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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस रैंकिंग में भारत ने लगाई 30 स्थानों की छलांग

  • 02 Nov 2017
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

  • विश्व बैंक द्वारा जारी ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस (कारोबारी सुगमता) रैंकिंग में भारत पिछले साल के 130वें स्थान से 30 स्थानों की छलांग लगाते हुए अब 100वें स्थान पर पहुँच गया है।
  • विदित हो कि कई क्षेत्रों में भारत का प्रदर्शन पहले के मुकाबले बेहतर हुआ है और यही कारण ही ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस में भारत की रैंकिंग सुधरी है।

किन क्षेत्रों में बेहतर हुआ है भारत का प्रदर्शन?

  • ज़ल्द कारोबार आरंभ करने के मामले में भारत 156वें स्थान पर पहुँच गया है। इसमें भारत की रैंकिंग में पहले के मुकाबले सुधार हुआ है।
  • उद्योगों को बिजली कनेक्शन देने के मामले में भारत 129वें नंबर पर पहुँच गया है। दिवालिया मामलों के निपटान के मामले में भारत 33 स्थान की छलांग लगाकर भारत 103 पर पहुँच गया है।
  • जहाँ एक ओर कारोबार के लिये ऋण लेना भी आसान हुआ है, वहीं अल्पसंख्यक शेयरधारकों की हितों की रक्षा के लिये अहम् कदम उठाए गए हैं, साथ में कर अदायगी को आसान बनाने की दिशा में भी सुधारों को बल मिला है।

क्या है ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस?

  • किसी देश में कारोबारी सुगमता के स्तर को ही तकनीकी भाषा में ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस की रैंकिंग के नाम से जाना जाता है।
  • दरअसल इस रिपोर्ट में यह बताया जाता है कि कौन सा देश कारोबार आरंभ करने की दृष्टि से कितना बेहतर है?
  • विश्व बैंक समूह द्वारा बनाया गया यह सूचकांक व्यावहारिक अनुसंधान (Empirical Research) पर आधारित  है।
  • उच्च रैंकिंग (कम संख्यात्मक मान) यह दिखाता है कि व्यवसाय करने के लिये सरल प्रक्रिया विद्यमान है और सम्पदा के अधिकारों की भी सुरक्षा की गई है।
  • यह सूचकांक इन 10 उप-निर्देशों के औसत पर आधारित है:

1. कारोबार शुरू करना।
2. निर्माण अनुमति प्राप्त करना।
3. विद्युत प्राप्त करना।
4. संपत्ति को पंजीकृत कराना।
5. क्रेडिट प्राप्त करना।
6. निवेशकों की रक्षा करना।
7. कर चुकाना।
8. सीमापार व्यापार करना। 
9. प्रवर्तनीय कॉन्ट्रैक्ट।
10. दिवालियेपन का समाधान करना।

क्यों महत्त्वपूर्ण है यह घटनाक्रम?

  • विश्व बैंक की ओर से आज जारी होने वाली यह रिपोर्ट भारत के लिये कई मायने में महत्त्वपूर्ण है क्योंकि हाल के दिनों में कारोबारी सुगमता को सहज करने के लिये कई आर्थिक सुधार किये गए हैं।
  • यदि इन सुधारों के बावजूद भारत की रैकिंग नहीं सुधरती, तो यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये शुभ संकेत नहीं होता। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष की रैंकिंग 190 देशों में भारत 130वें स्थान पर रखा गया था।
  • क्रेडिट रेटिंग एजेंसियाँ द्वारा दी जाने वाली रेटिंग में भी संबंधित देश की ईज ऑफ डूइंग रैंकिंग का ध्यान रखा जाता है।अतः भारत के लिये 30 स्थानों की यह छलांग महत्त्वपूर्ण है।
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