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सामाजिक न्याय

वैश्विक शल्य चिकित्सा

  • 18 Jan 2024
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

निम्न और मध्यम आय वाले देश, रोग नियंत्रण प्राथमिकता नेटवर्क, विश्व बैंक, विश्व स्वास्थ्य संगठन, सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज

मेन्स के लिये:

वैश्विक शल्य चिकित्सा, स्वास्थ्य सेवा से संबंधित सरकारी पहल।

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

अत्यधिक महत्त्वपूर्ण होने के बावजूद भी अक्सर स्वास्थ्य पहलों में अक्सर वैश्विक शल्य चिकित्सा (Global surgery) की उपेक्षा देखी गई है। दक्षिण एशिया में यह उपेक्षा और अधिक चौंकाने वाली है, जहाँ वैश्विक स्तर पर बड़ी आबादी के पास आवश्यक शल्य चिकित्सा तक पहुँच का अभाव है।

वैश्विक शल्य चिकित्सा क्या है?

  • परिचय:
    • वैश्विक शल्य चिकित्सा आपातकालीन और आवश्यक चिकित्सा तक समान पहुँच पर केंद्रित है। हालाँकि यह मुख्य रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों (Low- and Middle-Income Countries - LMICs) पर ध्यान केंद्रित करता है, यह उच्च आय वाले देशों (High-Income Countries - HICs) में पहुँच संबंधी असमानताओं और कम सेवा वाली आबादी को भी प्राथमिकता देता है।
    • इन "चिकित्साओं" में शल्य चिकित्सा(Surgery), प्रसूति (Obstetrics),आघात (Trauma) और एनेस्थीसिया (Anaesthesia) (SOTA) जैसी आवश्यक तथा आपातकालीन चिकित्सा शामिल हैं।
  • ऐतिहासिक:
    • वर्ष 2015 में, जिसे अक्सर "एनस मिराबिलिस (Annus Mirabilis)" या वैश्विक शल्य चिकित्सा के लिये चमत्कारिक वर्ष कहा जाता है, प्रमुख विकासों ने इस क्षेत्र को बदल दिया। विश्व बैंक द्वारा प्रायोजित रोग नियंत्रण प्राथमिकता नेटवर्क (Disease Control Priorities Network - DCPN) रिपोर्ट ने आवश्यक चिकित्सा की लागत-प्रभावशीलता और महत्त्वपूर्ण बीमारी पर प्रकाश डाला, जिसे शल्य चिकित्सा द्वारा संबोधित किया जा सकता है।
    • ग्लोबल सर्जरी पर लैंसेट कमीशन ने वैश्विक सर्जिकल (Lancet Commission on Global Surgery - LCoGS) देखभाल पहुँच का आकलन करने, तत्परता के लिये संकेतकों को परिभाषित करने तथा राष्ट्रीय सर्जिकल, प्रसूति और एनेस्थीसिया योजना (National Surgical, Obstetrics, and Anaesthesia Plan - NSOAP) जैसी रणनीतियों का प्रस्ताव देकर महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    • इसने सुरक्षित सर्जरी पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization - WHO)  की घोषणा (WHO संकल्प 68.15) के लिये आधार तैयार किया, जिसमें सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (Universal Health Coverage) प्राप्त करने में चिकित्सीय सिस्टम की आवश्यक भूमिका पर ज़ोर दिया गया।

वैश्विक शल्य चिकित्सा में चुनौतियाँ और असमानताएँ क्या हैं?

  • अप्राप्यता:
    • LCoGS के अनुसार, वैश्विक आबादी के 70% से अधिक या पाँच अरब लोगों को ज़रूरत पड़ने पर सुरक्षित और किफायती चिकित्सा देखभाल तक समय पर पहुँच का अभाव है।
    • निम्न और निम्न-मध्यम-आय वाले देशों (LLMIC) में, क्रमशः 99% तथा 96% आबादी को पहुँच/अभिगम अंतराल का सामना करना पड़ता है, जबकि उच्च-आय वाले देशों (HIC) में यह 24% है।
    • विशेष रूप से दक्षिण एशिया में, 98% से अधिक आबादी के पास सुरक्षित और किफायती शल्य चिकित्सा देखभाल तक पहुँच/अभिगम का अभाव है।
  • रोगों के कारण स्वास्थ्य क्षेत्र पर पड़ने वाला बोझ:
    • शल्य चिकित्सा द्वारा उपचार योग्य स्थितियों के कारण वर्ष 2010 में लगभग 17 मिलियन मौतें हुईं, जो ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस (HIV)/ एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (AIDS), तपेदिक और मलेरिया के संयुक्त मृत्यु दर को पार कर गईं।
    • निम्न और मध्यम आय वाले देशों (LMIC) में शल्य चिकित्सा द्वारा नियंत्रण योग्य विकलांगता-समायोजित जीवन-वर्ष (Disability-Adjusted Life-Years: DALY) मामले 77 मिलियन से अधिक हैं, जो इन देशों में कुल बीमारी के बोझ का 3.5% है।
      • दक्षिण एशिया में LMIC औसत की तुलना में DALY दर अधिक है, जो नवजात और मातृ रोगों, जन्मजात विसंगतियों, पाचन स्थितियों तथा आघात में शल्य चिकित्सा द्वारा टाले जाने वाले रोग बोझ का बहुत बड़ा करण है।
  • आर्थिक बोझ:
    • शल्य चिकित्सा देखभाल में वृद्धि के अभाव के परिणामस्वरूप वर्ष 2030 तक 128 देशों में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 20.7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर (क्रय शक्ति समता के संदर्भ में) का संचयी नुकसान होने का अनुमान है।
    • 175 देशों में सामाजिक कल्याण में लगभग 14.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की वार्षिक हानि होने का अनुमान है।
    • वैश्विक लुप्त कल्याण (Global Lost Welfare) में दक्षिण एशिया का योगदान लगभग 7% है।
  • अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य रिपोर्ट में सीमित प्रतिनिधित्व:
    • विश्व बैंक, WHO और UNICEF जैसे संगठनों द्वारा प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य रिपोर्टों में उल्लिखित संकेतकों में शल्य चिकित्सा का योगदान 1% से भी कम है।
    • प्रतिनिधित्व की कमी के परिणामस्वरूप वैश्विक स्वास्थ्य पहल और संसाधन आवंटन में प्राथमिकता कम हो सकती है।
  • राष्ट्रीय नीति निर्माण में उपेक्षा:
    • अफ्रीका और भारत जैसे विभिन्न देशों की राष्ट्रीय स्वास्थ्य रणनीतिक योजनाएँ प्रायः शल्य चिकित्सा पर सीमित ध्यान देती हैं। कुछ योजनाओं में सर्जरी या शल्य चिकित्सा स्थितियों का बिल्कुल भी उल्लेख नहीं किया जाता है, जबकि अन्य में उनका उल्लेख बहुत कम होता है।
    • राष्ट्रीय नीतियों में इसकी प्राथमिकता के अभाव के कारण व्यापक स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों के विकास में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
  • शोध संबंधी असमानताएँ:
    • व्यापक वैश्विक स्वास्थ्य विषयों की तुलना में वैश्विक शल्य चिकित्सा संबंधी शोध कम किये जाते हैं और साथ ही इनके बीच वित्त पोषण संबंधी अंतराल भी मौजूद है।
    • PubMed जैसे डेटाबेस में 'वैश्विक स्वास्थ्य' शीर्षकों की तुलना में 'वैश्विक सर्जरी' शीर्षकों की सीमित संख्या अनुसंधान क्षेत्र में दोनों के बीच विद्यमान असमानता को उजागर करती है।
    • यह असमानता शल्य चिकित्सा देखभाल में साक्ष्य-आधारित प्रथाओं की पीढ़ी में बाधा उत्पन्न कर सकती है।
  • परस्पर संबंधी चुनौतियाँ:
    • नीति अथवा अनुसंधान में किसी एक पहलू की उपेक्षा के परिणामस्वरूप अन्य क्षेत्रों में भी इसकी उपेक्षा की स्थिति कायम रहती है जिससे इसका अल्प प्राथमिकता का चक्र आगे जारी रह सकता है।
    • अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्टों में इसके प्रतिनिधित्व की कमी इससे संबंधी राष्ट्रीय नीतियों को प्रभावित कर सकती है जिसके परिणामस्वरूप इसकी अनुसंधान निधि एवं संबद्ध क्षेत्र में इस पर केंद्रित ध्यान प्रभावित हो सकता है।

आगे की राह

  • साक्ष्य-आधारित प्रथाओं, नवाचारों और समाधानों को उत्पन्न करने के लिये वैश्विक सर्जरी में अनुसंधान को समर्थन तथा प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। सर्जिकल हस्तक्षेपों, परिणामों तथा स्वास्थ्य देखभाल वितरण मॉडल हेतु अनुसंधान निधि को प्राथमिकता दें जिन्हें संसाधन-सीमित सेटिंग्स के लिये अनुकूलित किया जा सकता है।
  • राष्ट्रीय स्तर पर सर्जिकल देखभाल में सुधार के लिये प्रतिबद्धता प्रदर्शित करते हुए देशों को NSOAP विकसित करने और लागू करने हेतु प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। NSOAP सर्जिकल सिस्टम, बुनियादी ढाँचे और कार्यबल को मज़बूत करने के लिये एक रोडमैप प्रदान करता है।
  • सर्जिकल देखभाल के लिये निरंतर और बढ़े हुए वित्तपोषण का समर्थन करने की आवश्यकता है। ऐसे फंडिंग तंत्र विकसित करें जो सर्जिकल बुनियादी ढाँचे, प्रशिक्षण तथा सेवा वितरण को प्राथमिकता दें। वैश्विक सर्जरी पहल हेतु संसाधन आवंटित करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय दानदाताओं, सरकारों एवं परोपकारी संगठनों के साथ जुड़ें।
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