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FSSAI ने जड़ी-बूटियों और मसालों में कीटनाशकों की सीमा बढ़ाई

  • 29 Apr 2024
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (FSSAI), कीटनाशक विषाक्तता, कोडेक्स एलिमेंटेरियस, खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006, राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक

मेन्स के लिये:

कीटनाशक विषाक्तता का खतरा, FSSAI के दिशा निर्देश और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में इसका कार्य।

स्रोत: डाउन टू अर्थ 

चर्चा में क्यों?

भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा मसालों में कीटनाशकों की अधिकतम अवशेष सीमा (MRL) बढ़ाने के हालिया फैसले ने संभावित स्वास्थ्य जोखिमों और व्यापार प्रभावों के कारण कार्यकर्त्ताओं एवं वैज्ञानिकों में आक्रोश उत्पन्न कर दिया है। 

  • FSSAI के आदेश ने जड़ी बूटियों और मसालों में कीटनाशकों की अधिकतम अवशेष सीमा (MRL) को 0.01 मिलीग्राम/किलोग्राम से बढ़ाकर 0.1 मिलीग्राम/किलोग्राम कर दिया है।

FSSAI के आदेश से जुड़ा मामला क्या है?

  • FSSAI की पूर्व स्थिति में विसंगतियाँ:
    • FSSAI का आदेश उसके अपने पिछले रुख के विपरीत है। अप्रैल 2022 में प्राधिकरण ने अधिकांश भारतीय कीटनाशकों के लिये क्षेत्र परीक्षण डेटा की कमी को स्वीकार किया और कोडेक्स मानकों, द्वारा स्थापित अधिकतम अवशेष सीमा (MRL) का उपयोग करने की वकालत की। 
      • हालाँकि, मसालों और जड़ी-बूटियों के लिये नवीनतम आदेश इस रणनीति से हटकर है।
  • डेटा की पारदर्शिता और विश्वसनीयता:
    • मसालों एवं खाद्य पदार्थों को बनाने में प्रयुक्त की जाने वाली जड़ी बूटियों सहित खाद्य वस्तुओं के लिये कीटनाशकों की अधिकतम अवशेष सीमा (MRL) खाद्य सुरक्षा और मानक (संदूषक, विषाक्त पदार्थ एवं अवशेष) विनियमन, 2011 के तहत निर्दिष्ट की गई है, जो केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड तथा पंजीकरण समिति (CIBRC) केंद्रीय कृषि एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के माध्यम से प्राप्त क्षेत्र परीक्षण डाटा पर आधारित है।
      • हालाँकि, ये अध्ययन अक्सर कीटनाशक कंपनियों से ही उत्पन्न होते हैं, इसलिये हितों का टकराव होता है।

    • राष्ट्रीय स्तर पर कीटनाशक अवशेषों की निगरानी के लिये केंद्र (MPRNL) हमारे भोजन में कीटनाशकों की मात्रा की जाँच करती है, लेकिन यह मसालों का परीक्षण नहीं करती है और इसमें व्यापक डेटा का अभाव है। 
  • उपभोक्ताओं और व्यापार पर प्रभाव:
    • जैसा कि हाल ही में अत्यधिक कीटनाशकों से युक्त भारतीय खाद्य पदार्थों का विदेशों से वापस आने से पता चलता है, यूरोप जैसे देशों में जहाँ कीटनाशकों के उपयोग के संबंध में कड़े कानून हैं, उन्होंने भारतीय उत्पादों को अस्वीकार कर दिया है जो उनके अधिकतम अवशिष्ट स्तर से अधिक हैं।

    • जैसे अप्रैल 2024 में भारत में कुछ लोकप्रिय मसाला कंपनियों को कथित रूप से अपने उत्पादों में कीटनाशक 'एथिलीन ऑक्साइड' को अनुमेय सीमा से अधिक मात्र में प्रयोग करने पर सिंगापुर और हांगकांग में प्रतिबंधित कर दिया गया है।
      • एथिलीन ऑक्साइड एक हानिकारक कीटनाशक है जो मानव उपभोग के लिये अनुपयुक्त है और जिसका दीर्घकालिक उपभोग कैंसर का कारण बन सकता है। 

कीटनाशक विषाक्तता क्या है?

  • परिचय:
    • कीटनाशक, ऐसे रासायनिक अथवा जैविक पदार्थ हैं जिनका उद्देश्य कीटों से होने वाली हानि को रोकना, कीटों को नष्ट तथा नियंत्रित करना है, इनका उपयोग कृषि एवं गैर-कृषि दोनों क्षेत्रों में होता है।
    • वे मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिये भी गंभीर संकट उत्पन्न करते हैं, खासकर जब उनका अत्यधिक उपयोग या दुरुपयोग किया जाता है, अथवा उन्हें अवैध रूप से बेचा जाता है।
  • भारत में कीटनाशक विनियमन:
    • कीटनाशकों को कीटनाशक अधिनियम, 1968 एवं कीटनाशक नियम, 1971 के अंतर्गत विनियमित किया जाता है।
      • 1968 का कीटनाशक अधिनियम भारत में कीटनाशकों के पंजीकरण, निर्माण और बिक्री को समाहित करता है।
      • यह अधिनियम कृषि और किसान कल्याण विभाग, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रशासित है।
  • कीटनाशकों के प्रकार:
    • कीटनाशक: पौधों को कीड़ों और कीटों से बचाने के लिये जिन रसायनों का उपयोग किया जाता है, उन्हें कीटनाशक कहा जाता है।
    • कवकनाशी: फसल सुरक्षा रसायनों के इस वर्ग का उपयोग पौधों में कवक रोगों के प्रसार को नियंत्रित करने के लिये किया जाता है।
    • शाकनाशी: शाकनाशी वह रसायन हैं जो कृषि क्षेत्र में खरपतवारों को समाप्त करते हैं अथवा उनकी वृद्धि को नियंत्रित करते हैं।
    • जैव-कीटनाशक: ये जैविक मूल के कीटनाशक होते हैं, जो जानवरों, पौधों, बैक्टीरिया आदि से प्राप्त होते हैं।
    • अन्य: इसमें पादप वृद्धि नियामक, सूत्रकृमिनाशक (नेमाटीसाइड), कृंतकनाशक और धूम्रकारी (फ्यूमिगेंट) सम्मिलित हैं।
  • कीटनाशक विषाक्तता की अवधारणा:
    • कीटनाशक विषाक्तता एक शब्द है जो मनुष्यों अथवा पशुओं पर कीटनाशकों के संपर्क के प्रतिकूल प्रभावों को संदर्भित करता है।
    • कीटनाशकों के संपर्क से कैंसर, प्रजनन एवं प्रतिरक्षा या तंत्रिका तंत्र सहित स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, कीटनाशक विषाक्तता विश्व भर में कृषि श्रमिकों की मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है।
  • कीटनाशक विषाक्तता के प्रकार:
    • तीव्र विषाक्तता तब होती है जब कोई व्यक्ति कम समय में अत्यधिक मात्रा में कीटनाशक ग्रहण करता है, श्वास के माध्यम से अथवा किसी अन्य माध्यम से उसके संपर्क में आता है।
    • दीर्घकालिक विषाक्तता तब होती है जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक कीटनाशकों की कम मात्रा के संपर्क में रहता है, जो शरीर में विभिन्न अंगों और प्रणालियों को नुकसान पहुँचा सकता है।

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण क्या है? 

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: जड़ी-बूटियों और मसालों में कीटनाशकों की अधिकतम अवशेष सीमा (MRL) बढ़ाने पर  FSSAI  के हालिया आदेश के संदर्भ में कीटनाशक विषाक्तता के विषय में विस्तार से बताइये।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 ने खाद्य अपमिश्रण की रोकथाम (प्रिवेंशन ऑफ फूड एडल्टरेशन) अधिनियम, 1954 को प्रतिस्थापित किया। 
  2. भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (फूड सेफ्टी एण्ड स्टैण्डर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया) (एफ.एस.एस.ए.आई.) केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक के प्रभार में है।

उपर्युत्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1   
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों   
(d) न तो 1, न ही 2

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न. खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रक की चुनौतियों के समाधान हेतु भारत सरकार द्वारा अपनाई गई नीति को सविस्तार स्पष्ट कीजिये। (2019)

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