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शासन व्यवस्था

सहकारी समितियों हेतु GeM पोर्टल

  • 07 Jun 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

GeM पोर्टल, सहकारी समितियाँ 

मेन्स के लिये:

GeM पोर्टल का महत्त्व और GeM प्लेटफॉर्म द्वारा प्रस्तुत चुनौतियाँ 

चर्चा में क्यों? 

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सहकारी समितियों को गवर्नमेंट-ई-मार्केटप्लेस (GeM) प्लेटफॉर्म पर उत्पाद बेचने की अनुमति देने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है। 

  • हालाँकि सहकारी समितियों से वृद्धिशील लागतों को कवर करने के लिये लेन-देन शुल्क लिया जा सकता है। 
  • सहकारिता मंत्रालय द्वारा GeM एसपीवी (स्पेशल पर्पज़ व्हीकल) के परामर्श से बाद स्केल अप के लिये GeM पर शामिल होने वाली सहकारी समितियों की मान्य सूची से संबंधित निर्णय लिया जाएगा। 

गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस: 

परिचय: 

  • GeM विभिन्न केंद्रीय और राज्य सरकारों के विभागों/संगठनों/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSU) द्वारा आवश्यक सामान्य उपयोग की वस्तुओं एवं सेवाओं की ऑनलाइन खरीद की सुविधा के लिये वन-स्टॉप राष्ट्रीय सार्वजनिक खरीद पोर्टल है।
  • GeM पर उपलब्ध वस्तुओं और सेवाओं के लिये मंत्रालयों व केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (CPSEs) द्वारा वस्तुओं एवं सेवाओं की खरीद करना अनिवार्य है। 
  • यह सरकारी उपयोगकर्त्ताओं को उनके पैसे का सर्वोत्तम मूल्य प्राप्त करने की सुविधा के लिये ई-बोली और रिवर्स ई-नीलामी जैसे उपकरण भी प्रदान करता है। 
  • वर्तमान में GeM के पास 30 लाख से अधिक उत्पाद हैं, इसके पोर्टल पर अब तक 10 लाख करोड़ रुपए का लेन-देन हो चुका है। 

लॉन्च: 

  • इसे वर्ष 2016 में सरकारी खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता और दक्षता लाने के लिये लॉन्च किया गया था। 

नोडल मंत्रालय: 

  • वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय 

हालिया अद्यतन: 

  • उत्पादों का मूल देश का होना अनिवार्य: GeM ने सभी विक्रेताओं को ई-मार्केटप्लेस (Government e-Marketplace- GeM) पर नए उत्पादों को पंजीकृत करते समय ‘मूल देश’  को सूचीबद्ध करना अनिवार्य किया है। 
    • इसे पोर्टल पर सक्षम किया गया है ताकि खरीदार केवल उन्हीं उत्पादों को खरीदने के लिये चुन सकें जो न्यूनतम 50% स्थानीय सामग्री मानदंडों को पूरा करते हों। 

महत्त्व: 

  • पारदर्शी और लागत प्रभावी खरीद: GeM त्वरित, कुशल, पारदर्शी और लागत प्रभावी खरीद को सक्षम बना रहा है, खासकर जब सरकारी संगठनों को कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिये उत्पादों एव्बम सेवाओं की तत्काल आवश्यकता होती है। 
  • आत्मनिर्भर भारत का प्रचार: GeM आत्मनिर्भर भारत नीति को बढ़ावा दे रहा है, जिसे कोविड-19 महामारी के मद्देनज़र पेश किया गया है, जिसका उद्देश्य आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करना और छोटे भारतीय विनिर्माताओं को बढ़ावा देना है। 
  • छोटे स्थानीय विक्रेताओं का प्रवेश: बाज़ार ने सरकार की 'मेक इन इंडिया' और एमएसएमई खरीद वरीयता नीतियों को सही मायने में लागू करते हुए सार्वजनिक खरीद में छोटे स्थानीय विक्रेताओं के प्रवेश की सुविधा प्रदान की है। 
  • एक ही स्थान पर कई संस्थाएँ: ऑनलाइन मार्केटप्लेस समान उत्पादों के लिये कई संस्थाओं से मांग कर सकता है और राज्य सरकारों द्वारा छोटे उद्यमों को प्रदान की गई प्राथमिकताओं के आधार पर निर्माण कर सकता है। 

GeM से संबद्ध चुनौतियाँ: 

  • एकाधिक पोर्टल: 
    • केंद्र सरकार के विभागों में कई पोर्टल हैं, जैसे- रक्षा खरीद पोर्टल और भारतीय रेलवे ई-प्रोक्योरमेंट सिस्टम जो राष्ट्रीय सार्वजनिक खरीद पोर्टल के रूप में अपने अधिदेश को प्राप्त करने के लिये GeM के प्रयास को सीमित कर सकते हैं। 
  •  अनुपालन की कमी: 
    • यह सभी केंद्रीय संगठनों हेतु सामान्य वित्तीय नियम (GFR) 2017 के नियम 149 का अनुपालन करने की एक चुनौती का भी सामना करता है, जिसमें यह अनिवार्य है कि सभी सामान्य उपयोग की वस्तुएँ और सेवाएँ जो कि GEM पोर्टल पर उपलब्ध हैं, मंच पर आवश्यक रूप से खरीदी जानी चाहिये। 

आगे की राह 

  • एकल पोर्टल: कई पोर्टल किसानों के बीच भ्रम  की स्थिति पैदा कर रहे हैं और सिंक्रनाइज़ेशन चुनौतियों का भी कारण बन रहे हैं। सभी सार्वजनिक खरीद के लिये एकल पोर्टल इस समस्या को हल करने में मदद कर सकता है तथा संबंधित समस्यायों से निपटने में सहायता करेगा। 
  • दंड का अधिरोपण: कृषि विपणन से संबंधित मामलों में कुशासन के लिये दंड का प्रावधान होना चाहिये और  पहले से मौजूद दंड की प्रकृति में और कठोरता लाने की आवश्यकता है। ये प्रावधान इसके अनुपालन की कमी की समस्या से निपटने में मदद करेंगे। 
  • स्थानीय भाषा का प्रयोग: सार्वजनिक खरीद पोर्टलों के लिये यूज़र इंटरफेस स्थानीय भाषा में होना चाहिये ताकि भाषा विशेष के प्रभुत्त्व के मुद्दे से निपटा जा सके। 
  • अंतर-संचालनीयता: सार्वजनिक पोर्टलों को अपने सुचारु कामकाज़ के लिये एक मंच से दूसरे मंच पर सुगमता के साथ संचालन (smooth functioning) सुनिश्चित करना चाहिये। 
  • लागत प्रतिस्पर्द्धात्मकता: GeM पोर्टल किसानों और सहकारी समितियों को अपने उत्पादों के लिये आसानी से खरीदार खोजने में मदद करेगा और उन्हें बिक्री में कमी के कारण खराब होने वाले उत्पादों की वजह से होने वाले नुकसान से बचाएगा तथा उनके उत्पादों की लागत प्रतिस्पर्द्धात्मकता में भी वृद्धि करेगा क्योंकि राज्यों की कृषि उपज बाज़ार समितियों (APMC) द्वारा पूर्व में शुल्क में प्रशासनिक अक्षमता के कारण लागत में भारी वृद्धि की गई थी। 
    • यह अशोक दलवई समिति द्वारा अनुशंसित 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के दृष्टिकोण को साकार करने में मदद करेगा। 

सहकारी समितियांँ 

  • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के अनुसार, सहकारी समिति व्यक्तियों का एक स्वायत्त संघ है जो संयुक्त स्वामित्व वाले और लोकतांत्रिक रूप से नियंत्रित उद्यम के माध्यम से अपनी सामान्य आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक आवश्यकताओं एवं आकांक्षाओं को पूरा करने के लिये स्वेच्छा से एकजुट होते हैं। 
  • सहकारी समितियांँ कई प्रकार की होती हैं जैसे- उपभोक्ता सहकारी समिति, उत्पादक सहकारी समिति, ऋण सहकारी समिति, आवास सहकारी समिति और विपणन सहकारी समिति। 
  • संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2012 को सहकारिता के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष के रूप में घोषित किया था। 
  • भारत एक कृषि प्रधान देश है और इसने विश्व में सबसे बड़े सहकारी आंदोलन की नींव रखी। 
  • भारत में एक सहकारी आधारित आर्थिक विकास मॉडल बहुत प्रासंगिक है जहांँ प्रत्येक सदस्य ज़िम्मेदारी की भावना के साथ काम करता है। 

स्रोत: द हिंदू

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