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ग्लोबल इंटरनेट शट-ऑफ

  • 01 Mar 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

#KeepItOn गठबंधन, इंटरनेट शट-डाउन, (सार्वजनिक आपातकाल या सार्वजनिक सुरक्षा) नियम, 2017।

मेन्स के लिये:

इंटरनेट शट-डाउन और उनके निहितार्थ।

चर्चा में क्यों? 

एक्सेस नाउ एंड कीपइटऑन गठबंधन (Access Now and the KeepItOn Coalition) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने वर्ष 2022 में 84 बार इंटरनेट शट-डाउन किया तथा लगातार पाँचवें वर्ष सूची में शीर्ष पर रहा। 

Internet-Shutdowns

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:

  • वैश्विक परिदृश्य:
    • वर्ष 2022 में 35 देशों में कम-से-कम 187 बार इंटरनेट शट-डाउन किया गया।  
    • इन 35 देशों में से 33 देशों में बार-बार शटडाउन की घटना दर्ज की गई। 
    • यूक्रेन वर्ष 2022 में 22 बार शट-डाउन करने के साथ दूसरे स्थान पर है, इसके बाद ईरान 18 तथा म्याँमार 7 इंटरनेट शटडाउन के साथ सूची में क्रमशः तीसरे और चौथे स्थान पर हैं। 
      • मार्च 2022 तक म्याँमार के कई क्षेत्रों में लोग 500 से अधिक दिनों तक अंधेरे में थे। 
    • वर्ष 2022 के अंत तक टिग्रे, इथियोपिया में लोगों ने 2 से अधिक वर्षों तक पूर्ण संचार ब्लैकआउट का सामना किया था तथा कई लोग संचार से डिस्कनेक्ट हो गए थे।
  • भारतीय परिदृश्य:
    • वर्ष 2022 में जम्मू-कश्मीर में 49 बार इंटरनेट शटडाउन किया गया, जो देश के किसी भी राज्य में सर्वाधिक है।
    • पश्चिम बंगाल के अधिकारियों द्वारा सात मौकों पर शटडाउन के आदेश के पश्चात् राजस्थान के अधिकारियों द्वारा 12 बार शट-डाउन का आदेश दिया गया।
  • डिजिटल अधिनायकवाद:
    • इंटरनेट शटडाउन डिजिटल अधिनायकवाद के गंभीर कार्यों में से एक है।
    • रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकारियों ने शट-डाउन का उपयोग अधिकारों के गंभीर  उल्लंघन और व्यक्तियों एवं समुदायों के मध्य खतरनाक संदेशों की पहुँच को बाधित करने के लिये किया, जिसने मानव अधिकारों की निगरानी को भी प्रभावित किया, जिसमें शट-डाउन ट्रैकिंग और मानवीय सहायता के प्रावधान शामिल हैं।
  • कारण: 
    • विरोध, संघर्ष, स्कूल परीक्षा और चुनाव सहित विभिन्न कारणों से शट-डाउन का आदेश दिया गया था। 

इंटरनेट शट-डाउन:

  • परिचय: 
    • इंटरनेट शट-डाउन ऑनलाइन संदेश को हटाने का एक माध्यम है, जो तीव्र गति से डिजिटल दुनिया में दिन-प्रतिदिन की कार्यप्रणाली को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है, यह  लोकतांत्रिक आंदोलनों को लेकर महत्त्वपूर्ण और परिणामी प्रभाव भी उत्पन्न करता है तथा  कभी-कभी हिंसा से सुरक्षा भी प्रदान करता है, जैसा कि अपराध के समय की  रिपोर्टिंग के लिये सुरक्षा हेतु संपर्क साधना कठिन हो जाता है।
  • प्रभाव: 
    • आर्थिक नुकसान: इंटरनेट शट-डाउन गंभीर आर्थिक नुकसान का कारण बन सकता है, विशेष रूप से उन व्यवसायों के लिये जो इंटरनेट पर पर निर्भर हैं।
    • सामाजिक व्यवधान: इंटरनेट महत्त्वपूर्ण संचार उपकरण है जो लोगों को एक-दूसरे से जुड़ने, जानकारी साझा करने और सामाजिक आंदोलनों में भाग लेने में सक्षम बनाता है।
    • राजनीतिक परिणाम: इंटरनेट शट-डाउन का उपयोग अक्सर सरकारों द्वारा असंतोष को दबाने, सूचना को नियंत्रित करने और राजनीतिक विरोध को सीमित करने हेतु किया जाता है।
    • शैक्षिक असफलताएँ: इंटरनेट शट-डाउन शैक्षिक गतिविधियों को भी बाधित कर सकता है, विशेष रूप से उन छात्रों हेतु जो सीखने के लिये ऑनलाइन संसाधनों पर निर्भर हैं।
    • स्वास्थ्य पर प्रभाव: कोविड-19 महामारी के दौरान स्वास्थ्य संबंधी जानकारी, टेलीमेडिसिन और ऑनलाइन सहायता समूहों तक पहुँचने हेतु इंटरनेट एक महत्त्वपूर्ण उपकरण बन गया है।

भारत में इंटरनेट शट-डाउन का नियमन 

  • इंटरनेट शट-डाउन आदेश भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 के तहत दूरसंचार सेवाओं के अस्थायी निलंबन (सार्वजनिक आपातकालीन या सार्वजनिक सुरक्षा) नियम, 2017 के तहत शासित होते हैं।
    • वर्ष 2017 के नियम सार्वजनिक आपातकाल के आधार पर एक क्षेत्र में दूरसंचार सेवाओं को अस्थायी रूप से बंद करने का प्रावधान करते हैं और केंद्रीय एवं राज्य स्तर पर गृह मंत्रालय के वरिष्ठ नौकरशाहों को शट-डाउन का आदेश देने का अधिकार प्रदान करते हैं।
  • वर्ष 1885 का अधिनियम केंद्र सरकार को इंटरनेट सेवाओं सहित विभिन्न प्रकार की दूरसंचार सेवाओं को विनियमित करने और उनके लिये लाइसेंस प्रदान करने का अधिकार देता है।  

सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय और संशोधन:

  • अनुराधा भसीन बनाम भारत संघ (2020) मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि भारतीय कानून के तहत इंटरनेट बंद करने के आदेश के लिये आवश्यक और आनुपातिक आवश्यकताओं को पूरा किया जाना चाहिये तथा यह कि इंटरनेट सेवाओं का अनिश्चितकालीन निलंबन भारतीय कानून के खिलाफ होगा।
  • इसके बाद केंद्र सरकार द्वारा नवंबर 2020 में वर्ष 2017 के नियमों में कुछ संशोधन (इंटरनेट निलंबन आदेशों को अधिकतम 15 दिनों तक सीमित करना) किये गए।
  • हालाँकि दिसंबर 2021 में संचार और सूचना प्रौद्योगिकी पर स्थायी समिति इन संशोधनों से संतुष्ट नहीं थी और उसने 2017 के नियमों में और बदलावों की सिफारिश की।
    • इस समिति ने इंटरनेट शट-डाउन के सभी पहलुओं को कवर करने के लिये नियमों को संशोधित करने, साथ ही जनता के लिये न्यूनतम व्यवधान सुनिश्चित करने हेतु बदलती प्रौद्योगिकी के साथ सामंजस्य के लिये इंटरनेट शटडाउन करने से पहले राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को लगातार दिशा-निर्देश जारी करने का सुझाव दिया।

आगे की राह

  • संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठन, मानवाधिकारों की रक्षा और इंटरनेट की सुविधा सुनिश्चित करने के लिये उन सरकारों पर दबाव डाल सकते हैं जो यदा-कदा इंटरनेट को बंद कर देते हैं।
  • विभिन्न सरकारें ऐसे कानून और नियम पारित कर सकती हैं जो नागरिकों के इंटरनेट तक पहुँच संबंधी अधिकारों की रक्षा करते हैं और मनमाने शटडाउन को प्रतिबंधित करते हैं।
  • इंटरनेट बंद होने पर इंटरनेट की सुविधा तक पहुँच के वैकल्पिक साधन प्रदान करने के लिये मेश नेटवर्क और उपग्रह संचार जैसे तकनीकी समाधान का उपयोग किया जा सकता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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