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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

भारतीय छात्रों द्वारा विकसित फेम्टो उपग्रह

  • 14 Oct 2020
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

फेम्टो उपग्रह, कलामसैट, सूक्ष्म गुरुत्त्वाकर्षण

मेन्स के लिये:

अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ  

चर्चा में क्यों? 

नासा (NASA) द्वारा उप-कक्षीय अंतरिक्ष में प्रक्षेपण के लिये करूर (तमिलनाडु) के तीन छात्रों द्वारा विकसित एक प्रयोगात्मक फेम्टो उपग्रह (femto Satellite) का चयन किया गया है।

femto-Satellite

प्रमुख बिंदु

  • यह भारतीय छात्रों के लिये एक महत्त्वपूर्ण क्षण था क्योंकि उनके मॉडल को 50 से अधिक देशों के युवा प्रतियोगियों द्वारा प्रस्तुत किये गए प्रोजेक्टों में से प्रमुख रूप से चुना गया था।
  • तीन भारतीय छात्रों द्वारा विकसित यह उपग्रह प्रबलित ग्राफीन बहुलक (Reinforced Graphene Polymer) से बना है। इसका आकार 3 सेमी. और वजन 64 ग्राम है।
  • पृथ्वी से बाहरी अंतरिक्ष में संकेत भेजने और प्राप्त करने के लिये इस उपग्रह की अपनी रेडियो आवृत्ति संचार प्रणाली है। इस उपग्रह से जुड़े सौर सेल इसे ऊर्जा प्रदान करते हैं। 
  • इस उपग्रह से संबद्ध फोटोग्राफिक फिल्म (Photographic Film) रॉकेट के अंदर कॉस्मिक विकिरण को अवशोषित करेगी एवं मापेगी।
  • यह सूक्ष्म गुरुत्त्वाकर्षण (Microgravity) में प्रबलित ग्राफीन बहुलक के प्रभाव का अध्ययन करेगा। यह समुद्र में उतरने से पहले कुछ मिनटों के लिये उप-कक्षीय अंतरिक्ष उड़ान पूरी करेगा।

फेम्टो उपग्रह (femto Satellite): 

  • शब्द ‘फेम्टो सैटेलाइट’ (Femto Satellite) या ‘फेम्टोसैट’ (Femtosat) सामान्य तौर पर 100 ग्राम से कम द्रव्यमान वाले कृत्रिम उपग्रहों के लिये प्रयोग किया जाता है।
  • इन नई श्रेणियों के उपग्रहों की लागत अत्यंत कम होती है।
  • भारतीय संचार उपग्रह ‘कलामसैट’ (Kalamsat) तमिलनाडु के छात्रों द्वारा बनाया गया एक फेम्टो उपग्रह था।
    • यह उपग्रह एक स्मार्टफोन की तुलना में हल्का है और प्रबलित कार्बन फाइबर बहुलक (Reinforced Carbon Fibre Polymer) से बना है। इस उपग्रह ने अपनी उड़ान के बाद अंतरिक्ष के एक सूक्ष्म गुरुत्त्वाकर्षण वातावरण में 12 मिनट तक कार्य किया।
    • इस उपग्रह की मुख्य भूमिका 3D-मुद्रित कार्बन फाइबर (3D-Printed Carbon Fibre) का प्रदर्शन करना है। 
    • यह पहली बार था जब 3D प्रिंटिंग तकनीक (3D Printing Technology) का उपयोग अंतरिक्ष में किया गया था। 

सूक्ष्म गुरुत्त्वाकर्षण (Microgravity): 

  • सूक्ष्म गुरुत्त्वाकर्षण (Microgravity) वह स्थिति होती है जब कोई वस्तु भारहीन अवस्था में होती है। जब अंतरिक्ष यात्री या कोई वस्तु अंतरिक्ष में विचरण करते हैं तो सूक्ष्म गुरुत्त्वाकर्षण का प्रभाव देखा जा सकता है।
    • सूक्ष्म गुरुत्त्वाकर्षण को अन्य तरीकों से भी अनुभव किया जा सकता है। 
  • ‘सूक्ष्म’ (Micro) का अर्थ ‘बहुत छोटा’ होता है, इसलिये सूक्ष्म गुरुत्त्वाकर्षण उस स्थिति को संदर्भित करता है जहाँ गुरुत्त्वाकर्षण बल अत्यंत सूक्ष्म होता है। सूक्ष्म गुरुत्त्वाकर्षण की स्थिति में अंतरिक्ष यात्री अपने अंतरिक्षयान में या उससे बाहर आसानी से तैर सकते हैं।
  • सूक्ष्म गुरुत्त्वाकर्षण के कारण भारी वस्तुएँ अंतरिक्ष में आसानी से घूमती हैं। उदाहरण के लिये अंतरिक्ष यात्री अपनी उंगलियों से सैकड़ों पाउंड वजन के उपकरण को एक जगह से दूसरी जगह पर स्थानांतरित कर सकते हैं। सूक्ष्म गुरुत्त्वाकर्षण को कभी-कभी ‘शून्य गुरुत्त्वाकर्षण’ (Zero Gravity) कहा जाता है किंतु यह भ्रामक है।

स्रोत: द हिंदू 

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