इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

जनप्रतिनिधियों के आपराधिक मामलों की सुनवाई के लिये विशेष अदालतों का गठन

  • 02 Nov 2017
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

  • हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने जनप्रतिनिधियों के खिलाफ मामलों के त्वरित निवारण हेतु विशेष अदालतों के गठन का आदेश दिया है।
  • गौरतलब है कि ये अदालतें फास्ट ट्रैक कोर्ट की तरह मामलों को जल्द निपटाएंगी। सर्वोच्च न्यायालय ने 6 हफ्ते के अंदर इस मामले में केंद्र से एक योजना तैयार करने को भी कहा है।

क्या है केंद्र सरकार का पक्ष? 

  • दरअसल केंद्र सरकार विशेष अदालतों के गठन के पक्ष में तो थी, लेकिन साथ में यह भी कहा था कि यह राज्यों के अधिकार क्षेत्र से संबंधित है।
  • अब सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र से कहा है कि वह केन्द्रीय योजनाओं के अंतर्गत ही इन अदालतों का निर्माण करे।

क्यों आवश्यक है विशेष अदालतों का गठन?

  • दरअसल दोषी प्रमाणित होने के बाद जनप्रतिनिधियों के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाने की व्यवस्था तो है लेकिन कई मामलों में तो 20 सालों तक सुनवाई चलती रहती है और इस बीच जनप्रतिनिधि चार कार्यकाल पूरा कर लेता है।
  • ऐसे में सज़ा के बाद चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित करने का कोई मतलब नहीं रह जाता। ऐसे मामलों में छह महीने से ज़्यादा का स्टे नहीं दिया जाना चाहिये और एक साल के भीतर जनप्रतिनिधियों के मामलों का निपटारा किया जाना चाहिये।

निष्कर्ष

  • जनप्रतिनिधियों पर दायर मुकदमों का त्वरित निवारण राजनीति के निरपराधीकरण में सहायक होगा। ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स’ के अनुसार वर्तमान लोकसभा में चुने गए 34% सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज़ हैं। अतः लगातार राजनीति में अपराधीकरण बढ़ रहा है।
  • ऐसी स्थिति में यह कदम उपर्युक्त कहा जा सकता है। यह भविष्य में चुनाव लड़ने की इच्छा रखने वाले उम्मीदवारों के लिये एक निवारक कारक की तरह कार्य करेगा और वे किसी भी आपराधिक गतिविधि में शामिल होने से बचेंगे।
  • विधायिका में स्वच्छ पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों का प्रवेश होगा। इससे आम जनता का राजनीतिक व्यवस्था में विश्वास मज़बूत होगा और लोकतंत्र की जड़ें मज़बूत होंगी।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2