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भारतीय अर्थव्यवस्था

फिनक्लुवेशन

  • 22 Apr 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

फिनक्लुवेशन, इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक, आरबीआई, स्टार्टअप, वित्तीय समावेशन, डिजिटल इंडिया, डाक विभाग।

मेन्स के लिये:

वृद्धि एवं विकास, संसाधनों का संग्रहण, सरकारी नीतियांँ और हस्तक्षेप विकास से संबंधित मुद्दे, बैंकिंग क्षेत्र एवं एनबीएफसी, वित्तीय समावेशन, डिजिटल इंडिया। 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (India Post Payments Bank- IPPB) द्वारा फिनक्लुवेशन प्लेटफॉर्म (Fincluvation Platform) को लॉन्च किया गया है, ताकि फिनटेक स्टार्टअप्स के सहयोग से अभिनव उपायों को बढ़ावा दिया जा सके और वंचित तथा सेवाओं तक पहुँच वाली आबादी के बीच वित्तीय समावेशन में तेज़ी लाई जा सके। 

  • फिनटेक (वित्तीय प्रौद्योगिकी) शब्द व्यवसायों द्वारा उपयोग किये जाने वाले उन सॉफ्टवेयर और अन्य आधुनिक तकनीकों को संदर्भित करता है जो स्वचालित एवं आयातित वित्तीय सेवाएंँ प्रदान करते हैं।

प्रमुख बिंदु 

फिनक्लुवेशन:

  • फिनक्लुवेशन, भाग लेने वाले स्टार्टअप के साथ समावेशी वित्तीय समाधान उपलब्ध कराने हेतु  IPPB का एक स्थायी मंच होगा। 
    • IPPB और डाक विभाग (Department of Post- DoP) सामूहिक रूप से डाकघरों और उनमें कार्यरत्त 4,00,000 से अधिक कर्मचारियों तथा ग्रामीण डाक सेवकों के माध्यम से 430 मिलियन ग्राहकों को अपनी सेवाएँ उपलब्ध कराते हैं जो इसे विश्व के सबसे बड़े और सबसे भरोसेमंद डाक नेटवर्क का निर्माण करते हैं। 
  • वित्तीय समावेशन के लिये लक्षित सार्थक वित्तीय उत्पादों के निर्माण की दिशा में स्टार्टअप्स समुदाय को प्रोत्साहित करने हेतु एक शक्तिशाली मंच की स्थापना करने की यह उद्योग की प्रथम पहल है।
  • स्टार्टअप्स को निम्नलिखित ट्रैक्स के साथ संरेखित समाधान विकसित करने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है:
    • क्रेडिटाइज़ेशन- लक्षित ग्राहकों के साथ संयोजित नवोन्मेषी तथा समावेशी क्रेडिट उत्पादों का विकास करना एवं उन्हें डाक नेटवर्क के माध्यम से उनके द्वार तक पहुँचाना।
    • डिजिटाइज़ेशन- डिजिटल भुगतान प्रौद्योगिकियों के साथ पारंपरिक सेवाओं के समन्वयन के माध्यम से सुविधा प्रदान करना, उदाहरण के लिये अंतः पारस्परिक बैंकिंग सेवा के रूप में पारंपरिक मनीऑर्डर सेवा उपलब्ध कराना।
    • बाज़ार आधारित समाधान- बाज़ार आधारित कोई भी समाधान जो लक्षित ग्राहकों की सेवा करने में आईपीपीबी (IPPB) और/या डाक विभाग से संबंधित किसी अन्य समस्या का समाधान करने में सहायता कर सकती है।
  • फिनक्लुवेशन मेंटर स्टार्टअप्स के साथ मिलकर कार्य करेंगे ताकि ग्राहकों की ज़रूरतों के हिसाब से उत्पादों में बदलाव किया जा सके और आईपीपीबी और डीओपी के ऑपरेटिंग मॉडल के साथ बाज़ार में प्रवेश की रणनीति बनाई जा सके।

भारत में फिनक्लुवेशन की आवश्यकता:

  • नए अवसरों को बढ़ावा देना: पारंपरिक वितरण नेटवर्कों से जुड़ी वित्तीय सेवाओं के साथ प्रौद्योगिकी का समन्वयन नए प्रकार के व्यवसाय अवसर उपलब्ध करा रही है।
  • उपयोगकर्त्ताओं के अनुभव को बढ़ाना:  प्रौद्योगिकी खरीद के पारंपरिक मॉडल के कारण बैंकों द्वारा उत्पाद निर्माण में अक्सर उपयोगकर्त्ता के अनुभव की कमी देखी जाती है जिससे ग्राहकों की अपेक्षाओं और सेवा वितरण के बीच एक बड़ा अंतर उत्पन्न होता है।
  • पारंपरिक प्रौद्योगिकियों की विफलता: उत्पाद निर्माण में स्वामित्व की कमी के कारण पारंपरिक प्रौद्योगिकी फर्म ग्राहकों की सेवा अपेक्षाओं को पूरा करने में विफल रहती है। भारतीय नागरिकों की विविध ज़रूरतें हैं, इसलिये उपयोगकर्त्ताओं के बीच सावधानीपूर्वक विचार करते हुए उत्पाद का डिजाइन और प्रतिरूप तैयार करने की आवश्यकता है।

इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक

  • IPPB को वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री द्वारा भारत सरकार के स्वामित्व वाली 100% इक्विटी के साथ लॉन्च किया गया था।
  • यह भारतीय डाक विभाग का एक भुगतान बैंक है जो डाकघरों और लगभग 4 लाख डाकियों के नेटवर्क के माध्यम से काम करता है। इसे भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा नियंत्रित किया जाता  है।
  • बैंकों की स्थापना भारत में आम आदमी के लिये सबसे सुलभ, किफायती और भरोसेमंद  बनाने की दृष्टि से की गई है। IPPB का मूल उद्देश्य है बैंक के अभाव और ऐसी बाधाओं को दूर करना तथा अंतिम व्यक्ति तक बैंक की सुविधा पहुंँचाना है।
  • IPPB कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और डिजिटल इंडिया के विज़न में योगदान करने के लिये प्रतिबद्ध है।

वित्तीय समावेशन:

  • वित्तीय समावेशन मुख्यधारा के संस्थागत प्लेयर्स द्वारा उचित और पारदर्शी तरीके से यथोचित वित्तीय उत्पादों और सेवाओं तक पहुंँच सुनिश्चित करने की प्रक्रिया है, जिसमें कमज़ोर वर्ग और कम आय वाले समूह शामिल हैं।

वित्तीय समावेशन के लिये कुछ अन्य पहलें:

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)

प्रश्न. भारत के संदर्भ में निम्नलिखित पर विचार कीजिये:(2010)

  1. बैंकों का राष्ट्रीयकरण
  2. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का गठन
  3. बैंक शाखाओं द्वारा गाँवों को गोद लेना

भारत में "वित्तीय समावेशन" के लिये उपरोक्त में से कौन-सा/से कदम उठाया/उठाए जाना/जाने चाहिये?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d) 

  • बैंकों के राष्ट्रीयकरण ने बैंक शाखाओं के विस्तार में मदद की और इस तरह अधिक-से-अधिक लोगों तक पहुँच बनाई। इसके अलावा कृषि, लघु उद्योगों और संबद्ध क्षेत्रों के ऋण में भी वृद्धि हुई है। अत: कथन 1 सही है।
  • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) की स्थापना क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अधिनियम, 1976 के तहत सरकार द्वारा प्रायोजित, क्षेत्र आधारित ग्रामीण ऋण देने वाली संस्थाओं के रूप में की गई थी। RRB को हाइब्रिड माइक्रो बैंकिंग संस्थानों के रूप में आकार देने के लिये स्थानीय अभिविन्यास और सहकारी समितियों की लघु-स्तरीय ऋण देने की संस्कृति एवं वाणिज्यिक बैंकों की व्यावसायिक संस्कृति को आपस में जोड़ा गया था। अत: कथन 2 सही है।
  • भारत में 1960 के दशक में कृषि-ऋण को लागत प्रभावी तरीके प्रोत्साहित करने के अलावा अपनी पहुँच बढ़ाने के उद्देश्य से से बैंकों द्वारा एक गांँव को गोद लेने की योजना शुरू की गई थी। अत: कथन 3 सही है।

स्रोत: पीआईबी

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