आपदा प्रबंधन
भारत में भीड़ प्रबंधन
- 30 Sep 2025
- 69 min read
प्रिलिम्स के लिये: हाइपोक्सिया, हाइपरकेपनिया, NDMA, आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005।
मेन्स के लिये: भगदड़ के लिये आपदा प्रबंधन रणनीतियाँ, एनडीएमए दिशा-निर्देश, चुनौतियाँ और आगे की राह।
चर्चा में क्यों?
तमिलनाडु के करूर में एक तमिल अभिनेता से राजनेता बने व्यक्ति के लिये आयोजित एक चुनावी रैली में भगदड़ से कई लोगों की मृत्यु और कई लोग घायल हो गए।
भगदड़ क्या है?
- भगदड़: भगदड़ लोगों या जानवरों की अचानक, अनियंत्रित भीड़ है, जो आमतौर पर घबराहट, डर या उत्तेजना से शुरू होती है, जो भीड़-भाड़ वाले इलाकों में होती है और अक्सर अराजकता और हताहतों का कारण बनती है।
- भगदड़ की घटनाएँ: NCRB की रिपोर्ट 'भारत में आकस्मिक मौतें और आत्महत्याएँ' में कहा गया है कि 2000 से 2022 तक भगदड़ में 3,074 लोगों की जान चली गई, पिछले तीन दशकों में लगभग 4,000 भगदड़ की घटनाएँ दर्ज की गईं।
- मृत्यु का कारण: भगदड़ से होने वाली मृत्यु का एक प्रमुख कारण "ब्लैक होल इफेक्ट" है। जब भीड़ बहुत अधिक होती है, तो शारीरिक बल एक अप्रत्याशित श्रृंखला बना लेते हैं। यदि कोई व्यक्ति गिर जाता है, तो उसके आसपास एक “शून्य” (void) उत्पन्न होता है। इसके कारण अन्य लोग संतुलन खोकर गिर जाते हैं, जिससे भगदड़ और हताहतों की स्थिति बढ़ जाती है।
- इस डोमिनो प्रभाव के कारण लोग एक-दूसरे के ऊपर गिरते हैं और दूसरों के वजन के नीचे दबकर दम घुटने लगते हैं।
- छाती पर अत्यधिक दबाव पड़ने से फेफड़ों की सामान्य गति बाधित होती है। परिणामस्वरूप हाइपोक्सिया (ऑक्सीजन की कमी) और हाइपरकेपनिया (कार्बन डाइऑक्साइड की अधिकता) उत्पन्न होती है, जो जीवन के लिये गंभीर खतरा हैं।
भारत में भगदड़ के प्रमुख कारण और प्रभाव क्या हैं?
कारक (Causes) |
प्रभाव (Impacts) |
तत्काल ट्रिगर्स — अफवाहें, अचानक मार्ग अवरोध |
भगदड़ के कारण अचानक मौतें, गंभीर चोटें और मनोवैज्ञानिक आघात होता है, साथ ही दुःख और क्रोध भी उत्पन्न होता है। |
प्रणालीगत विफलताएँ— भीड़ का आकार कम आंकना, खराब भीड़ नियंत्रण, तैयारी की कमी |
जनता का अधिकारियों पर विश्वास कम होना, सुरक्षा प्रोटोकॉल की बार-बार समीक्षा, स्थायी सुधार लागू करना कठिन होता है |
व्यवहार संबंधी कारक — घबराहट का फैलना, नियमों की अनदेखी, स्टार पावर, राजनीतिक प्रभाव |
व्यवहारगत कारणों से अनियंत्रित भीड़ की आवाजाही होती है, जिसके कारण मौतें होती हैं, सामाजिक अशांति फैलती है तथा सामूहिक समारोहों या त्यौहारों को कलंकित किया जाता है।
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खराब अवसंरचना— ( संकीर्ण रास्ते, अवरुद्ध निकास, फिसलन भरे फर्श ) |
इससे गिरने और भगदड़ मचने का खतरा बढ़ जाता है , गंभीर चोटें लगती हैं, तथा आयोजनों में जनता की भागीदारी कम होने से आर्थिक नुकसान होता है। |
भारत में घातक भगदड़ की घटनाएँ
- बेंगलुरु (2025): रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के विजय समारोह के दौरान, बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के पास भारी भीड़ के कारण भगदड़ मच गई, जिसके परिणामस्वरूप कई लोग मारे गए और घायल हुए।
- प्रयागराज (2025): महाकुंभ मेला 2025 के दौरान स्नान के लिये उमड़ी लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ में घातक भगदड़ मच गई, जिसमें कई लोग मारे गए और घायल हुए।
- तिरुपति (2025): आंध्र प्रदेश के तिरुपति में टोकन जारी करने वाले काउंटर पर एक दुखद भगदड़ मच गई, जिसके परिणामस्वरूप कई लोग मारे गए और घायल हुए।
- हाथरस (2024): उत्तर प्रदेश में एक धार्मिक आयोजन के दौरान भगदड़ में कम-से-कम 121 लोग मारे गए, जिनमें ज़्यादातर महिलाएँ और बच्चे थे।
- मुंबई पैदल यात्री पुल (2017): व्यस्त समय के दौरान भगदड़ में 22 लोग मारे गए।
भीड़ प्रबंधन के लिये NDMA की प्रमुख सिफारिशें क्या हैं?
- कार्यक्रम-पूर्व योजना: भीड़ का आकलन और क्षमता नियोजन, सुरक्षित स्थल चयन और लेआउट डिज़ाइन तथा बिना किसी बाधा के प्रवेश, निकास और आवागमन के रास्तों के साथ स्पष्ट मार्ग नियोजन, भगदड़ को रोकने के लिये आवश्यक हैं।
- संरचनात्मक सुरक्षा: ज़िग-ज़ैग कतारों में बैरियर और रेलिंग लगाना, आभासी कतार और अनुमानित प्रतीक्षा समय की व्यवस्था करना, बाहर की ओर खुलने वाले चौड़े निकासों के साथ सुरक्षित प्रवेश और निकास बिंदु सुनिश्चित करना तथा भीड़ को प्रबंधित करने के लिये प्रभावी संचार प्रणाली और मोबाइल कनेक्टिविटी बनाए रखना।
- ज़मीनी प्रबंधन: बैरिकेड्स लगाकर भीड़ नियंत्रण और पृथक्करण लागू करना, यातायात और पार्किंग का सुरक्षित प्रबंधन करना, CCTV और एनालिटिक्स के साथ वास्तविक समय में भीड़ की निगरानी करना।
- जागरूकता निर्माण: जोखिमों और सुरक्षित व्यवहार के बारे में जन जागरूकता को बढ़ावा देना, सभी एजेंसियों के लिये प्रशिक्षण और अभ्यास आयोजित करना और कार्यक्रम प्रबंधन हितधारकों के लिये स्पष्ट विस्तृत मानक संचालन प्रक्रियाएँ (SOP) प्रदान करना।
- आपातकालीन प्रतिक्रिया: मौके पर चिकित्सा सहायता प्रदान करना, आपात स्थितियों के लिये त्वरित प्रतिक्रिया दल (QRT) तैनात करना और त्वरित निर्णय लेने के लिये एक स्पष्ट घटना कमान प्रणाली स्थापित करना।
भीड़ प्रबंधन में वैश्विक सर्वोत्तम अभ्यास
- सऊदी अरब: हज भगदड़ के बाद वहाँ की सरकार ने भीड़ का अनुकरण किया, प्रवेश समय सीमित किया, तथा मार्ग नियोजन में सुधार किया।
- यूनाइटेड किंगडम: ब्रिटेन में, लंदन के वेम्बली स्टेडियम को 90,000 लोगों को सुरक्षित रूप से संभालने के लिये कई निकास और उन्नत निकासी प्रणालियों के साथ डिज़ाइन किया गया है।
- दक्षिण कोरिया: हैलोवीन भगदड़ 2022 के जवाब में, दक्षिण कोरिया ने वास्तविक समय में भीड़ के घनत्व की निगरानी करने और समय पर चेतावनी देने के लिये एक उन्नत CCTV-आधारित AI प्रणाली तैनात की है।
- जापान: जापान ने अचानक भीड़ को रोकने के लिये समयबद्ध टिकट और क्रमिक प्रवेश उपायों को लागू किया है।
भारत में भगदड़ को कैसे रोका जा सकता है?
- ICT आधारित प्रबंधन: पूर्व-निवारक हस्तक्षेप के लिये वास्तविक समय में भीड़ के आकार, प्रवाह और बाधाओं की निगरानी हेतु CCTV, ड्रोन-आधारित हवाई निगरानी तथा मोबाइल नेटवर्क और वाई-फाई हीट मैपिंग के साथ AI-संचालित घनत्व विश्लेषण का उपयोग करना।
- मानव व्यवहार का प्रबंधन: भीड़ को शांत रखने या दृश्य और ध्वनि संकेतों का उपयोग करना, तनाव कम करने हेतु स्टाफ को 'क्राउड विस्परिंग' (भीड़ से शांतिपूर्वक संवाद करने) में प्रशिक्षित करना, तथा आपात स्थितियों के लिये सुरक्षित स्थान एवं दबाव कम करने वाले वैकल्पिक मार्ग सुनिश्चित करना।
- सुरक्षा की संस्कृति का निर्माण करना: प्रभावशाली व्यक्तियों के साथ सार्वजनिक सुरक्षित भीड़ अभियान शुरू करना, भीड़ प्रबंधन पर अनिवार्य आयोजक प्रमाणीकरण लागू करना और भीड़भाड़ की रिपोर्ट करने के लिये हैशटैग या ऐप के माध्यम से भीड़-आधारित निगरानी का उपयोग करना।
- जवाबदेही ढाँचे को मज़बूत करना: एक भीड़ सुरक्षा अधिनियम (Crowd Safety Act) लागू किया जाए, जिसमें आयोजकों की ज़िम्मेदारी स्पष्ट रूप से परिभाषित हो। बड़े आयोजनों के लिये स्वतंत्र सुरक्षा ऑडिटरों की अनिवार्यता हो और पिछली घटनाओं से सीखने हेतु एक राष्ट्रीय भगदड़ डाटाबेस स्थापित किया जाए।
निष्कर्ष
भारत में भगदड़ की घटनाएँ कई कारणों के संयोजन से होती हैं — जैसे अचानक उत्पन्न होने वाले ट्रिगर, प्रणालीगत विफलताएँ, व्यवहार संबंधी कारक, और कमजोर बुनियादी ढाँचा। इसके परिणामस्वरूप मानवीय, सामाजिक और आर्थिक स्तर पर भारी क्षति होती है। इसकी प्रभावी रोकथाम के लिये NDMA (राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण) के अनुरूप योजना बनाना, सुनियोजित भीड़ प्रबंधन, तकनीक का उपयोग, जन जागरूकता बढ़ाना और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने की स्पष्ट व्यवस्था आवश्यक है। इन उपायों से जीवन की रक्षा की जा सकती है और बड़े जनसमूहों के आयोजन को अधिक सुरक्षित बनाया जा सकता है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भगदड़ के लिये ज़िम्मेदार प्रणालीगत और व्यवहारिक कारकों का विश्लेषण कीजिये तथा बड़े सार्वजनिक समारोहों में सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु बहुआयामी रणनीति का सुझाव दीजिये। |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. भगदड़ क्या है?
उत्तर: भगदड़ एक अचानक और बेकाबू भीड़ की दौड़ होती है, जो अक्सर घबराहट या डर की वजह से शुरू होती है। इससे दम घुटना, ऑक्सीजन की कमी के कारण कई लोगों की मृत्यु भी हो जाती है।
2. भारत में भगदड़ के मुख्य कारण क्या हैं?
उत्तर: भगदड़ तात्कालिक कारणों, प्रणालीगत विफलताओं, व्यवहारगत कारकों और खराब बुनियादी ढाँचे के कारण उत्पन्न होती है।
3. भीड़ प्रबंधन में कुछ वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाएँ क्या हैं?
उत्तर: सऊदी अरब, ब्रिटेन, दक्षिण कोरिया और जापान जैसे देश सुरक्षित सामूहिक समारोहों के लिये भीड़ सिमुलेशन, AI CCTV निगरानी, समयबद्ध टिकट, क्रमबद्ध प्रवेश तथा कई निकासों का उपयोग करते हैं।
4. भगदड़ रोकने के लिये भारत क्या रणनीति अपना सकता है?
उत्तर: भारत ICT आधारित भीड़ निगरानी (AI, ड्रोन, वाई-फाई हीट मैप्स) को लागू कर सकता है, मानव व्यवहार का प्रबंधन कर सकता है, सुरक्षा की संस्कृति का निर्माण कर सकता है, और कानून के माध्यम से जवाबदेही को मज़बूत कर सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)
मेन्स
प्रश्न. आपदा प्रबंधन में पूर्ववर्ती प्रतिक्रियात्मक उपागम से हटते हुए भारत सरकार द्वारा आरंभ किये गए अभिनूतन उपायों की विवेचना कीजिये। (2020)