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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

सार्क COVID- 19 आपातकालीन निधि पर मतभेद

  • 13 Apr 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

सार्क COVID-19 आपातकालीन निधि

मेन्स के लिये:

सार्क देशों के मध्य विवाद

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन’ (South Asian Association for Regional Cooperation- SAARC) देशों द्वारा स्थापित ‘सार्क COVID- 19 आपातकालीन निधि’ (SAARC COVID-19 Emergency Fund) के प्रबंधन में नेतृत्त्व को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच मतभेद देखने को मिले हैं।

मुख्य बिंदु:

  • पाकिस्तान ने सार्क COVID- 19 आपातकालीन निधि में 3 मिलियन का योगदान देने का वचन दिया है लेकिन साथ ही मांग की है कि इस पहल को सार्क संगठन के नियंत्रण में स्थापित करना चाहिये।
  • भारत सरकार ने पाकिस्तान के इस निर्णय के बाद कहा कि "सामूहिक रूप से COVID- 19 महामारी से लड़ने में प्रत्येक सार्क सदस्य-राष्ट्र की गंभीरता का अंदाज़ा उनके व्यवहार से लगाया जा सकता है।"

सार्क COVID-19 आपातकालीन निधि:

  • 15 मार्च, 2020 को भारतीय प्रधानमंत्री के आग्रह पर COVID-19 की चुनौती से निपटने की रणनीति पर विचार-विमर्श के लिये सार्क समूह के सदस्य देशों के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया।
  • कॉन्फ्रेंस में भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा COVID- 19 महामारी की चुनौती से निपटने के लिये ‘सार्क COVID- 19 आपातकालीन निधि’ स्थापित किये जाने का प्रस्ताव रखा गया।  
  • भारतीय प्रधानमंत्री ने इस फंड के लिये भारत की तरफ से शुरुआती सहयोग के रूप में 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर देने की घोषणा की।
  • इसके बाद नेपाल और अफगानिस्तान दोनों ने 1-1 मिलियन डॉलर, मालदीव ने 200,000 डॉलर भूटान ने 100,000 डॉलर, बांग्लादेश ने 1.5 मिलियन डॉलर तथा श्रीलंका 5 मिलियन डॉलर का योगदान देने का वचन दिया।

पाकिस्तान का तर्क: 

  • पाकिस्तान ने हाल में हुए सार्क देशों के व्यापार अधिकारियों के ‘आभासी सम्मेलन’ का बहिष्कार किया तथा भारत के नेतृत्त्व में किसी भी प्रकार के सहयोग करने से मना कर दिया है। 
  • पाकिस्तान का मानना है कि COVID- 19 प्रबंधन की दिशा में कोई भी पहल केवल तभी प्रभावी हो सकती है जब भारत के बजाय सार्क संगठन के सचिवालय द्वारा इस दिशा में सभी कार्यों का प्रबंधन किया जाए। 

भारत का तर्क:

  • भारत सरकार का मानना है कि COVID- 19 महामारी के प्रसार को नियंत्रित करने के लिये तुरंत कार्यवाई करने की आवश्यकता है लेकिन सार्क सचिवालय मार्ग के माध्यम से कार्य करने में अनेक प्रक्रियागत औपचारिकताओं का पालन करना होगा। जबकि COVID-19 आपातकालीन प्रतिक्रिया निधि का गठन ही तुरंत कार्रवाई करने के उद्देश्य से किया जा रहा है।
  • भारत का मानना है कि आगे सार्क सदस्य देशों को ‘सार्क COVID-19 आपातकालीन निधि’ की प्रतिबद्धताओं के समय, तरीके तथा कार्यान्वयन के बारे में निर्णय लेना है।

आगे की राह:

  • भारत पर कई बार ये आरोप लगे हैं कि भारत अपनी मज़बूत स्थिति का उपयोग कर क्षेत्र के देशों पर अपना वर्चस्व कायम रखना चाहता है। वर्तमान के अनिश्चिततापूर्ण वातावरण में भारत के लिये एक ज़िम्मेदार पड़ोसी के रूप में अपनी नेतृत्त्व क्षमता का प्रदर्शन कर क्षेत्र के देशों के बीच अपनी एक सकारात्मक छवि प्रस्तुत करने का यह महत्त्वपूर्ण अवसर है।

स्रोत: द हिंदू

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