सेवा शुल्क | 15 Jul 2022

प्रिलिम्स के लिये:

सेवा शुल्क, केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA), राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (NCH), उपभोक्ता अधिकार।

मेन्स के लिये:

सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने अनुचित व्यापार प्रथाओं से बचने और सेवा शुल्क का आकलन करने वाले होटलों और रेस्तराँ में उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिये नियम जारी किये हैं।

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA):

  • इसे उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (CPA) 2019 के तहत स्थापित किया गया था।
  • यह उपभोक्ता अधिकारों के दुरुपयोग, अनुचित व्यापार प्रथाओं और झूठे या भ्रामक विपणन, जो कि जनता के हित में हानिकारक हैं, को नियंत्रित करने का अधिकार रखता है।
  • इसके पास CPA, 2019 की धारा 18 के तहत उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा, प्रचार और सबसे महत्त्वपूर्ण अधिनियम के तहत उनके अधिकारों के उल्लंघन को रोकने का अधिकार है।
  • इसके अलावा यह  उपभोक्ता अधिकारों को बढ़ावा देता है तथा यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी व्यक्ति अनुचित व्यापार प्रथाओं में शामिल न हो और इसे उपभोक्ताओं के अधिकारों को लागू करने के लिये दिशा-निर्देश जारी करने का भी अधिकार है।

नए दिशा-निर्देश:

  • परिचय:
    • इसके अनुसार होटल और रेस्तराँ में सेवा शुल्क (Service Charge) चार्ज के नाम पर बिल में स्वत: या डिफॉल्ट रूप से अतिरिक्त चार्ज वसूलने पर रोक है।
    • उन्हें ग्राहकों को यह बताना होगा कि सेवा शुल्क स्वैच्छिक और वैकल्पिक हैं।
    • सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि होटल और रेस्तराँ को अब सेवा शुल्क के संग्रह के आधार पर प्रवेश या सेवाओं को सीमित करने की अनुमति नहीं है।
    • इसके अलावा होटलों को अपने बिलों में सेवा शुल्क जोड़ने और कुल GST जमा करने की अनुमति नहीं है।
    • किसी भी टिप, टोकन, दान आदि को होटल के कर्मचारियों और उपभोक्ता के बीच एक अलग लेन-देन के रूप में माना जाएगा जो उपभोक्ता के लिये पूरी तरह से स्वैच्छिक है।
  • सुधार प्रक्रिया:
    • अगर कोई होटल या रेस्तराँ सेवा शुल्क ले रहा है तो ग्राहक संबंधित होटल या रेस्तराँ को बिल से सेवा शुल्क हटाने के लिये कह सकता है या फिर 1915 नंबर पर कॉल करके या NCH मोबाइल एप के माध्यम से NCH पर शिकायत दर्ज करा सकता है।
      • राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन मुकदमेबाज़ी के पूर्व स्तर पर एक वैकल्पिक विवाद निवारण तंत्र के रूप में कार्य करती है।
    • इसके त्वरित और प्रभावी निवारण के लिये इलेक्ट्रॉनिक रूप से edaakhil.nic.in के माध्यम से उपभोक्ता आयोग के पास अनुचित व्यापार व्यवहार के खिलाफ शिकायत दर्ज की जा सकती है

सेवा शुल्क:

  • यह ग्राहक और रेस्तराँ कर्मियों, विशेष रूप से प्रतीक्षा कर्मचारियों के बीच एक टिप या सीधा लेन-देन है।
  • यह एक मुख्य उत्पाद या सेवा की खरीद से संबंधित सेवाओं के लिये ली जाने वाली लागत है।
  • यह आतिथ्य और खाद्य एवं पेय उद्योगों द्वारा उपभोक्ताओं की सेवा के लिये शुल्क के रूप में एकत्र किया जाता है।

 नए दिशा-निर्देश जारी करने का कारण:

  • राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (NCH) पर भुगतान बिलों में अनावश्यक रूप से सेवा शुल्क लगाने से संबंधित अत्यधिक शिकायतें दर्ज की गई थीं।
  • बिल में अक्सर कुछ अन्य शुल्कों की आड़ में कुल राशि के रूप में अतिरिक्त राशि वसूली जा रही थी।
  • नए नियमों के अनुसार, किसी उपभोक्ता से मेन्यू पर खाद्य पदार्थों की कीमत और लागू करों से अधिक शुल्क लेना CPA के तहत 'अनुचित व्यापार व्यवहार' माना जाता है।

आगे की राह

  • ये नए नियामक दिशा-निर्देश आवश्यक थे क्योंकि कई होटल और रेस्तराँ आदि लोगों से भारी मात्रा में सेवा शुल्क वसूल रहे थे तथा साथ ही मनमाना मूल्य निर्धारण भी कर रहे थे।
  • अब ग्राहक शुल्क का भुगतान करने के लिये बाध्य नहीं होंगे और यह एक स्वैच्छिक विकल्प होगा, लेकिन देश भर में इन नियमों के बेहतर कार्यान्वयन की आवश्यकता है।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:

प्रश्न: भारत में कानून के प्रावधानों के तहत 'उपभोक्ताओं' के अधिकारों/विशेषाधिकारों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2012)

  1. उपभोक्ताओं को खाद्य परीक्षण के लिये नमूने लेने का अधिकार है।
  2. जब कोई उपभोक्ता किसी उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराता है तो कोई शुल्क नहीं देना होता है।
  3. उपभोक्ता की मृत्यु के मामले में उसका कानूनी उत्तराधिकारी उसकी ओर से उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज करा सकता है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: c

व्याख्या

  • संसद द्वारा पारित खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम के तहत उपभोक्ताओं को खाद्य नमूने लेने, उनका परीक्षण करने और अभियुक्तों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिये शिकायत दर्ज करने का अधिकार दिया गया है। अत: कथन 1 सही है।
  • उपभोक्ता को शिकायत दर्ज करने या उपभोक्ता फोरम में अपना मामला लड़ने के लिये वकील की आवश्यकता नहीं होती है। वह खुद शिकायत दर्ज करा सकता है। उपभोक्ता को कोई अदालती शुल्क देने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि यह अदालत के प्रकार और दावा राशि के आधार पर केवल एक मामूली शुल्क है। अतः कथन 2 सही नहीं है।
  • उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत यह प्रावधान किया गया है कि उपभोक्ता की मृत्यु के मामले में उसका कानूनी उत्तराधिकारी या प्रतिनिधि उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज करा सकता है। अत: कथन 3 सही है।

अतः विकल्प (c) सही है।

स्रोत: द हिंदू