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भारतीय विरासत और संस्कृति

वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन 2023

  • 22 Apr 2023
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन 2023, IBC, बौद्ध धर्म, आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, आष्टांगिक मार्ग, परम सत्य, ICCR

मेन्स के लिये:

भारत की सॉफ्ट पॉवर सामरिक नीति में बौद्ध धर्म की भूमिका 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (IBC) के साथ साझेदारी में संस्कृति मंत्रालय ने प्रथम वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन 2023 का आयोजन किया है, जिसका उद्देश्य अन्य देशों के साथ सांस्कृतिक और राजनयिक संबंधों को बढ़ाना है। 

अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (IBC): 

  • IBC सबसे बड़ा धार्मिक बौद्ध परिसंघ है।
  • इसका उद्देश्य वैश्विक मंच पर बौद्ध धर्म के लिये एक भूमिका बनाना है ताकि विरासत को संरक्षित करने, ज्ञान साझा करने और मूल्यों को बढ़ावा देने में मदद मिल सके तथा वैश्विक संवाद में सार्थक भागीदारी का आनंद लेने हेतु बौद्ध धर्म के लिये संयुक्त मंचों का प्रतिनिधित्त्व किया जा सके। 
  • नवंबर 2011 में वैश्विक बौद्ध मंडली (GBC) का आयोजन नई दिल्ली में किया गया था, जहाँ उपस्थित लोगों ने सर्वसम्मति से एक अंतर्राष्ट्रीय निकाय - अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (IBC) के निर्माण का संकल्प लिया।
  • मुख्यालय: दिल्ली, भारत

वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन 2023: 

  • परिचय: 
    • दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में विभिन्न देशों के बौद्ध भिक्षुओं ने भाग लिया।  
    • सम्मेलन में विश्व भर के प्रतिष्ठित विद्वानों, परिसंघ के नेताओं और बौद्ध धर्म के अनुयायियों ने भाग लिया।  
    • इसमें 173 अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभागी शामिल हैं जिनमें 84 संघ सदस्य और 151 भारतीय प्रतिनिधि शामिल हैं इनमें 46 संघ सदस्य, 40 भिक्षुणी और दिल्ली के बाहर के 65 लोकधर्मी शामिल हैं।  
  • विषय: समकालीन चुनौतियों के प्रति प्रतिक्रिया: दर्शनशास्त्र से अमल तक।
    • उप विषय:
      • बुद्ध धम्म और शांति
      • बुद्ध धम्म: पर्यावरणीय संकट, स्वास्थ्य और स्थिरता
      • नालंदा बौद्ध परंपरा का संरक्षण
      • बुद्ध धम्म तीर्थयात्रा, लिविंग हेरिटेज और बुद्ध अवशेष: दक्षिणी, दक्षिण-पूर्व और पूर्वी एशिया के देशों के लिये भारत के सदियों पुराने सांस्कृतिक संबंधों हेतु एक सुनम्य आधार।
  • उद्देश्य:
    • इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य प्रासंगिक वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करना और सार्वभौमिक मूल्यों पर आधारित बुद्ध धम्म में इसका हल तलाशना है।
    • इसका उद्देश्य बौद्ध विद्वानों और धर्म गुरुओं के लिये एक मंच प्रदान करना है।
    • धर्म के मूल सिद्धांतों के अनुसार सार्वभौमिक शांति और सद्भाव की दिशा में काम करने के लिये इसका उद्देश्य बुद्ध के शांति, करुणा और सद्भाव के संदेश का विश्लेषण करना है। साथ ही वैश्विक स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के संचालन के लिये एक उपकरण के रूप में उपयोग हेतु इसकी व्यवहार्यता की परख के लिये आने वाले समय में अकादमिक शोध हेतु एक दस्तावेज़ तैयार करना है। 
  • भारत के लिये महत्त्व:
    • यह वैश्विक शिखर सम्मेलन बौद्ध धर्म के विकास और विस्तार में भारत के महत्त्व को चिह्नित करेगा क्योंकि बौद्ध धर्म का उदय भारत में हुआ था।
    • यह शिखर सम्मेलन अन्य देशों के साथ सांस्कृतिक और राजनयिक संबंधों को बेहतर बनाने का एक माध्यम होगा, विशेषकर उन देशों के साथ जो बौद्ध लोकाचार को अपनाते हैं।

बुद्ध की शिक्षाओं की प्रासंगिकता:

  • बुद्ध की प्रमुख शिक्षाओं में चार आर्य सत्य और आर्य आष्टांगिक मार्ग शामिल हैं। 
    • चार आर्य सत्य: 
      • दुख (दुक्ख) संसार का सार है।
      • हर दुख का कारण होता है- समुद्य।
      • दुखों का नाश हो सकता है- निरोध।
      • इसे अथंगा मग्गा (अष्टांगिक मार्ग) का पालन करके प्राप्त किया जा सकता है। 
    • आर्य अष्टांगिक मार्ग: 

  • दुनिया युद्ध, आर्थिक संकट, आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन के कारण सदी के सबसे चुनौतीपूर्ण समय का सामना कर रही है और इन सभी समकालीन वैश्विक चुनौतियों का समाधान भगवान बुद्ध की शिक्षाओं के माध्यम से किया जा सकता है।
  • बुद्ध की ये शिक्षाएँ कई तरह से वैश्विक समस्याओं का समाधान प्रदान कर सकती हैं। उदाहरण के लिये करुणा, अहिंसा और अन्योन्याश्रितता पर शिक्षा संघर्षों को उज़ागर करने एवं शांतिपूर्ण सह-अस्तित्त्व को बढ़ावा देने में मदद कर सकती है।
  • नैतिक आचरण, सामाजिक ज़िम्मेदारी और उदारता पर शिक्षा असमानता के मुद्दों का निराकरण करने एवं सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने में मदद कर सकती है।
  • सचेतनता, सरलता और किसी को हानि न पहुँचाने की शिक्षाएँ पर्यावरण क्षरण को दूर करने और स्थायी जीवन को बढ़ावा देने में मदद कर सकती हैं।

भारत की सॉफ्ट पावर रणनीति में बौद्ध धर्म की भूमिका:

  • सांस्कृतिक कूटनीति: 
    • भारत की सॉफ्ट पॉवर रणनीति में बौद्ध धर्म का उपयोग सांस्कृतिक कूटनीति के माध्यम से किया गया है।
      • इसमें कला, संगीत, फिल्म, साहित्य और त्योहारों जैसे विभिन्न चैनलों के माध्यम से बौद्ध धर्म सहित भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देना शामिल है।
    • उदाहरण के लिये भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद ( Indian Council for Cultural Relations- ICCR) ने भारत की सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने एवं सांस्कृतिक संबंधों को मज़बूत करने हेतु श्रीलंका, म्याँमार, थाईलैंड तथा भूटान जैसे बौद्ध देशों में कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया है।
  • शिक्षा और क्षमता निर्माण: 
    • शिक्षा और क्षमता निर्माण के माध्यम से भारत की सॉफ्ट पावर रणनीति में बौद्ध धर्म का उपयोग किया जा सकता है। 
    • भारत ने बौद्ध अध्ययन और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए नालंदा विश्वविद्यालय और केंद्रीय उच्च तिब्बती अध्ययन संस्थान जैसे कई बौद्ध संस्थानों एवं उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना की है।
    • वर्ष 2022 में त्रिपुरा में धम्म दीपा अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध विश्वविद्यालय (DDIBU) की आधारशिला रखी गई।  
      • DDIBU भारत का पहला बौद्ध-संचालित विश्वविद्यालय है जो बौद्ध शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा के अन्य विषयों में भी कोर्स प्रदान करता है। 
    • यह भारत भूटान, श्रीलंका, म्याँमार और नेपाल जैसे अन्य देशों के बौद्ध छात्रों व भिक्षुओं को उनके ज्ञान एवं कौशल को बढ़ाने हेतु छात्रवृत्ति और प्रशिक्षण कार्यक्रम भी प्रदान करता है। 
  • द्विपक्षीय आदान-प्रदान और पहल: 
    • द्विपक्षीय संबंधों के संदर्भ में भारत ने विभिन्न पहलों के माध्यम से श्रीलंका, म्याँमार , थाईलैंड, कंबोडिया और भूटान जैसे बौद्ध देशों के साथ अपने संबंधों को मज़बूत करने की कोशिश की है।
    • भारत ने आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिये श्रीलंका के साथ द्विपक्षीय निवेश संवर्द्धन और संरक्षण समझौते (BIPA) जैसे कई समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं। 
      • भारत ने बौद्ध देशों को उनके सांस्कृतिक विरासत स्थलों जैसे म्याँमार में बागान मंदिर और नेपाल में स्तूप के जीर्णोद्धार और संरक्षण के लिये भी सहायता प्रदान की है। 
    • भारत और मंगोलिया ने वर्ष 2023 तक सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम को भी नवीनीकृत किया है जिसके तहत मंगोलियाई लोगों को CIBS, लेह और CUTS, वाराणसी के विशेष संस्थानों में 'तिब्बती बौद्ध धर्म' का अध्ययन करने हेतु 10 समर्पित ICCR छात्रवृत्तियाँ आवंटित करने का प्रावधान किया गया है। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. भारत के धार्मिक इतिहास के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. स्थविरवादी महायान बौद्ध धर्म से संबद्ध हैं। 
  2. लोकोत्तरवादी संप्रदाय बौद्ध धर्म के महासंघिक संप्रदाय की एक शाखा थी। 
  3. महासंघिकों द्वारा बुद्ध के देवत्वारोपण ने महायान बौद्ध धर्म को प्रोत्साहित किया।
  4. उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


प्रश्न. भारत की धार्मिक प्रथाओं के संदर्भ में “स्थानकवासी” संप्रदाय किससे संबंधित है? (2018)

(a) बौद्ध मत
(b) जैन मत
(c) वैष्णव मत
(d) शैव मत

उत्तर: (b)  


प्रश्न. भारत के धार्मिक इतिहास के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)

  1. बोधिसत्व, बौद्धमत के हीनयान संप्रदाय की केंद्रीय संकल्पना है।
  2. बोधिसत्व अपने प्रबोध के मार्ग पर बढ़ता हुआ करूणामय है।
  3. बोधिसत्व समस्त सचेतन प्राणियों को उनके प्रबोध के मार्ग पर चलने में सहायता करने के लिये स्वयं की निर्वाण प्राप्ति विलंबित करता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)  


प्रश्न. भारत में बौद्ध धर्म के इतिहास में पाल काल सबसे महत्त्वपूर्ण चरण है। विश्लेषण कीजिये: (मुख्य परीक्षा- 2020)

स्रोत: पी.आई.बी.

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