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सेवा शुल्क पर दिल्ली उच्च न्यायालय का आदेश

  • 11 Sep 2023
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्तराँ एसोसिएशन ऑफ इंडिया, दिल्ली उच्च न्यायालय, केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण

मेन्स के लिये:

सेवा शुल्क पर दिल्ली उच्च न्यायालय का आदेश, सेवा शुल्क से संबंधित मुद्दे

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश जारी किया है जिसमें फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्तराँ एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FHRAI) के सदस्यों को 'सेवा शुल्क (Service Charge)' शब्द के स्थान पर 'कर्मचारी योगदान (Staff Contribution)' का उपयोग करने का निर्देश दिया गया है और यह भी कि चार्ज की जाने वाली राशि कुल बिल का 10% से अधिक नहीं होनी चाहिये। 

मामला:

  • पृष्ठभूमि:
    • यह आदेश नेशनल रेस्तराँ एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NHRAI) और FHRAI द्वारा दायर याचिकाओं को ध्यान में रखते हुए पारित किया गया था, इन याचिकाओं में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (Central Consumer Protection Authority- CCPA) द्वारा जारी जुलाई 2022 के दिशा-निर्देशों को चुनौती दी गई थी। ये दिशा-निर्देश केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 18(2)(1) के तहत जारी किये गए थे।
    • CCPA दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि उपभोक्ताओं से किसी अन्य नाम से सेवा शुल्क नहीं लिया जाना चाहिये और ये शुल्क वैकल्पिक एवं स्वैच्छिक होने चाहिये।
    • उनके पास विकल्प होना चाहिये कि वे बिल से सेवा शुल्क हटाने का अनुरोध कर सकें।
      • ई-दाखिल पोर्टल के माध्यम से किसी प्रकार के अनुचित व्यापार प्रथाओं के खिलाफ शिकायत शीघ्र निवारण अथवा अन्य उद्देश्यों के लिये उपभोक्ता आयोग के पास इलेक्ट्रॉनिक रूप से भी दर्ज की जा सकती है।
    • इन दिशा-निर्देशों में उपभोक्ताओं को सूचित किये बिना बिल में स्वचालित रूप से सेवा शुल्क जोड़ने या शामिल करने पर भी रोक लगा दी गई है। 
    • ये दिशा-निर्देश उपभोक्ताओं की शिकायतों के जवाब में पेश किये गए थे, क्योंकि कई रेस्तराँ और होटल स्पष्ट रूप से यह बताए बिना कि भुगतान स्वैच्छिक था, सेवा शुल्क लगा रहे थे।
    • CCPA द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 18(2)(1) के तहत दिशा-निर्देश जारी किये गए थे।

नोट: अधिनियम की धारा 18(2)(1) के तहत CCPA ने होटल और रेस्तराँ पर सेवा शुल्क लगाने के संबंध में अनुचित व्यापार प्रथाओं को रोकने और उपभोक्ता हितों की सुरक्षा के लिये दिशा-निर्देश जारी किये हैं।

  • न्यायालय का प्रारंभिक स्थगन:
    • जुलाई 2022 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने CCPA दिशा-निर्देशों पर इस शर्त के अधीन रोक लगा दी थी कि एसोसिएशन मेनू या अन्य जगहों पर सेवा शुल्क का स्पष्ट प्रदर्शन सुनिश्चित करें, साथ ही ग्राहकों को इसे भुगतान करने के दायित्व के विषय में सूचित करें।
    • शुरुआत में इस पर स्टे अवधि को बढ़ा दिया गया था।
  • न्यायालय द्वारा विकसित निर्देश:
    • अप्रैल 2023 में न्यायालय ने स्पष्ट किया कि अंतरिम आदेश से उपभोक्ताओं को गुमराह नहीं किया जाना चाहिये। न्यायालय ने भ्रम को रोकने के लिये "सेवा शुल्क" हेतु वैकल्पिक शब्दावली तलाशने का भी सुझाव दिया।
    • न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं को यह सूचना देने का आदेश दिया कि उनके कितने प्रतिशत सदस्यों ने अनिवार्य रूप से सेवा शुल्क लगाया है और क्या इसका नाम बदलने पर कोई आपत्ति है।
  • न्यायालय का हालिया निर्णय:
    • FHRAI ने "सेवा शुल्क" का नाम बदलकर "कर्मचारी योगदान" करने की इच्छा व्यक्त की। हालाँकि NRAI ने पिछले निर्णयों और इस तथ्य का हवाला देते हुए इस बदलाव का विरोध किया कि उसके सदस्यों के एक महत्त्वपूर्ण प्रतिशत ने सेवा शुल्क लगाया था।
    • न्यायालय ने सेवा शुल्क लगाने के संबंध में FHRAI की सदस्यता में एकरूपता की कमी पर ध्यान दिया।
    • परिणामस्वरूप उच्च न्यायालय ने FHRAI सदस्यों को 'कर्मचारी योगदान' शब्द को अपनाने और इसे कुल बिल राशि का 10% तक सीमित करने का निर्देश दिया।   
  • 2017 दिशा-निर्देशों से संबंध:
    • वर्ष 2022 के सेवा शुल्क दिशा-निर्देशों का उद्देश्य केंद्र सरकार द्वारा जारी वर्ष 2017 के दिशा-निर्देशों के पूरक के रूप में कार्य करना था, न कि इसे प्रतिस्थापित करना था। वर्ष 2017 के इन दिशा-निर्देशों ने अनुचित व्यापार प्रथाओं के विषय में चिंताओं को संबोधित करते हुए ग्राहकों की स्पष्ट सहमति के बिना होटल और रेस्तराँ द्वारा सेवा शुल्क लगाए जाने पर रोक लगा दी थी।
    • निष्कर्षतः 10% की सीमा के साथ 'सेवा शुल्क' का नाम बदलकर 'कर्मचारी योगदान' करने का दिल्ली उच्च न्यायालय का हालिया निर्णय उद्योग संघों और उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरणों के बीच चल रही कानूनी लड़ाई में एक महत्त्वपूर्ण विकास का प्रतिनिधित्व करता है।
      • यह मामला भारत के उपभोक्ता संरक्षण नियमों के अनुरूप रेस्तराँ बिलिंग प्रथाओं में पारदर्शिता और उपभोक्ता की पसंद के महत्त्व पर प्रकाश डालता है।

नोट:

  • FHRAI, आतिथ्य उद्योग का प्रतिनिधित्व करने वाले चार क्षेत्रीय संघों का सर्वोच्च निकाय है।
  • नेशनल रेस्तराँ एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) भारतीय रेस्तराँ उद्योग की आवाज़ है। वर्ष 1982 में स्थापित NRAI भारतीय खाद्य सेवा क्षेत्र को बढ़ावा देने और मज़बूत करने की इच्छा रखता है।

सेवा शुल्क:

  • परिचय:
    • सेवा शुल्क एक ऐसा शुल्क है जो कभी-कभी व्यवसायों द्वारा बिल या चालान में जोड़ा जाता है, विशेष रूप से रेस्तराँ, होटल और बैंक्वेट हॉल जैसे आतिथ्य उद्योग में।
    • इसका उद्देश्य वेटर्स, सर्वर और अन्य सेवा कर्मियों सहित कर्मचारियों द्वारा प्रदान की गई सेवा की लागत को कवर करना है।
    • इसे ग्राहक सेवा शुल्क या रखरखाव शुल्क भी कहा जा सकता है।
      • रेस्तराँ तथा होटल आमतौर पर खाने के बिल पर 10% सेवा शुल्क लगाते हैं।
  • समस्याएँ:
    • पारदर्शिता की कमी: सेवा शुल्क के संदर्भ में प्राथमिक मुद्दों में से एक पारदर्शिता की कमी है। ग्राहकों को अक्सर बिल प्राप्त होने तक सेवा शुल्क शामिल करने के बारे में सूचित नहीं किया जाता है। अग्रिम जानकारी के अभाव के कारण भ्रम तथा असंतोष पैदा हो सकता है।
    • अनिवार्य प्रकृति: कई मामलों में सेवा शुल्क अनिवार्य होते हैं, जिसका अर्थ है कि ग्राहकों को उन्हें प्राप्त सेवा की गुणवत्ता की परवाह किये बिना भुगतान करना पड़ता है। यह अनिवार्य पहलू समस्याग्रस्त हो सकता है खासकर यदि सेवा, ग्राहक की अपेक्षाओं से निम्न है
    • सेवा की गुणवत्ता: चूँकि सेवा शुल्क कर्मचारियों को अतिरिक्त आय की गारंटी देता है, इसलिये यह असाधारण सेवा प्रदान करने के लिये सेवा कर्मियों के प्रोत्साहन को कम कर सकता है। इससे संतुष्टि मिल सकती है लेकिन सेवा की समग्र गुणवत्ता में कमी आ सकती है।
    • विवशता: ग्राहक सेवा शुल्क का भुगतान करने के लिये मजबूरी अथवा दबाव महसूस कर सकते हैं, भले ही वे सेवा से असंतुष्ट हों। इस बाध्यता के परिणामस्वरूप ग्राहक को असुविधा तथा असंतोष हो सकता है।

सीसीपीए (CCPA):

  • इसकी स्थापना वर्ष 2019 के उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (CPA) के तहत की गई थी।
  • इसे उपभोक्ता अधिकारों के दुरुपयोग, अनुचित व्यापार प्रथाओं तथा जनता के हित के लिये हानिकारक झूठी अथवा भ्रामक मार्केटिंग को विनियमित करने का अधिकार है।
  • इसके पास CPA, 2019 की धारा 18 के तहत उपभोक्ताओं के अधिकारों की सुरक्षा, प्रचार और सबसे महत्त्वपूर्ण कि रक्षा करने एवं अधिनियम के तहत उनके अधिकारों के उल्लंघन को रोकने का अधिकार है।
  • इसके अलावा यह उपभोक्ता अधिकारों को बढ़ावा देता है और यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी व्यक्ति अनुचित व्यापार प्रथाओं में संलग्न न हो तथा इसे उपभोक्ताओं के अधिकारों को लागू करने के लिये दिशा-निर्देश जारी करने का भी अधिकार है।

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