओं के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की घोषणा करती है
  • कुल खरीद मात्रा आमतौर पर उस विशेष वर्ष/मौसम के लिये वस्तु के वास्तविक उत्पादन के 25% से अधिक नहीं होनी चाहिये। 25% की सीमा से अधिक खरीद के लिये कृषि विभाग (DAC) के पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता होगी। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • MSP को विभिन्न राज्यों द्वारा दिये गए MSP प्रस्तावों के औसत के आधार पर केंद्र सरकार द्वारा तय किया जाता है, जिनमें से कुछ प्रस्ताव केंद्र की सिफारिश से अधिक हो सकते हैं, जबकि इनपुट लागत पर आधारित प्रस्ताव अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होते हैं। मूल्य असमानता से बचने के लिये MSP को तय किया जाता है। जब बज़ार में कीमतें MSP से नीचे के स्तर तक गिर जाती हैं, तो सरकारी एजेंसियाँ किसानों की सुरक्षा के लिये उपज को खरीद लेती हैं। ऐसे में बाज़ार में कीमतें MSP से ऊपर जा सकती हैं। अतः कथन 2 सही नहीं है। अतः विकल्प D सही है।

स्रोत : हिंदू

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