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पेटेंट एवरग्रीनिंग

  • 27 Mar 2023
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय पेटेंट कार्यालय, बेडाक्विलाइन, भारतीय पेटेंट अधिनियम 1970, सर्वोच्च न्यायालय।

मेन्स के लिये:

पेटेंट की एवरग्रीनिंग

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय पेटेंट कार्यालय ने जुलाई 2023 से भारत में तपेदिक रोधी दवा बेडाक्विलाइन के निर्माण पर अमेरिकी फार्मास्युटिकल दिग्गज जॉनसन एंड जॉनसन के पेटेंट की एवरग्रीनिंग के प्रयास को खारिज कर दिया।

  • बेडाक्विलाइन बहु-दवा प्रतिरोधी टीबी रोगियों के उपचार हेतु एक महत्त्वपूर्ण दवा है, जिसके लिये सबसे प्रभावशाली दवा उपचार- आइसोनियाज़िड, रिफैम्पिसिन, पायराज़िनामाइड एवं एथमब्यूटोल ने काम करना बंद कर दिया है।

पेटेंट आवेदन क्यों खारिज कर दिया गया?

  • J&J ने बेडाक्विलाइन टैबलेट बनाने के लिये इस्तेमाल किये जाने वाले रसायन के फ्यूमरेट साल्ट के लिये पेटेंट दायर किया।
  • यह तर्क दिया गया था कि बेडाक्विलाइन की "ठोस दवा संरचना" निर्माण हेतु J&J के "आविष्कारशील कदम" (Inventive Step) की आवश्यकता नहीं थी।
    • भारतीय पेटेंट अधिनियम 1970 की धारा 2 (1) (ja) के अनुसार, एक 'आविष्कारशील कदम' एक आविष्कार है जो "किसी कला में व्यक्ति के कुशल होने को स्पष्ट नहीं करता है"।
  • वर्तमान आवेदन पिछले पेटेंट के महत्त्व से युक्त है, जिसमें एक समान यौगिक पर चर्चा की गई जिस पर बेडाक्विलाइन आधारित है।
  • पेटेंट अधिनियम, 1970 ने पेटेंट योग्यता को लेकर कुछ 'प्रतिबंध' लगाए हैं।
    • "ज्ञात प्रक्रिया, मशीन या उपकरण के सरल उपयोग के लिये तब तक पेटेंट नहीं दिया जा सकता जब तक कि ऐसी ज्ञात प्रक्रिया एक नया उत्पाद नहीं बनाती या कम-से-कम एक नए अभिकारक को नियोजित नहीं करती।"
    • अधिनियम की धारा 3(d) पेटेंट की ‘एवरग्रीनिंग’ पर प्रतिबंध लगाती है ताकि नवोन्मेषी फार्मा कंपनियों को पेटेंट को 20 वर्ष की वैधानिक अवधि से आगे बढ़ाने से रोका जा सके तथा यह सुनिश्चित किया जा सके कि एकाधिकार हमेशा के लिये न रहे।
  • पेटेंट एक उत्पाद है और यह कोई सामान्य संस्करण नहीं है। हालाँकि बेडाक्विलाइन पेटेंट की समाप्ति के बाद दवा निर्माता कानून के अनुसार जेनेरिक संस्करण बना सकते हैं।

‘बहुऔषध-प्रतिरोधक तपेदिक’ (Multidrug-resistant TB or MDR-TB):

  • MDR-TB, बैक्टीरिया के कारण होने वाला एक प्रकार का तपेदिक संक्रमण है जो TB उपचार, आइसोनियाज़िड और रिफाम्पिसिन के लिये सबसे प्रभावी दवाओं में से कम-से-कम दो के लिये प्रतिरोधी होता है।
  • MDR-TB माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस के कारण होता है, यह वही जीवाणु है जो नियमित प्रकृति वाले तपेदिक का कारण बनता है, इसका इलाज करना अधिक कठिन होता है।
  • MDR-TB तब होता है जब TB का कारक माने जाने वाले बैक्टीरिया उत्परिवर्तित होते हैं और इस बीमारी के इलाज के लिये इस्तेमाल की जाने वाली मानक दवाओं के प्रति प्रतिरोधक बन जाते हैं।
  • TB वाले रोगी नियमित उपचार के अपने पूरे चक्र को पूरा करने में विफल होने की स्थिति में हो सकते हैं, जिस कारण बैक्टीरिया का उन्मूलन पूरी तरह से नहीं हो पाता है और बैक्टीरिया को इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं के प्रतिरोध को विकसित करने का अच्छा अवसर मिल जाता है।

इस अस्वीकृति का महत्त्व:

  • इस अस्वीकृति से बेडाक्विलाइन की कीमत 80% तक कम होने की उम्मीद है।
    • भारत में दवा प्रतिरोधी TB वाले लोगों की आबादी सबसे अधिक है। J&J के बेडाक्विलाइन पर पेटेंट का मतलब है कि प्रति व्यक्ति दवा की कीमत 400 अमेरिकी डॉलर (वर्ष 2020 में संशोधित होकर 340 अमेरिकी डॉलर हो गई) होगी, साथ ही अन्य दवाओं की कीमत भी बढ़ेगी।
  • अब तक भारत सरकार ने दवाओं की खरीद सीधे तौर पर की है और इसे राज्य स्तरीय तपेदिक कार्यक्रमों के माध्यम से वितरित किया है। जुलाई 2023 के बाद भारत में जेनेरिक दवाओं के निर्माता बेडाक्विलाइन के जेनेरिक संस्करण का उत्पादन कर सकेंगे।

पेटेंट की एवरग्रीनिंग:

  • परिचय:
    • पेटेंट की एवरग्रीनिंग पेटेंट की अवधि और उनकी लाभप्रदता बढ़ाने के लिये दवाओं में फेरबदल करने का एक अभ्यास है।
    • भारतीय पेटेंट अधिनियम 1970 ने पेटेंट की "एवरग्रीनिंग" की प्रथा को रोकने के लिये कई प्रावधान किये।
    • यह महँगी संशोधित दवाओं को वहन नहीं कर सकने वाले लाखों लोगों की सहायता करने और साथ ही घरेलू जेनेरिक दवा बाज़ार के विकास के लिये है।
  • चुनौतियाँ:
    • यह प्रक्रिया दवा की चिकित्सीय प्रभावकारिता में कोई वृद्धि नहीं करती है। साथ ही कई देशों में सूक्ष्म सुधार पेटेंट संरक्षण हेतु अर्हता प्राप्त की जा सकती है। परिणामस्वरुप यह बाज़ार में प्रतिस्पर्द्धा को रोकेगी, जो बाज़ार एवं उपभोक्ताओं के लिये हानिकारक साबित होगा।
    • कंपनियाँ अनुसंधान और विकास में खर्च होने वाली लागत का बचाव करते हुए दवाओं हेतु सुरक्षा की अवधि का विस्तार करती हैं एवं दवा की कीमतें बढ़ाती हैं, जबकि ऐसे निर्माण के लिये कोई लागत की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि यह केवल एक छोटा संयोजन या पहले से स्वीकृत दवाओं का संशोधन है।
    • जेनेरिक दवाओं की कमी के कारण विविधता उपभोक्ताओं हेतु स्वास्थ्य देखभाल की लागत में वृद्धि करती है।
    • पेटेंट की निरंतरता मुख्य रूप से उन अविकसित और विकासशील देशों में उपभोक्ताओं को प्रभावित करती है जो ब्रांडेड दवाएँ नहीं खरीद सकते हैं, जबकि ये उन्हें घातक बीमारियों से बचा सकती हैं।

इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय:

  • मिसाल नोवार्टिस बनाम भारत संघ मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने पेटेंट को खारिज करने हेतु दायर अपील पर कहा कि इमैटिनिब मेसाइलेट का बीटा क्रिस्टलीय रूप ज्ञात पदार्थ (यानी इमैटिनिब मेसाइलेट) का एक नया रूप था, जिसमें प्रभावकारिता अच्छी तरह से ज्ञात थी और इसके साथ ही पेटेंट को खारिज कर दिया। यह मामला इस संबंध में एक प्रसिद्ध मिसाल है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)

  1. भारतीय पेटेंट अधिनियम के अनुसार, किसी बीज को बनाने की जैव प्रक्रिया का भारत में पेटेंट कराया जा सकता है।
  2. भारत में कोई बौद्धिक संपदा अपील बोर्ड नहीं है।
  3. पादप किस्में भारत में पेटेंट कराए जाने की पात्र नहीं हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)

व्याख्या:

  • भारतीय पेटेंट अधिनियम की धारा 3 (J), "पौधों और पशुओं के पूर्ण या विभाजित हिस्से में सूक्ष्मजीवों के अलावा बीज, किस्मों और प्रजातियों तथा अनिवार्य रूप से पौधों और पशुओं के उत्पादन या प्रजनन हेतु जैविक प्रक्रियाओं" को पेटेंट से बाहर करती है। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • भारतीय व्यापार चिह्न अधिनियम, 1999 और माल के भौगोलिक उपदर्शन (रजिस्ट्रीकरण एवं संरक्षण) अधिनियम, 1999 के तहत रजिस्ट्रार के निर्णय के खिलाफ अपील सुनने और हल करने के लिये भारत सरकार द्वारा 2003 में बौद्धिक संपदा अपील बोर्ड (IPAB) का गठन किया गया था। अतः कथन 2 सही नहीं है।
  • पादप विविधता संरक्षण पादप प्रजनक अधिकारों (PBR) के रूप में एक प्रजनक को पादप विविधता का कानूनी संरक्षण प्रदान करता है। भारत में पौधों की किस्मों और किसानों के अधिकारों का संरक्षण अधिनियम, 2001 (PPVFR) एक विशिष्ट प्रणाली है जिसका उद्देश्य पौधों की किस्मों की सुरक्षा तथा पौधों के प्रजनकों एवं किसानों के अधिकारों के लिये एक प्रभावी प्रणाली की स्थापना करना है। सुई जेनरिस प्रणाली पेटेंट प्रणाली का एक विकल्प है। अतः कथन 3 सही है।
  • अतः विकल्प (C) सही उत्तर है।

मेन्स:

प्रश्न. भारतीय एकस्व अधिकार नियम (Patent Law) 1970 की धारा 3(d) में वर्ष 2005 में बलात् संशोधन कराने वाली परिस्थितियों को स्पष्ट करते हुए यह विवेचना कीजिये कि इसके कारण सर्वोच्च न्यायालय ने नावराटिस की ग्लाइवेक (‘Glivec’) के एकस्व अधिकार आवेदन को किस प्रकार अस्वीकार किया। (मुख्य परीक्षा- 2013)

स्रोत: द हिंदू

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