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सामाजिक न्याय

राष्ट्रीय विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति-2020

  • 02 Jan 2021
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology- DST) द्वारा अपनी वेबसाइट पर 5वीं राष्ट्रीय विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति (National Science Technology and Innovation Policy- STIP) का मसौदा जारी किया है।

  • यह नीति 2013 की विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति का स्थान लेगी।

प्रमुख बिंदु:

उद्देश्य:

  • नई नीति में उन व्यक्तियों और संगठनों को शामिल किया गया है जो अनुसंधान और नवाचार क्षेत्र से संबंधित हैं तथा उस पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने में सक्षम हैं और जिनके  द्वारा लघु, मध्यम तथा दीर्घकालिक मिशन मोड परियोजनाओं के माध्यम से महत्त्वपूर्ण बदलाव लाए जा सकते हैं। 
  • देश के सामाजिक-आर्थिक विकास को प्ररित करने हेतु भारतीय विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र की शक्तियों और कमज़ोरियों की पहचान करना एवं उनका पता लगाना, साथ ही भारतीय STI पारिस्थितिकी तंत्र को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बनाना।

महत्त्वपूर्ण प्रावधान:

न्याय और समावेशन से संबंधित :

  • लैंगिक समानता:
    • नीति में प्रस्तावित है कि सभी निर्णय लेने वाले निकायों में महिलाओं का कम-से-कम 30% प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए, साथ ही लेस्बियन, गे, बाइसेक्शुअल, ट्रांसज़ेंडर, क्यूर (LGBTQ+) समुदाय से जुड़े वैज्ञानिकों को "स्पाउसल बेनिफिट्स’ (Spousal Benefits) प्रदान किये जाएं।
    • LGBTQ + समुदाय को लैंगिक समानता से संबंधित सभी वार्तालापों में शामिल किया जाए और उनके अधिकारों की सुरक्षा तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में उनके प्रतिनिधित्व व विचारों को शामिल करने हेतु प्रावधान किये जाएँ।
  • बच्चों और बुजुर्गों की देखभाल:
    • नीति में बाल-देखभाल को बिना लैंगिक भेदभाव  के और काम के घंटों को लचीला बनाने का प्रस्ताव किया गया है।
    • इसके अलावा मातृत्व, प्रसव और सही से बच्चे की सही ढंग से देखभाल करने के लिये माता-पिता हेतु पर्याप्त छुट्टी का प्रस्ताव किया गया है।
    •  सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित सभी अनुसंधान संस्थानों और विश्वविद्यालयों को कर्मचारियों के बच्चों के लिये डे-केयर सेंटर स्थापित करने तथा बुजर्गों की देखभाल के लिये भी प्रावधान किया गया है।
  • विकलांगों के लिये:
    • यह नीति विकलांग लोगों की सहायता के लिये सभी वित्त पोषित  सार्वजनिक वैज्ञानिक संस्थानों में उनके समावेश न करने हेतु  "संरचनात्मक और सांस्कृतिक परिवर्तन" का पक्षधर है।
  • अन्य संबंधित प्रावधान:
    • चयन, पदोन्नति, पुरस्कार या अनुदान से संबंधित मामलों में आयु-संबंधी छूट के लिये  ‘शैक्षणिक स्तर पर आयु’ को आधार बनाया जाए, न कि लैंगिक आयु सीमा को।
    • एक ही विभाग या प्रयोगशाला में कर्मचारी के तौर पर नियुक्त होने वाले विवाहित युगल की एक साथ कार्य करने की सीमा को हटाना। 
      • अभी तक शादीशुदा युगल एक ही विभाग में कार्य नहीं कर सकते थे जिस कारण रोज़गार छोड़ने के मामले सामने आते हैं या जब कोई सहकर्मी शादी करने का फैसला करता हैं तो उसकी मर्ज़ी के बगैर उसका स्थानांतरण कर दिया जाता है।
  • ओपन साइंस पॉलिसी (वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन): सभी को वैज्ञानिक ज्ञान और डेटा उपलब्ध कराने का प्रस्ताव किया गया है जिससे:
    • वैश्विक स्तर पर सभी महत्त्वपूर्ण वैज्ञानिक पत्रिकाओं की थोक में खरीद संभव होगी, साथ ही भारत में भी सभी तक इनकी मुफ्त पहुंँच संभव होगी।
    • विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार वेधशाला स्थापित करना जो देश में वैज्ञानिक अनुसंधान से संबंधित सभी प्रकार के डेटा के केंद्रीय भंडार के रूप में कार्य करेगा।

अनुसंधान और शिक्षा:

  • यह नीति निर्माताओं को अनुसंधान इनपुट प्रदान करने और हितधारकों को एक साथ लाने के लिये शिक्षा अनुसंधान केंद्र (Education Research Centre) और सहयोगी अनुसंधान केंद्र (Collaborative Research Centre) स्थापित करने का प्रस्ताव करती है।
  • अनुसंधान और नवप्रवर्तन उत्कृष्टता फ्रेमवर्क (Research and Innovation Excellence Framework) की प्रासंगिकता का उद्देश्य हितधारकों के साथ जुड़ाव को बढ़ावा देने के साथ-साथ अनुसंधान की गुणवत्ता बढ़ाना है।
  • एक समर्पित पोर्टल सार्वजनिक रूप से वित्तपोषित अनुसंधान के आउटपुट तक पहुँच प्रदान करेगा जिसे  इंडियन साइंस एंड टेक्नोलॉजी आर्चिव ऑफ रिसर्च (Indian Science and Technology Archive of Research) के माध्यम से बनाया जाएगा।
  • स्थानीय अनुसंधान और विकास क्षमताओं को बढ़ावा देने तथा चुनिंदा क्षेत्रों जैसे- घरेलू उपकरणों, रेलवे, स्वच्छ तकनीक, रक्षा आदि में बड़े स्तर पर आयात को कम करने हेतु बुनियादी ढाँचा स्थापित करेगा।

भारत की सामरिक स्थिति को मज़बूत करने के लिये:

  • यह नीति  आने वाले दशक में भारत को शीर्ष तीन वैज्ञानिक महाशक्तियों के बीच तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर स्थिति  प्राप्त करने में सहायक होगी।
  • प्रत्येक 5 वर्षों में पूर्णकालिक समकक्ष (Full-Time Equivalent) शोधकर्त्ताओं की संख्या, R&D पर सकल घरेलू व्यय (Gross Domestic Expenditure) और GERD पर निजी क्षेत्र के योगदान को दोगुना करने में सहायक।
  • एक रणनीतिक प्रौद्योगिकी बोर्ड (Strategic Technology Board) की स्थापना करना जो सभी सामरिक सरकारी विभागों को जोड़ेगा और खरीदी जाने वाली या स्वदेश निर्मित प्रौद्योगिकियों की निगरानी तथा अनुशंसा करेगा।

स्रोत: पीआईबी

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